H3N2 Influenza: कोविड-19 के बाद H3N2 इन्फ्लुएंजा के मामले पूरे देश में बढ़ रहे हैं और यह वायरस भारत में पहले ही दो लोगों की जान ले चुका है. हालांकि यह आमतौर पर हल्की बीमारी का कारण माना जाता है, जो कमजोर वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. H3N2 के कारण अस्पताल में लोगों के भर्ती होने का मामला बढ़ता जा रहा है. ऐसे में काफी सतर्क रहने की जरूरत है. इसको बढ़ने से रोकने के लिए मास्क पहने, हैंडवॉश करें और डिस्टेंस का पालन करें. जैसे कोविड से बचने के उपाय किए गए थे. यह वायरस शिशुओं और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में तेजी से बढ़ती जा रही है, जिनमें से कई में सांस फूलने, खांसी, बुखार और निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, H3N2 इन्फ्लुएंजा विशेष रूप से बुजुर्गों और पहले से ही मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी समस्याओं या गुर्दे की बीमारी जैसी पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों में किडनी को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है.
‘इन्फ्लुएंजा, जिसे फ्लू वायरस के रूप में भी जाना जाता है, जो किडनी पर संभावित रूप से गंभीर प्रभाव डाल सकता है. माना जा रहा कि जो मरीज इन्फ्लूएंजा के कारण गंभीर रूप से बीमार हैं, वो तीस प्रतिशत मामलों में उनकी किडनी पर असर पड़ सकता है. खासकर जो पहले से ही अन्य बीमारी के शिकार हैं. मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग या क्रोनिक किडनी रोग जैसी कोई भी पुरानी बीमारी उच्चतम जोखिम समूह का गठन करती है. डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण के बाद के रोगियों में इन्फ्लुएंजा संक्रमण के कारण किडनी को और भी अधिक खतरा हो सकता है, जिससे सेकेंडरी बैक्टीरियल निमोनिया हो सकता है, और बहु -हृदय विफलता सहित अंग संबंधी जटिलताएं हैं. ये रोगी सामान्य आबादी की तुलना में प्रतिरक्षात्मक रूप से कमजोर और मृत्यु दर के उच्च जोखिम पर हैं, “डॉ सौरभ जोशी, वरिष्ठ सलाहकार और प्रमुख, यूरोलॉजी, यूरो-ऑन्कोलॉजी और किडनी प्रत्यारोपण, एकॉर्ड अस्पताल, फरीदाबाद दिल्ली एनसीआर का ये जानकारी साझा की है.
तेज बुखार, खांसी, गले में खराश, सिरदर्द, थकान, शरीर में दर्द, ठंड लगना H3N2 इन्फ्लूएंजा के सभी सामान्य लक्षण हैं, जबकि सांस की तकलीफ, गंभीर उल्टी, निर्जलीकरण, निम्न रक्तचाप, नीले होंठ, दौरे या आक्षेप, भ्रम, विशेषज्ञों के अनुसार सीने में दर्द और कम ऑक्सीजन संतृप्ति गंभीर बीमारी के लक्षण हैं.
डॉ जोशी के अनुसार रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने सिफारिश की है कि गंभीर जटिलताओं से बचने के लिए सीकेडी या डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण के बाद के रोगियों को वार्षिक इन्फ्लूएंजा टीकाकरण और नियमित किडनी विशेषज्ञ डॉक्टर के पास जाना चाहिए. साथ ही अधिकारियों से व्यक्तियों को इन्फ्लूएंजा टीकाकरण कार्यक्रम का विस्तार करने का आग्रह किया है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.