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Mother’s Day Special: देश शर्मिंदा है मांओं के साथ ऐसे दुर्व्यवहार पर, लॉकडाउन में शर्मसार करने वाली ये 5 घटनाएं पढ़िए

Happy Mothers Day 2020, how to care Pregnant Women & newborn baby during coronavirus lockdown कोरोना वायरस और लॉकडाउन के बीच अन्य मेडिकल सुविधाओं की भारी दिक्कत हो गई है. हालांकि, सरकार प्रयास कर रही है कि अन्य जरूरी हेल्थ सुविधाओं की कमी न हो सके. इन्हीं में से एक हेल्थ ईश्यू है प्रग्नेंसी. देश में रविवार, 10 मई को मदर्स डे (Mother's Day) मनाया जाना है. लेकिन, लॉकडाउन के दौरान झारखंड-बिहार समेत कई अन्य राज्यों से ऐसी घटनाएं सामने आयी जो काफी भयावह थी. दिल झकझोर देने वाली माओं के साथ घटित इन घटनाओं से देश शर्मिंदा है. तो आईये जानते हैं उन घटनाओं के बारे में..

By SumitKumar Verma | May 10, 2020 5:26 AM
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Happy Mothers Day 2020, how to care Pregnant Women & newborn baby during coronavirus lockdown कोरोना वायरस और लॉकडाउन के बीच अन्य मेडिकल सुविधाओं की भारी दिक्कत हो गई है. हालांकि, सरकार प्रयास कर रही है कि अन्य जरूरी हेल्थ सुविधाओं की कमी न हो सके. इन्हीं में से एक हेल्थ ईश्यू है प्रग्नेंसी. देश में रविवार, 10 मई को मदर्स डे (Mother’s Day) मनाया जाना है. लेकिन, लॉकडाउन के दौरान झारखंड-बिहार समेत कई अन्य राज्यों से ऐसी घटनाएं सामने आयी जो काफी भयावह थी. दिल झकझोर देने वाली माओं के साथ घटित इन घटनाओं से देश शर्मिंदा है. तो आईये जानते हैं उन घटनाओं के बारे में..

केस-1 : झारखंड में गर्भवती पत्नी को लेकर घुमता रहा पत्रकार, नहीं हुआ इलाज, बच्चे की मौत

झारखंड के रांची में एक अखबार के फोटो जर्नलिस्ट विनय मुर्मू अपनी गर्भवती पत्नी को लेकर घुमता रहा. लेकिन, अस्पताल की इमरजेंसी सेवा चालू नहीं होने के कारण बच्चे की कोख में ही मौत हो गई. इससे पहले भी ऐसी ही घटना एक और पत्रकार के साथ घट चुकी थी.

केस-2: बिहार के जहानाबाद में तीन साल के बच्चे की मौत

बिहार के जहानाबाद ज़िला में तीन साल के बच्चे की मौत बुखार और खांसी जैसे आम बीमारी के इलाज न करवा पाने से हो गई. लॉकडाउन के कारण उन्हें यह सुविधाएं नहीं मिल पाई. जिसका वीडियो भी काफी वायरल हुआ था.

केस-3: पति का मजदूरी का काम था बंद आठ वर्षीय बच्चे की हुई भूख से मौत

बिहार के भोजपुर से भी एक खबर आयी की मुसहर समुदाय से आने वाले आठ वर्षीय बच्चे की मौत भूख से हो गयी. दरअसल, उसकी मां का कहना था कि लॉकडाउन के चलते पति की मजदूरी बंद थी, जिसके कारण घर में खाना ही नहीं बना और बच्चे की भूख से मौत हो गई.

केस-4: उत्तर प्रदेश में बच्चे को जन्म देते ही मां और नवजात की मौत

यह घटना उत्तरप्रदेश की है जहां एक गर्भवती महिला को लॉकडाउन के कारण इमरजेंसी मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पायी, जिसके कारण बच्चे को जन्म देते ही मां और नवजात की मौत हो गई. आपको बता दें कि यह घटना उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में घटी. फिलहाल, यह इलाका हॉटस्पॉट क्षेत्र में आता है.

