ayush mantralaya food guidelines for coronavirus कोविड-19 का प्रकोप, इसके निर्बाध रूप से तेजी से बढ़ते मामले और लॉकडाउन जैसी अप्रत्याशित स्थिति के अचानक उभरने ने सभी को एक स्थान पर लाकर रोक दिया है – और यह स्थान कोई और नहीं हमारे घर हैं. अब, हमारे एक घर में ही सभी चीजें जैसे ऑफिस, क्लासरूम, बेडरूम, रेस्तरां आदि समां गए हैं. अब इंटरनेट के माध्यम से शिखर सम्मेलन और सम्मेलन भी घर से ही हो रहे हैं.
लॉकडाउन में पूरा समय घर में रहना स्वास्थ्य के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा कर रहा है जिसमें आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वर्तमान परिदृश्य में, हमारी शारीरिक गतिविधियां अपेक्षाकृत कम हो गई हैं, जबकि भोजन का सेवन बढ़ गया है, जिससे हमारे आहार की संचालन शक्ति असंतुलित हो गई हैं, जिससे कईं स्वास्थ्य विकार हो सकते हैं.
हालांकि, अगर हम उन अवसरों पर नज़र डालें, जो लॉकडाउन के दौरान प्रकृति द्वारा हमारी गलत जीवनशैली को ठीक करने के लिए उपलब्ध कराए जा रहे हैं, वो प्रचुर हैं. हम जीवन जीने के आयुर्वेदिक तरीके का अनुसरण करके अपने जीवन को अनुशासित कर, अपने शरीर से अनावश्यक भार को समाप्त कर सकते हैं. हमारे लिए यह सही समय है कि हम अपनी आदतों पर गौर करें, अपनी दिनचर्या को बेहतर बनाने के लिए उनमें बदलाव लाएं, जो एक ‘आदर्श स्वास्थ्य’ की ओर ले जा सकती हैं.
एक स्वस्थ आहार नियम का पालन करें, जो भोजन के सही विकल्पों से मिलकर बना हो और इससे भी महत्वपूर्ण है कि हम क्या, कैसे, कब और कहां खाते हैं, हमारी प्रतिरक्षा में सुधार करेगा. इसके विपरीत, गलत आदतें और भोजन के विकल्प, हमारी प्रतिरक्षा को कमज़ोर करते हैं, हमें वायरस के संक्रमण और रोगों का आसान शिकार बना देते हैं. प्रत्येक परिस्थिति में स्वस्थ रहने के लिए, ‘सही आहार’ ‘सही मंत्र’ है.
महर्षि आयुर्वेद के अध्यक्ष, आनंद श्रीवास्तव कहते हैं, “आयुर्वेद के अनुसार, आहार हमारे स्वास्थ्य को सुधारने और बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह प्रतिरक्षा को मजबूत रखने में भी सहायक है. आहार के महत्व पर ज़ोर देते हुए महर्षि चरक उल्लेख करते हैं, “यदि किसी का आहार अच्छा है तो उसे किसी औषधि की आवश्यकता नहीं होगी”. उन्होंने आगे उल्लेख किया, “यदि किसी का आहार अच्छा नहीं तो उसे भी किसी औषधि की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि उसके लिए कोई औषधि काम नहीं करेगी.” वर्तमान लॉकडाउन के परिदृश्य में जब हम अपने घरों में रह रहे हैं, तो हमारे शरीर के प्रकार और पाचन की दृष्टि से भोजन का चयन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारी शारीरिक गतिविधियां तुलनात्मक रूप से कम हो रही हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “यह जानने के अलावा कि क्या खाना चाहिए, यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि कितना खाना चाहिए, कब खाना चाहिए और कैसे खाना चाहिए. आयुर्वेद उचित तर्क के साथ बहुत ही वैज्ञानिक और व्यवस्थित तरीके से इनकी व्याख्या करता है. इसके पीछे उद्देश्य यह है कि कोई भी जो कुछ भी खाता है, वह उसके तंत्र में ठीक तरह से पचना और आत्मसात होना चाहिए. ताकि शरीर के उतकों का संतुलित रूप से उत्पादन हो सके, जो शरीर के रख-रखाव, सर्वोत्तम प्रदर्शन और स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है.”
आहार, प्रतिरक्षा और स्वास्थ्य के महत्व और उनके अच्छे अंतर्संबंधों को ध्यान में रखते हुए जो कि आयुर्वेद के अनुसार एक ‘आदर्श स्वास्थ्य’ का गठन करते हैं, हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने नागरिकों से आयुष मंत्रालय द्वारा जारी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने वाले दिशा-निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया है, ताकि ये इस लड़ाई का पूरक बन सके. आयुष मंत्रालय ने निवारक उपायों के रूप में जो सिफारिश की है, वह स्वस्थ आहार नियम का भाग है. मंत्रालय द्वारा जो दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए हैं, उनकी जड़ें आयुर्वेद विज्ञान में हैं, जो स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए प्रकृति के उपहारों के उपयोग को बढ़ावा देते हैं.
– दिनभर गर्म पानी पीना.
– प्रतिदिन सुबह और शाम कम से कम 30 मिनट तक योग और प्राणायाम सहित ध्यान की कला का अभ्यास करें.
– सुनिश्चित करें कि आप खाना पकाने में हल्दी, जीरा, धनिया और लहसुन जैसे मसालों को शामिल करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपके पास एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली है, जो इस संक्रमण से लड़ सकती है.
– एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी का मिश्रण बहतरीन इम्युनिटी बूस्टर के रूप में वर्षों से किया जा रहा है.
– अपने दोनों नथुनों पर सुबह और शाम को तिल या नारियल का तेल या घी लगाएं.
– तिल का तेल या खाद्य नारियल तेल का एक बड़ा चमचा लें और 2-3 मिनट के लिए अपने मुंह में घुमाएं. इसके बाद अपने मुंह में कुनकुना पानी भरकर कुल्ला कर लें. ऐसा दिन में एक या दो बार दोहराएं.
1. अपने शरीर के प्रकार के आधार पर काली मिर्च, धनिया के बीज, लहसुन, अदरक आदि को शामिल करें.
2. अपनी प्रतिरक्षा को बनाए रखने के लिए आहार में संतरा, ब्रोकोली, अंकुरित अनाज, नींबू और स्ट्रॉबेरी लें.
3. ठंडे, बहुत मीठे और तले हुए खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें.
4. चिल्ड वॉटर या ऐसे किसी भी पेय पदार्थ के सेवन से बचें.
5. ताजे पके हुए खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दें.
6. फ्रोजन या बासी खाने से बचें.
आयुर्वेद के अनुसार, “स्वस्थ आहार, आदर्श स्वास्थ का मंत्र है.” इसके अतिरिक्त, यह सही प्रकार के भोजन और सही समय पर भोजन करने पर बल देता है. यह दिन को छह भागों में विभाजित करता है, जैसा कि दोष की प्रबलता के अनुसार नीचे दिया गया है:
कफ समय – हल्का नाश्ता (सुबह- 6 से 10)
– दूध, फलों और भीगे हुए मेवों आदि, सुबह लगभग आठ बजे लेना चाहिए.
पित्त समय – दोपहर का खाना (सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक)
यह दिन का सबसे भारी आहार है, इसमें अपने शरीर के प्रकार के आधार पर खाद्य पदार्थों का चयन करना चाहिए, इसे लगभग 12 बजे लें.
वात समय – शाम का नाश्ता (दोपहर 2 बजे से 6 बजे के बीच)
शाम 5 बजे के आसपास हल्का नाश्ता होना चाहिए.
कफ समय – रात्रिभोज (शाम 6 और 10 बजे के बीच)
इसमें रात आठ बजे के पहले हल्का भोजन लें.
फिर से पित्त समय (रात 10 बजे और दोपहर 2 बजे के बीच)
यह सोने का समय होता है, इस दौरान किसी को भी कुछ भी खाने से बचना चाहिए, यह समय शरीर पूरे दिन लिए गए भोजन को पचाने और चयापचय के लिए उपयोग करता है.
वात समय के दौरान (सुबह 2 बजे और 6 बजे के बीच)
किसी को भी सुबह छह बजे के पहले जाग जाना चाहिए ताकि पूरे दिन ताज़गी बनी रहे.
डॉ. सौरभ शर्मा बताते हैं, “कईं खाद्य पदार्थों के मिश्रण से हमारा आहार बनता है, और भोजन को औषधि की तरह ही शक्तिशाली माना जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, ठीक से सेवन करने पर भोजन औषधि है. यदि हम अपने शरीर के अनुकूल भोजन करते हैं और पाचन को बढ़ाने वाली सात्विक दिनचर्या का पालन करते हैं, तो हमारे शरीर को लाभ मिलेगा और हमें प्रसन्न और स्वस्थ्य रहने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, संतुलित आहार, उचित नींद भी हमें स्वस्थ्य रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसके विपरीत गहरी नींद की कमी से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे मधुमेह, मोटापा और हृदय रोग के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है.”
उन्होंने आगे कहा, “लॉकडाउन के वर्तमान परिदृश्य में, हमें पौष्टिक भोजन और नियमित जीवनशैली दोनों का संतुलन बनाना होगा. जिसमें सही समय पर भोजन करना, उचित नींद, आवश्यक व्यायाम, योग और ध्यान सम्मिलित हैं. लॉकडाउन का दौर खुद को अनुशासित करने का एक अवसर है जो एक स्वस्थ्य जीवन सुनिश्चित करेगा. और यह एक स्वस्थ आहार नियम का पालन करके किया जा सकता है.”
स्वस्थ खाद्य पदार्थों के साथ हमें समग्र स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए कुछ रसायनों (दीर्घायु को बढ़ावा देने का विज्ञान और इष्टतम स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले हर्बल उपचार) को अपने आहार में शामिल करना होगा. इसके साथ ही, रसायन हमारे शरीर और मस्तिष्क में ऊर्जा के संरक्षण, परिवर्तन और कायाकल्प से संबंधित हैं. इसलिए, यदि हम अपने आहार में कुछ विशेष रसनाओं को सम्मिलित करते हैं, तो इससे न केवल हमें हमारे आहार को संतुलित बनाने में सहायता मिलती है बल्कि यह हमारे समग्र स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में भी योगदान देता है. इस तरह के रसयानों में से एक महर्षि अमृत कलश है, जो स्वास्थ, दीर्घायु और संपूर्ण कल्याण को पुनः स्थापित करने के लिए जाना जाता है. इसमें सभी प्राकृतिक और शक्तिशाली जड़ी बूटियों का एक मिश्रण है.
जीवन का यह अमृत हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ को बहाल करने में सहायता करेगा, जिससे सभी तरह से एक स्वस्थ जीवन जीना संभव होगा.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.