Happy Nurses Day 2020 : दुनियाभर में ज्यादातर महिलाएं ही क्यों होती है नर्स
Happy Nurses Day 2020 भारत समेत दुनियाभर में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है. नर्स को अगर अस्पताल में मां का रूप कहा जाए तो गलत नहीं होगा क्योंकि जिस तरह मां अपने बच्चों का ख्याल रखती है उसी तरह नर्स भी मरीजों का रखती है.
भारत समेत दुनियाभर में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है. नर्स को अगर अस्पताल में मां का रूप कहा जाए तो गलत नहीं होगा क्योंकि जिस तरह मां अपने बच्चों का ख्याल रखती है उसी तरह नर्स भी मरीजों का रखती है.
कोरोना महामारी के दौरान इन्होंने जो निस्वार्थ भाव से सेवा की है वह सम्मानजनक है. जिसका कर्ज शायद दुनिया कभी न चुका पाए. बिना नर्सिंग के स्वास्थ्य सेवा असंभव है. मरीजों को भर्ती से लेकर इंजेक्शन, दवाएं या समय-समय पर जांच आदि इन्हीं के द्वारा किया जाता है. नर्स मरीजों की भावनाओं के साथ जुड़ी होती है. वह स्नेह व दुलार से रोगियों की देखभाल करती है.
ऐसे में साल में एक दिन तो बनता है इन्हें विशेष रूप से सम्मान देने का. इस दिवस को फ्लोरेंस नाइटइंगेल के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. फ्लोरेंस अपनी सेवा भाव के लिए जानी जाती थी.
रांची के नर्सिंग अस्पताल में काम कर रहीं नर्स अंजू श्रीवास्तव बताती हैं कि
– एक कुशल नर्स बनने के लिए कई गुण चाहिए
– मरीज़ का असल देखभाल नर्स ही करती है जबकि डॉक्टर इनका इलाज करते हैं
– जो मरीज़ के ज़ख्मों को केवल बाहर से ही नहीं बल्कि अंदर से भी भरे, वही कुशल नर्स कहलाती हैं
– कुशल नर्स बनने के लिए त्याग के साथ-साथ अच्छी ट्रेनिंग और तजुर्बा भी जरूरी है
– कम से कम एक से चार साल तक की नर्सिंग पढ़ाई के अलावा प्रैक्टिकल ट्रेनिंग ही कुशल नर्स के गुण होते है
– अंजू बताती है कि इस पेशे से बहुत कुछ सीखने को मिलता है.
– किसी भी इमरजेंसी केस के दौरान नर्सों को फौरन जरूरी कदम उठाने पड़ सकते है या कोई बड़ा निर्णय लेना पड़ सकता है. ऐसे में उनमें ये क्षमता होना आवश्यक है
जानिए दुनियाभर में महिलाएं ही क्यों होती है नर्स और दक्षिण भारतीय नर्सों का क्यों है मांग
– भारत में ज्यादातर नर्सें दक्षिण भारत से ही होती हैं. विशेषज्ञों की मानें तो समर्पण, बुद्धि और समय की पाबंदी के मामले में दक्षिण भारत की नर्सों का कोई विकल्प नहीं है
– दुनियाभर में महिला नर्स पुरूष नर्स की तुलना में काफी भरोसेमंद होती हैं. ज्यादातर मामलों में यह भी देखा गया है कि पुरूष इस तरह के सेवा को करने से इतराते है. हालांकि, पिछले कुछ सालों में यह आंकड़ा भी बदला है.
– दक्षिण भारत की महिलाएं ज्यादातर नर्सिंग को करियर बनाती हैं. इसके पीछे एक कारण यह भी है कि केरल, कर्नाटक में सैकड़ों नर्सिंग कॉलेज और अन्य संस्थान है जो हर साल नर्सों को प्रशिक्षित करते हैं. यहां नर्सिंग की पढ़ाई आम है.
– पड़ोसी देश अक्सर केरल में नर्सिंग छात्रों पर नज़र रखते हैं. उनका मानना है कि यहां कि छात्राएं काफी समर्पण रूप से कार्य करती हैं. इनकी कार्यक्षमता बहुत अधिक होती है. और समय की पाबंद भी होती हैं. यही कारण है कि विदेशों में भारतीय नर्सों की अधिक मांग है.
– एक और फैक्ट यह भी है कि केरल में साक्षरता बहुत अधिक है और महिलाओं का अनुपात भी बाकि राज्यों के मुकाबले अधिक है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.