Green Fungus : कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों में फंगल इन्फेक्शन के कई मामले सामने आ चुके हैं. ब्लैक, वाइट और येलो फंगस के बाद अब ग्रीन फंगस का केस सामने आ रहे हैं जिसने लोगों की चिंता बढा दी है. पंजाब के जालंधर में ग्रीन फंगस का पहला मामला सामने आया है. सिविल अस्पताल के डॉ. परमवीर सिंह ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि मरीज कोरोना संक्रमण से रिकवर हो चुका था. निगरानी में है लेकिन हालत स्थिर नहीं कह सकता…. एक केस पहले भी आया था लेकिन उसकी पुष्टि नहीं हुई थी…
आपको बता दें कि ग्रीन फंगस का पहला मामला देश में मध्य प्रदेश से सामने आया था. यहां इंदौर के 34 साल के मरीज को कोरोना से ठीक होने के बाद गत मंगलवार को एयर एंबुलेंस से मुंबई के हिंदुजा हॉस्पिटल इलाज के लिए भेजा गया था.
Punjab | We've received out first confirmed case of green fungus. Patient had recovered from COVID, he is under observation, can't say stable though. There was another case before, but it was unconfirmed: Dr Paramvir Singh, Dist Epidemiologist at Civil Hospital, Jalandhar(19.06) pic.twitter.com/7QxvoJFYw3
— ANI (@ANI) June 20, 2021
इंदौर के मरीज के संबंध में जानकारी देते हुए ऑरोबिंदो इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के चेस्ट डिजीज के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ रवि दोसी ने पीटीआई को बताया था कि मरीज का टेस्ट इस शक में किया गया था कि उसे ब्लैक फंगस या म्यूकरमायकोसिस हो सकता है. लेकिन उसके साइनसेस, फेफड़ों और खून में ग्रीन फंगस (ऐस्पर्जिलोसिस) के संक्रमण का पता चला. कोरोना संक्रमण से मरीज ठीक हो गया था लेकिन बाद में उसके नाक से खून निकलने लगा और तेज बुखार शुरू हो गया. वजन घट गया था जिससे वह काफी कमजोर भी हो गया था.
Also Read: Corona Delta plus Variant : महाराष्ट्र में तीसरी लहर का खतरा ? दस प्वाइंट में जानें कितना खतरनाक है कोरोना का नया प्रकार ‘डेल्टा प्लस’
बताया जा रहा है कि ऐस्पर्जिलोसिस ऐस्पर्जिलस फंगस से पैदा होने वाला इन्फेक्शन है. यह घर के अंदर और बाहर हर जगह मौजूद रहता है. जिस भी वातावरण में इसके स्पोर्स मौजूद हों, उसमें सांस लेने से यह संक्रमण होने के चांस रहते हैं. हम लोगों में से ज्यादातर लोग ऐसे वातावरण में सांस लेने का काम करते हैं और हमें यह इन्फेक्शन नहीं होता. हालांकि जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है या फेफड़ों की बीमारी जिन्हें होती है उनको संक्रमित होने का खतरा बहुत अधिक रहता है. यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (CDC) की मानें तो, ऐस्पर्जिलस से ऐलर्जिक रिऐक्शंस, लंग इन्फेक्शंस और शरीर के दूसरे अंगों में संक्रमण होने का खतरा रहता है. हालांकि यह संक्रामक बीमारी नहीं है और एक इंसान से दूसरे इंसान में इसका प्रसार नहीं होता है.
क्या हैं ग्रीन फंगस के लक्षणऔर बचाव के उपाय : सीडीसीकी मानें तो, अलग-अलग तरह के ऐस्पर्जिलोसिस में अलग तरह के लक्षण मरीज में नजर आते हैं. कॉमन लक्षणकी बात करें तो ये अस्थमा जैसे होते हैं जिसमें सांस लेने में दिक्कत, खांसी और बुखार, सिरदर्द, नाक बहना, साइनाइटिस, नाक जाम होना या नाक बहना, नाक से खून आना, वजन घटना, खांसी में खून, कमजोरी और थकान मरीज को महसूस होते हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि फंगल इन्फेक्शंस से बचना है तो साफ-सफाई और ओरल हाइजीन का खासतौर पर ध्यान देने की जरूरत है. ऐसी जगहों पर जाने से बचें जहां धूल-मिट्टी या पानी जमा हो. यदि आप ऐसी जगहों पर जाभी रहे हैं तो N95 मास्क पहनें… हाथ और चेहरे को साबुन-पानी से धोते रहें, खासतौर पर यदि मिट्टी और धूल के संपर्क में आए हों तोजरूर इस काम को करें….
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.