National Doctors Day 2021, Coronavirus Safety Tips, Corona 3rd Wave: कोरोना काल में कोविड-19 महामारी का कोई ओर-छोर पता नहीं था. न तब कोई उचित दवा थी और न वैक्सीन. लिहाजा सटीक उपचार से हम कोसों दूर थे. डॉक्टरों ने दिन-रात मरीजों की सेवा की. अपनी जान की परवाह किये बगैर खुद को समर्पित किया. निःसंदेह इस कठिन दौर में डॉक्टर मानवता के सबसे बड़े रक्षक साबित हुए हैं. महामारी से बचाव के लिए उन्होंने जो उपाय बताये, उसी की बदौलत आज हम धीरे-धीरे सामान्य जीवन की ओर लौट रहे हैं. मगर खतरा अभी टला नहीं है. अगर हमें यह जंग पूरी तरह से जीतनी है, तो उनके दिये कुछ प्रमुख सुझावों का कड़ाई से पालन करते रहना होगा.
कोरोना की पहली लहर में डॉक्टरों ने पाया कि कोरोना वायरस एक चेन की तरह एक से दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है और हमारे मुंह, नाक और आंखों के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है. विशेषकर हाथों से संक्रमण फैलने का खतरा सबसे ज्यादा है. संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने पर ड्रॉपलेट्स के साथ वायरस के कण एक से डेढ़ मीटर दूरी तक भी पहुंच सकते हैं. इसे देखते हुए विशेषज्ञों ने हैंड सैनिटाइजेशन या हाथों की साफ-सफाई का कड़ाई से पालन करना सिखाया. इस बात पर बल दिया कि साबुन से हाथ धोने पर 20 सेकेंड तक हाथों को रगड़ना है, जबकि सैनिटाइजर लगाने पर 30 सेकेंड तक. अनलॉक की इस घड़ी में भी इस मंत्र का कड़ाई से हम पालन करते रहें.
कोरोना की पहली लहर में डॉक्टरों ने जहां रेस्पायरेट्री हाइजीन, रेस्पायरेट्री एटिकेट्स पर बल दिया, आज उनका पालन कोरोना एप्रोप्रिएट बिहेवियर के रूप में हम कर रहे हैं. इसके अंतर्गत नाक, आंख, मुंह को ढक कर रखने पर बल दिया गया और मास्क इस महामारी से बचाव का सशक्त हथियार बन गया. शुरुआत में जो मास्क सिर्फ चिकित्साकर्मियों के लिए जरूरी था, वह अब सबके लिए अनिवार्य हो गया.
हालांकि शुरू में डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि सबको मास्क पहनने की जरूरत नहीं, लेकिन डॉक्टर हमेशा से मानते रहे कि बचाव के लिए मास्क पहनना जरूरी है. पहली लहर में डॉक्टरों ने फिल्टर्ड एन-95 मास्क पहनने की सिफारिश की, जबकि दूसरी लहर में कोरोना वायरस के एयरबॉर्न होने और मास्क में लगे फिल्टर से पास होने की संभावना मानी गयी. इस कारण बिना फिल्टर वाले एन-95 मास्क के उपयोग पर बल दिया गया. इसके साथ कोरोना के नये एयरोसोल वैरिएंट से बचाव के लिए डबल मास्किंग जरूरी हो गयी, जिसमें एक साथ दो मास्क या डबल लेयर मास्क पहनने पर बल दिया गया.
डॉक्टरों के मुताबिक, जरूरत और माहौल के मुताबिक समुचित मास्क पहनें. घर या कम भीड़भाड़ वाली जगह आप कपड़े वाला डबल लेयर मास्क पहनें जबकि अस्पताल, सार्वजनिक स्थान या भीडभाड़ वाले स्थानों पर एन-95 मास्क का प्रयोग बेहतर है.
कोरोना काल में डॉक्टरों ने हमें सिखाया कि जब भी एक-दूसरे से मिलें, सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें. पहली लहर में बचाव के लिए कम-से-कम दो गज की दूरी रखना जरूरी माना गया. वहीं दूसरी लहर में वायरस के एयरबॉर्न साबित होने पर 2 मीटर की दूरी बनाकर चलने पर बल दिया. वर्तमान में विशेषज्ञों ने सेंट्रल एसी वाले बंद कमरों में खाना न खाने, मीटिंग या काम न करने, सार्वजनिक यातायात संसाधनों में भी दूरी रखने की सलाह दी है, जिसकी अनदेखी घातक हो सकती है.
कोरोना से लड़ने के लिए डॉक्टरों ने हमारी इम्युनिटी को मजबूत बनाने पर बल दिया, जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ सके. इसके लिए इम्युनिटी बूस्टर हेल्दी डाइट लेना सिखाया. इसमें प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स युक्त खाद्य पदार्थ, हल्दी वाला दूध आदि लेना बताया गया जबकि ऑयली, फास्ट फूड, जंक फूड और एल्कोहल के सेवन से दूर रहने की सलाह दी गयी.
कोरोना से बचाव में आयुर्वेद चिकित्सकों की भूमिका भी अहम रही. उन्होंने इम्युनिटी बढ़ाने और कोरोना से बचाव में सपोर्टिव थेरेपी या एड-ऑन थेरेपी के रूप में दिन में 1-2 बार आयुर्वेदिक काढ़ा पीने को बताया, जो उपयोगी साबित हुई. हालांकि कई लोगों ने ज्यादा लाभ के चक्कर काढ़ा का अत्यधिक सेवन करना शुरू कर दिया, जिसका सेहत पर विपरीत प्रभाव भी देखा गया.
Also Read: Happy National Doctors Day 2021: क्यों और कब से मनाया जाने लगा डॉक्टर्स डे, जानें इस दिन का महत्व व इस बार का थीम
कोरोना की दूसरी लहर में लंग्स इन्फेक्शन के कारण मरीज में होने वाली ऑक्सीजन की कमी की समस्या आम रूप से देखी गयी. इसे देखते हुए डॉक्टरों ने मरीज को पेट के बल लेटना या प्रोनिंग टेक्निक, डीप ब्रीदिंग, स्पाइरोमीटर एक्सरसाइज करने के बारे में बताया, जो प्राथमिक उपचार के रूप में मरीज को राहत दिलाने और लंग्स की मजबूती में काफी कारगर साबित हुए.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, प्रोनिंग तकनीक 80 प्रतिशत तक कारगर है. वहीं जो लोग शुरू से योगासन, प्राणायाम, मेडिटेशन करते रहे, वे मजबूती से संक्रमण का सामना कर सके. अत: विशेषज्ञों द्वारा बताये अनुलोम-विलोम, प्राणायाम, भुजंगासन, मकरासन, गोमुखासन, पवनमुक्तासन आदि का अभ्यास सभी को नियमित रूप से करना चाहिए. इनसे ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है और रक्त में मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं. विभिन्न अंगों की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं, फेफड़ों को मजबूती मिलती है तथा इम्युनिटी डेवलप होती है.
डॉ एम वली
सीनियर फिजिशियन, सर गंगाराम अस्पताल, दिल्ली (सलाहकार पूर्व राष्ट्रपति)
डॉ संजय कालरा
प्रेसिडेंट, एंडोक्राइन सोसाइटी ऑफ इंडिया
बातचीत व आलेख : रजनी अरोड़ा
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.