Healthy Life: फ्रोजन शोल्डर कंधे के साथ आपका मूवमेंट भी न कर दे जाम, जानें कैसे पाएं इससे छुटकारा
आज के समय में फ्रोजन शोल्डर एक आम समस्या बनती जा रही है. यह समस्या 40 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों में ज्यादा देखने को मिलती रही है, लेकिन गलत पॉश्चर में उठने-बैठने से युवा वर्ग भी इसका शिकार हो रहे हैं. मुख्य रूप से यह कंधे के जोड़ से जुड़ी समस्या है, जानें इस समस्या से कैसे छुटकारा पाएं...
Healthy Life: कंधों में अकड़न, दर्द और गतिहीनता को फ्रोजन शोल्डर होना कहते हैं. मेडिकल टर्म में इसे एडहेसिव कैप्सूलाइटिस भी कहा जाता है. इसमें कंधे की हड्डियों को मूव करना काफी मुश्किल हो जाता है. हालांकि, कई विशेषज्ञ फ्रोजन शोल्डर को सेल्फ लिमिटिंग डिसआर्डर मानते हैं, जो कुछ महीनों से लेकर एक से दो वर्ष तक रह सकता है. आमतौर पर 90 प्रतिशत मरीज 6-7 महीने में अपनेआप ठीक हो जाते हैं. कंधे में तेज दर्द व अकड़न होने की वजह से मरीज के लिए हर दिन का काम करना भी मुश्किल हो जाता है.
महिलाओं में खतरा अधिक
पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में फ्रोजन शोल्डर का खतरा अधिक होता है. खासकर मेनोपॉज के बाद कैल्शियम की कमी होने पर. डायबिटीज के मरीज भी इसकी गिरफ्त में ज्यादा आते हैं. दरअसल, हमारे कंधे हड्डियों, मांसपेशियों और टेंडन से बने होते हैं. यह बॉल-एंड-सॉकेट की तरह काम करते हैं. इन हड्डियों के चारों ओर लिगामेंट टिशूज होते हैं, जो उन्हें सीधी चोट से बचाने और तीनों को एकसाथ मूवमेंट करने का काम करते हैं. इन टिशूज को कैप्सूल कहते हैं. फ्रोजन शोल्डर या एडहेसिव कैप्सूलाइटिस की समस्या तब आती है, जब कंधे के जोड़ के आसपास का कैप्सूल मोटा और कड़ा हो जाता है, तो यह कंधे की मूवमेंट का प्रभावित करने लगता है. इस वजह से दर्द और बेचैनी महसूस होती है. शुरू में ध्यान न देने पर यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जाती है. इस समस्या के आरंभ में कंधे को हिलने-डुलने में दर्द होता है. इसके बाद कंधे के उतकों में कठोरता विकसित हो जाती है, जिससे हाथ के मूवमेंट में भी फर्क पड़ता है.
धीरे-धीरे होता है फ्रोजन शोल्डर
आमतौर पर फ्रोजन शोल्डर का दर्द अचानक उठता है, धीरे-धीरे बढ़ता है और पूरे कंधे को जाम कर देता है. इस प्रक्रिया को तीन चरणों में बांटा जा सकता है.
-
फ्रीजिंग पीरियड: इसमें कंधा जाम होने लगता है. कंधे में दर्द होता है, जो अक्सर रात में सोते समय बढ़ जाता है और मरीज को नींद नहीं आती. कंधे को घुमाना या मूव करना मुश्किल हो जाता है. यह 2 से 9 महीने तक रह सकता है.
-
फ्रोजन पीरियड: इस चरण में दर्द में कमी आ जाती है, पर अकड़न बढ़ती जाती है. कंधे के कैप्सूल सख्त हो जाते हैं और अकड़न बढ़ जाती है. धीरे-धीरे इसका मूवमेंट कम हो जाता है और हाथ से कोई भी काम करने में दिक्कत आती है. यह अवस्था 4-12 महीने तक रह सकती है.
-
थाविंग पीरियड: इस पीरियड में दर्द और कंधे के मूवमेंट में थोड़ा सुधार आता है, लेकिन कभी-कभी तेज दर्द उठने की संभावना बनी रहती है. यह चरण तकरीबन दो साल तक रह सकता है.
