बढ़ते उम्र के साथ बढ़ने लगती हैं कई बीमारियां, जिसे समय पर नहीं रोका जाए तो जीवनभर का दर्द दे जाती हैं. हालांकि बीमारी उम्र देखकर नहीं आती है. फिर भी हमें एक उम्र के बाद अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरूक हो जाना चाहिए. आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसी ही एक बीमारी के बारे में जिसके बढ़ने से आपको कई तरह के रोगों के बढ़ने की मुश्किलें सताने लगती हैं.
दरअसल हम बात कर रहे हैं यूरिक एसिड के बारे में. यह एक ऐसी बीमारी है जो जिसके बढ़ने से शरीर में सूजन होने लगता हैं और यह गठिया का कारण बन जाता हैं. जिसमें मरीज को असहनीय दर्द देता हैं जो सेहत को और बिगाड़ देता है. दरअसल यूरिक एसिड एक ऐसी समस्या है जो समय के साथ शरीर में बढ़ता ही चला जाता हैं. इससे बचने के लिए हमें अपने खानपान पर ध्यान देना चाहिए साथ ही साथ कुछ योगों को निरंतर करना चाहिए, जिससे यह बीमारी जड़ से समाप्त हो सकती हैं.
सेब का सिरका
फ्रेंच बीन्स का रस
अधिक से अधिक पानी पीना चाहिये
चेरी खाने से लाभ
जामुन हैं फायदेमंद
ताजा सब्जी का रस
दूध-दही का सेवन
हरी पत्तेदार सब्जियां खायें
उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ का सेवन
इस योगासन के जरीये शरीर में मौजूद बैड कोलेस्ट्रॉल पसीने के जरीये निकल जाता हैं. शरीर की फालतू चर्बी घट जाने से ऐसे ही कई तरह की बीमारियों से राहत मिलता हैं. वृक्षासन शरीर में मौजूद हड्डियों को अंदर से मजबूत करता हैं. और रक्त प्रवाह को बढ़ाता है जो किसी भी तरह के सूजन से बचाव में कारगार हैं.
यह आसन सबसे आसान और सबसे उपयोगी आसनों में एक हैं. जिससे तोंद, जांघ और हिप्स की चर्बी तो घटती ही हैं. साथ ही साथ इससे हमारे रक्त कोशिकाओं पर दबाव पड़ता है जो रक्त प्रवाह को तेज कर यूरिक एसिड जैसी कई बीमारियों को कम करने में उपयोगी हैं.
इस आसान को को भी निरंतर करने से शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ता है और यह हमारे पेट संबंधी बीमारियों में भी कारगार है और चर्बी को भी खत्म करता हैं. जिससे यूरिक एसिड खुद-ब-खुद कंट्रोल हो जाता हैं.
इसे कबूतर मुद्रा भी कहते हैं. इस आसन से जांघों, एडियों, जोडों, सीने, गले पर दबाव पड़ता है जिससे आपकी बॉडी लचीली बनती हैं. यह आसन निरंतर करते रहने से हमारा शरीर फैट रहित बनता हैं. और फैट रहित शरीर कई रोगों का मर्ज हैं. यूरिक एसिड में लाभदायक साबित होती हैं.