जैसे जैसे कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है वैसे वैसे अब इसकी वैक्सीन बनने की प्रक्रिया भी तेज हो गई है, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानी कि WHO ने कोविड-19 वैक्सीन्स का लैंडस्केप जारी कर दिया है. इसके अलावा दुनिया भर के 13 अन्य तरह की वैक्सीन भी इसी प्रक्रिया में लगे हुए हैं, नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इम्पीरियल कॉलेज में वैक्सीन का ट्रायल जल्द शुरू होने वाला है. ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी ने तो पहले ही इस वैक्सीन का इस्तेमाल करना शुरू कर चुका है.
ऑक्सफर्ड के AstraZeneca Plc. वैक्सीन अभी ट्रायल पर है जो कि आखिरी स्टेज में पहुँच चुका है. वो दुनिया कि ऐसी पहली वैक्सीन है जो कि आखिरी स्टेज है.
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिजीजेज भी Moderna Inc नामक एक वैक्सीन की तैयार कर है जो कि अभी दूसरे स्टेज है. वैक्सीन LNPएनकैप्सुलेटेड mRNA पर आधारित है.
चीन का वुहान शहर जहां से कोरोना पूरी दुनिया में फैला है. वहां पर भी इनऐक्टिवेटेड प्लैटफॉर्म पर भी वैक्सीन बन रही है जो कि अभी 1/2 में हैं. इस फेज पर और वैक्सीन हैं जिसकी सूची इस प्रकार है
बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रॉडक्ट्स में भी साइनोफार्म की वैक्सीन बन रही है जो कि इसी सेटज पर है
इसके अलावा साइनोवैक, बायोएनटेक, फोसन फार्मा/फिजर प्लैटफॉर्म आरएनए और नोवावैक्स भी इसी स्टेज पर हैं.
लंदन के इम्पीरियल कॉलेज की RNA बेस्ड वैक्सीन भी पहले दौर पर है. इसके अलावा गेमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट, इनोवियो फार्मास्यूटिकल्स और चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज की वैक्सीन भी डेवलपमेंट/रेगुलेशन के फर्स्ट फेज में हैं.
भारत की तरफ से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी इसकी कवायद शुरू कर दी है. और इसके लिए 100 मिलियन डॉलर इनवेस्ट किए गए हैं. ChAdOx1 nCov-19 शुरूआत में 10 हजार 260 लोगों पर ट्रायल की जाएगी.
आपको बता दें कि उनकी ये रिपोर्ट में ये बात भी सामने आयी थी कि कगोरोना की वैक्सीन बनने में कम से कम 10 साल का वक्त लगता है लेकिन जैसे सभी जानते हैं कि कोरोना का संक्रमण अभी तेजी से फैल रहा है, इस वजह से ये बीमारी लोगों के सामने चुनौतियां पेश की है और यही कारण है कि इसका काम जल्द से जल्द पूरा करने में है.
Posted By : Sameer Oraon
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.