लक्षणों को न करें इग्नोर
फ्रोजन शोल्डर का सबसे पहला संकेत तब मिलता है, जब आपको ऐसे काम करने में दिक्कत हो, जिसमें कि हाथ पीठ की तरफ ले जाना पड़े जैसे- पैंट की पिछली जेब में पर्स रखना, कपड़े पहनना आदि. कुछ समय बाद हाथ आगे हिलाने में भी दिक्कत होती है. इसके अलावा अगर कंधे में दर्द और अकड़न या फिर कंधे के मूवमेंट में परेशानी महसूस हो रही हो तथा दर्द निवारक दवाइयां लेने के बावजूद दर्द बढ़ रहा हो, कंधे का मूवमेंट न हो पा रहा हो, तो आपको बेझिझक ऑर्थोपेडिक डॉक्टर को कंसल्ट करना चाहिए.
ऐसे करें अपना बचाव
-
सोने का पॉश्चर ठीक रखें और सोते समय तकिया ज्यादा ऊंचा न लें, ताकि कंधे में खिंचाव न आये. यानी आपका तकिया 4 से 5 इंच मोटा ही होना चाहिए.
-
डायबिटीज, थायरॉयड जैसी बीमारियों को कंट्रोल में रखें.
-
नियमित रूप से हर दिन कम-से-कम 30 मिनट व्यायाम, स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज व योग करें. इससे कंधों के साथ शरीर के जोड़ों में लचीलापन बना रहता है.
-
ज्यादा समय तक कुर्सी-टेबल पर बैठ कर काम करना हो, तो बीच में ब्रेक देकर स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज जरूर करें.
-
लेटकर या कंधे के बल लेटकर काम करने या पढ़ने से बचें. इससे कंधे के ज्वाइंट में दबाव पड़ने से दर्द हो सकता है.
-
फ्रोजन शोल्डर होने की स्थिति में अगर आप पीठ के बल सोते हैं, तो दुखती बांह के नीचे तकिया रखें और हाथ को पेट पर रखें.
-
वहीं, करवट लेकर सोने की स्थिति में तकिया सीने से चिपकाकर सोएं.
क्या हैं कंधे के जाम हो जाने की वजहें
फ्रोजन शोल्डर दो तरह के होते हैं- प्राइमरी, जिसमें बिना किसी कारण से कंधा जाम हो जाता है. दूसरा सेकेंडरी फ्रोजन शोल्डर, जिसमें डायबिटीज, हाइपोथायरॉयड, टीबी, पार्किंसन, हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों की वजह से जोड़ों में सूजन और दर्द की संभावना ज्यादा रहती है. खासकर, अनकंट्रोल ब्लड शुगर लेवल बढ़ने से कंधे के कैप्सूल टिशूज को बनाने वाले कोलेजन पर असर पड़ता है और वह कंधे के जोड़ की मूवमेंट को सीमित कर देता है. मूवमेंट कम होने पर कंधे के टिशूज में दर्द और अकड़न आ जाती है. इसके अलावा कई बार चाहे-अनचाहे हम कंधे के जोड़ का मूवमेंट कम कर देते हैं, जिससे धीरे-धीरे फ्रोजन शोल्डर की स्थिति आ जाती है, जैसे- आरामपरस्त जीवनशैली, कंधे को देर तक एक ही पोजिशन में रखने, बिस्तर पर अधलेटे हुए कंधे पर देर तक दबाव डालने पर, चोट लगने, इंजरी, ऑपरेशन, फ्रैक्चर, भारी सामान उठाने या सरकाने से हुई तकलीफ होना.
कैसे करते हैं इसे डायग्नोज
कंधे में दर्द या अकड़न होने पर स्थिति और शारीरिक जांच के जरिये डॉक्टर इसकी पहचान करते हैं. मरीज के कंधे और हाथ के कुछ खास हिस्सों पर दबाव देकर दर्द की तीव्रता का पता लगाते हैं. फ्रोजन शोल्डर को लेकर डॉक्टर मरीज की मेडिकल हिस्ट्री का पता लगाते हैं. मरीज के कंधे का एक्स-रे करके पता लगाते हैं कि उसे अर्थराइटिस तो नहीं. वहीं, हड्डियों में कैल्शियम के स्तर का पता लगाया जाता है. इस समस्या का डायबिटीज, थायराइड (विशेष रूप से हाइपो थायराइड) और कुछ ऑटोइम्यून बीमारियों के साथ खास संबंध है. अगर आपको कभी डायबिटीज नहीं भी रही है, तब भी ब्लड में शुगर के स्तर जांच करवा लेना जरूरी है, ताकि डायबिटीज की संभावना को खत्म किया जा सके.
