Golden Blood: एक आम आदमी के नॉलेज की बात करें तो आठ कॉमन ब्लड ग्रुप के बारे में सभी जानते हैं लेकिन हममें से बहुत से लोग इस बात से अवगत नहीं हैं कि असल में हम जीतना जानते हैं उससे अधिक ब्लड ग्रुप हैं. जिसमें एक ब्लड ग्रुप ऐसा भी है, जो दुनिया भर में केवल 45 लोगों में पाया गया है. यह ब्लड ग्रुप है गोल्डन ब्लड (Golden Blood). यह ब्लड दुनिया के रेयर ब्लड ग्रुप में से एक है. इस ब्लड ग्रुप में पॉजिटव और निगेटिव फैक्टर नहीं होते और इसे सभी ब्लड ग्रुप को चढ़ाया जा सकता है यहां तक कि ओ ब्लड ग्रुप वालों को भी यह ब्लड दिया जा सकता है.
सदर, हॉस्पिटल, रांची के डायबिटोलॉजिस्ट डॉ रचित भूषण कहते हैं कि RH null ब्लड बहुत ही ज्यादा रेयर ब्लड है जिसके साथ एंटीजन अटैच्ड नहीं होते. इसकी वजह से यह ब्लड पॉजिटव या निगेटिव नहीं होता. दुनिया में 50 से कम लोगों के पास ही यह ब्लड ग्रुप है जिसमें डोनर की बात करें तो 8 से 9 लोग ही हैं. एंटीजन हमारे शरीर को बहुत सारे इंफेक्शन से प्रोटक्ट करता है लेकिन चूंकि इस ब्लड ग्रुप में एंटीजन होता ही नहीं ऐसे में इन्हें किसी भी तरह के इंफेक्शन का खतरा बहुत ज्यादा होता है. इस ब्लड को सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया के एक ट्राइबल ग्रुप में डिटेक्ट किया गया था. किडनी इंफेक्शन, हार्ट फेलियर, सेप्टिक इंफेक्शन इस ब्लड ग्रुप वालों को जल्दी होते हैं. इन्हें हाई आयरन डाइट लेने के सलाह दी जाती है ताकि ये खतरों से प्रोटेक्ट रहें. कुल मिला कर इनकी लाइफ बहुत टफ और डिफरेंट होती है. रेयरेस्ट ग्रुप होने के कारण इनके ब्लड को बहुत ही बचा कर यूज करने की कोशिश की जाती है. मेडिकली इसे आरएच नल ब्लड कहते हैं.
रिसर्च के अनुसार, मानव शरीर को ठीक से काम करने के लिए पांच लीटर रक्त की आवश्यकता होती है. आज हम जिस ब्लड ग्रुप की बात कर रहे हैं वह काफी दुर्लभ है. इसे गोल्डन ब्लड कहा जाता है. कहा जाता है कि इस खून की एक बूंद की कीमत भी सोने से भी ज्यादा महंगी है. इसका कारण इसकी दुर्लभता है. इसे Rh नल ब्लड (Rh Null Blood) कहते हैं.
हमारा शरीर रेड ब्लड सेल्स से भरा हुआ है जो ऑक्सीजन का ट्रांसपोर्ट करता है. एंटीजन (Antigens) इन सेल्स को डोनट स्प्रिंकल्स की तरह कोट करते हैं. हमारे रेड ब्लड सेल्स (Red Blood Cells) पर एंटीजन छोटे नेम टैग के समान होते हैं जो आपके शरीर को इंफॉर्म करते हैं कि क्या करना है. ये एंटीजन एंटीबॉडीज (Antibodies) को बताते हैं कि वे यहां हैं और एंटीबॉडीज उन्हें भरोसा दिलाती हैं कि उन पर हमला नहीं किया जाएगा. हमारी व्हाईट ब्लड सेल्स हमें संक्रमण से बचाने के लिए इन एंटीजन से चिपकी रहती हैं.
दो मुख्य एनटिजन ए और बी हैं. ए और बी प्रमुख हैं, जबकि ओ रिसेसिव है. फिर, एक डिफरेंट ग्रुप में, रीसस डी एंटीजन होता है, जो हमें सभी पॉजीटिव/निगेटिव चीजें देता है और इसे आरएच फैक्टर कहा जाता है.
आरएच नल ब्लड उस व्यक्ति के शरीर में पाया जाता है जिसका आरएच फैक्टर जीरो होता है. ह्यूमन बॉडी में, यह Rh आमतौर पर पॉजिटिव या निगेटिव होता है. लेकिन इस रेयर ब्लड ग्रुप वाले लोगों के लिए, उनका Rh फैक्टर न तो पॉजीटिव होता है और न ही निगेटिव. इसे तमाम मेडिकल टेस्ट के बाद किसी भी ग्रुप के किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है. यानी अगर किसी का ब्लड ग्रुप O है तो उसे भी गोल्डन ब्लड चढ़ाया जा सकता है.
Also Read: Weight Loss: बेली फैट से परेशान हैं? आसानी से चर्बी कम करने के लिए फॉलो करें ये रूटीन
गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले लोगों की भी अलग समस्याएं हैं. इस ग्रुप के लोग अक्सर एनीमिया की शिकायत करते हैं और उन्हें आयरन फूड्स का अधिक सेवन करने के लिए कहा जाता है. उनके खून में कोई एंटीजन नहीं होता है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.