केस-5: रांची के कोरोना कैंटेनमेंट जोन हिंदपीढ़ी में स्वास्थ्य सेवा के अभाव में घर में जन्मे बच्चे की मौत

झारखंड की राजधानी रांची के कोरोना कैंटेनमेंट जोन हिंदपीढ़ी इलाके में आवश्यक स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलने के कारण नवजात की मौत हो गई. प्रसूता का घर में ही डिलीवरी करवाना पड़ा. इस दौरान बच्चे का जन्म तो हुआ, लेकिन कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई. इम्तियाज के अनुसार उसकी पत्नी नरगिस को रविवार की देर रात प्रसव पीड़ा हुई थी.

आपको बता दें कि यूनिसेफ ने हाल ही में चेतावनी देते हुए कहा था कि नई माताओं और नवजातों के लिए आने वाला समय काफी कठोर साबित होने वाला है. उन्होंने बताया है कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए दुनियाभर में प्रयास किए जा रहे है. लॉकडाउन और कर्फ्यू जैसे हालात होने के कारण दवाओं और मेडिकल उपकरणों या स्वास्थ्यकर्मी की कमी हो सकती है. इसके अलावा जिन महिलाओं को ये सब सुविधाएं मिल भी जाती है तो कोरोना संक्रमण का डर अलग से सताता रहेगा.

किन्हें सतर्क रहने की जरूरत

उन्होंने विकासशील देशों के बारे में भी बताते हुए कहा था कि यहां नवजात मृत्यु दर ज्यादा है. ऐसे में इन देशों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. उन्होंने एक आंकड़ा भी पेश किया जिसके अनुसार इस महामारी से पहले भी दुनिया में हर वर्ष करीब 28 लाख गर्भवती महिलाओं और नवजातों की मौत होते रही है.

यूनिसेफ ने ये भी बताया

यूनिसेफ के मुताबिक, 11 मार्च से 16 दिसंबर के बीच दुनियाभर में कुल 11 करोड़ 60 लाख बच्चे पैदा होने का अनुमान है. जिसमें अकेले भारत में ही 2.1 करोड़, जबकि चीन में 1.35 करोड़ बच्चे जन्म ले सकते हैं.

वहीं, नाइजीरिया में 60.4 लाख, पाकिस्तान में 50 लाख और इंडोनेशिया में 40 लाख और अमेरिका में 30 लाख से बच्चे पैदा हो सकते हैं.

कैसा किया गया यह आकलन

यूनिसेफ ने यह आकलन संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड पॉपुलेशन डिवीजन 2019 की रिपोर्ट पर की है. इस रिर्पोट के मुताबिक एक एक महिला कि गर्भावस्था आमतौर पर 9 महीने तक मानी जाती है. वहीं, कुछ समय से पहले और कुछ एक-दो दिन बाद भी पैदा होते हैं. हालांकि, 40 सप्ताह को ही इस संस्था ने पैमाना बनाया है.

गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतने की है जरूरत

– घरों में ही रहें, स्वस्थ रहें

– बाहर जाकर आने वाले परिवारों को पूरी तरह सैनिटाइज करवा कर ही घर पर आने दें

– पूरे गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर से संपर्क में रहें और उनसे पूछ कर प्रतिक्षा प्रणाली बढ़ाने वाले आहारों का सेवन करें

– घर पर वैसे काम ज्यादा करें जिससे नार्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ सकती है. इसके लिए बड़े-बुजूर्गों की सलाह ले सकते हैं

– कई जिलों में टेलीमेडिसिन सेवा की शुरुआत की गई है. ऐसे में आप घर बैठे डॉक्टरों के संपर्क में रह सकते हैं

– लॉकडाउन के दौरान दो-तीन अस्पतालों से संपर्क बना कर रखें, कभी भी किसी की जरूरत पड़ सकती है

– कोशिश करें कि कोरोना जांच गर्भवास्था के दौरान दो-तीन बार करा लें. हालांकि, अब इसे जरूरी जांच में ही शामिल कर दिया गया है. बावजूद, इसके आपको अपने नवजात की सुरक्षा के लिए इसे करवाना ही बेहतर होगा.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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