दर्द से राहत में इन एक्सरसाइज का अहम रोल
फ्रोजन शोल्डर के मरीज को राहत के लिए डॉक्टर व फिजियो घर पर भी कुछ एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं, जिनमें पेंडुलम मूवमेंट, टेबलटॉप आर्म स्लाइड, वॉल स्लाइड, टॉवल स्ट्रेच आदि एक्सरसाइज शामिल हैं. डॉक्टर मरीज को ये एक्सरसाइज दिन में 4 से 5 बार कम-से-कम 5 से 10 मिनट के लिए करने के लिए कहते हैं. इस बात का भी ध्यान रखें कि जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज न हो, क्योंकि इससे कंधे में दर्द बढ़ भी सकता है या अकड़न ज्यादा आ सकती है. आप भी यदि फ्रोजन शोल्डर से पीड़ित हैं, तो ये स्ट्रेचिंग अभ्यास दर्द को कम कर देंगे.
पेंड्यूलम एक्सरसाइज
कमर के पास झुकें और अप्रभावित हाथ को टेबल या कुर्सी के सहारे रखें. फ्रोजन शोल्डर के हिस्से वाले हाथ को शरीर से दूर लटकने दें. अब कंधे के पास के जोड़ से हाथ को पेंड्यूलम की तरह 10 बार आगे-पीछे करें. कंधे को आराम देते हुए ऐसे छोटे-छोटे मूवमेंट करते रहें. ऐसा 2-3 मिनट तक करें. आप हर सुबह की शुरुआत इस एक्सरसाइज से कर सकते हैं.
वॉल स्लाइड
दीवार की ओर मुंह करके खड़े हो जाएं. फिर दोनों हथेलियों को दीवार से सटाकर रखें. अब अपनी हाथों को दीवार पर ऊपर की ओर ले जाएं. हाथ को अधिकतम ऊंचाई तक बढ़ने दें. इस स्ट्रेच को 15-20 सेकेंड तक करते रहें.
टॉवल स्ट्रेच
जो हाथ सही हो, उसमें तौलिया लें और इसे अपनी पीठ के पीछे गिरने दें. प्रभावित हाथ को धीरे-धीरे पीठ के पीछे ले जाएं और तौलिये को पकड़ लें. तौलिये को धीरे से ऊपर की ओर खींचे. यह मूवमेंट प्रभावित हाथ को स्ट्रेच करने में मदद करता है. ऐसा हर दिन कुछ मिनट तक करते रहें.
टेबलटॉप आर्म स्लाइड
टेबलटॉप के पास वाली कुर्सी पर बैठ जाएं. प्रभावित हाथ को उठाएं और अप्रभावित हाथ के साथ मेज पर हाथ रखें. शरीर के वजन का उपयोग करते हुए कमर से आगे की ओर झुकें. इस स्थिति में 5-10 सेकेंड तक रहें. उसी गति का उपयोग करते हुए, वापस सीधी स्थिति में आ जाएं.
क्या है इसका उपचार
-
उपचार समस्या की गंभीरता के हिसाब से किया जाता है. दर्द व सूजन को कम करने के लिए मरीज को पहले नॉन-स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाइयां दी जाती हैं, ताकि वह कंधे को मूव कर सके.
-
ज्यादा दर्द होने पर ओरल कॉर्टिकोस्टेरॉयड भी दिये जाते हैं. जरूरत के हिसाब से मरीज को हॉट और कोल्ड कंप्रेशन पैक्स भी दिये जाते हैं.
-
दर्द कम होने पर फिजियोथेरेपी शुरू की जाती है, जिससे कंधे की अकड़न ठीक हो सकती है. इनमें फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर की देखरेख में फॉरवर्ड एलिवेशन, अपवर्ड स्ट्रेचिंग, इंटरनल रोटेशन, एक्सटर्नल रोटेशन, क्रॉस बॉडी एडिक्शन, आर्म ओवरहेड जैसी एक्सरसाइज करायी जाती हैं.
-
समुचित उपचार के बावजूद फ्रोजन शोल्डर के 20 प्रतिशत मामलों में 6 महीने के बाद भी मरीज की स्थिति में सुधार नहीं आता. तब डॉक्टर दूरबीन से शोल्डर आर्थोस्कोपी सर्जरी करके माध्यम से कंधे के जमे हुए टिशू को खोलते हैं. इससे मरीज को दर्द में राहत के साथ मूवमेंट भी शुरू हो जाता है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.