Gangajal Kaha Rakhe, Plastic Containers Becomes Poisonous: धार्मिक अनुष्ठानों में इस्तेमाल किए जाने वाला गंगाजल का सेवन यदि आप भी करते हैं तो यह खबर आपके लिए है. दरअसल, एक शोध में पता चला है कि यह पवित्र गंगाजल, प्लास्टिक कंटेनर में कुछ वर्षों बाद जहरीला हो जाता है. जिसके सेवन से याददाश्त कम होना, त्वचा रोग समेत अन्य बीमारियां हो सकती है. आइये जानते हैं कितने वर्ष बाद प्लास्टिक कंटेनर हो जाता है खतरनाक, किन-किन रोगों का हो सकता है खतरा…
आमतौर पर श्रद्धालु किसी तीर्थ धाम से गंगाजल लाकर लंबे समय तक प्लास्टिक कंटेनर में रखते हैं. और जरूरत अनुसार या धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान इसका सेवन भी करते हैं. बरसों बाद इसका सेवन फिर भी सुरक्षित हो सकता है यदि आप प्लास्टिक के जगह किसी और कंटेनर का उपयोग करें.
जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के रसायन वैज्ञानिकों ने अपने शोध में खुलासा किया है कि प्लास्टिक अपने आप में एक अल्पायु पदार्थ होता है. यह बायोडिग्रेडेबल नहीं होता है. इससे बने प्रोडक्ट श्वेत प्रदूषण का कारण होते है.
शोध की माने तो प्लास्टिक कंटेनर में रखा गंगाजल आपके पाचन तंत्र को कमजोर कर सकता है. साथ ही साथ इससे स्किन डिजीज अर्थात त्वचा रोग से संबंधित समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती है. इसके अलावा चिड़चिड़ापन, याददाश्त कम होना, व्यक्ति का सुध-बुध खोना समेत अन्य गंभीर रोग भी इससे संभव है.
Also Read: Health News: टमाटर के साथ खीरा का सेवन बेहद खतरनाक, जानें सलाद खाने का सही समय और दोनों में पाए जाने वाले पोषक तत्व के बारे में
ऐसे में गंगाजल को प्लास्टिक कंटेनर में ना रखकर आप उसके जगह दूसरे कंटेनर के तौर पर चीनी मिट्टी, स्टील व तांबा से बने बर्तनों का प्रयोग कर सकते हैं. और जरूरत अनुसार इसका उपयोग भी कर सकते हैं.
Also Read: Hot Water Benefits: ठंड के मौसम में गर्म पानी पीने के कई फायदे, बाल, त्वचा से लेकर वजन घटाने और इम्यूनिटी तक के लिए फायदेमंद
दरअसल, प्लास्टिक का निर्माण घातक केमिकल से होता है. इसमें पोली प्रोक्लीन, पॉलीकार्बोनेट, मिट्टी, तेल, कार्बनिक रंग व पीवीसी आदि का मिश्रण होता है. विशेषज्ञों की मानें तो एक साल के बाद घातक रसायनों से बने इन कंटेनरों से रसायन का क्षरण होने लगता है. इन प्लास्टिक कंटेनरों से थैलेट्स, कार्बनिक रंग, फिलर, फोटो स्टेबलाइजर, वीऑक्सीकारक केमिकल आदि छूटने लगते है जो पवित्र गंगाजल में मिल कर उसे जहरीला बना देते हैं.
यदि आपका गंगाजल एक वर्ष बाद पीला पड़ने लगे तो समझ जाइए कि प्लास्टिक कंटेनर का क्षरण शुरू हो चुका है और आपका गंगाजल स्वास्थ्य के लिए जहरीला हो चुका है.
Note : उपरोक्त जानकारियां हिंदी वेबसाइट अमर उजाला में छपी रिपोर्ट के आधार पर है. इसे छोड़ने या अपनाने से पहले इस मामले के जानकार से जरूर सलाह ले लें.
Posted By: Sumit Kumar Verma
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.