Harmful Effects Of Mobile: स्मार्टफोन ने एक ओर जहां लोगों की जिंदगी काफी आसान बना दी है और इसकी मदद से लोग तकनीक की दुनिया से जुड़ते जा रहे हैं. वहीं इसका हद से ज्यादा इस्तेमाल नुकसान भी पहुंचाता है. खासतौर पर अगर बात छोटे बच्चों की करें तो ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से वो कई बीमारियों के शिकार बन सकते हैं. अगर आप का भी बच्चा हर वक्त फोन से चिपका रहता है तो आपको सतर्क होने की जरूरत है क्योंकि यह थोड़ी देर कि एंटरटेनमेंट आपके बच्चे के जीवन पर ग्रहण लगा सकती है. आपका बच्चा मानसिक और शारीरिक तौर पर बीमार हो सकता है.
मोबाइल की जरूरत से ज्यादा उपयोग से आपका बच्चा डिप्रेशन का शिकार हो सकता है. इसके साथ ही आपका बच्चा बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा और गुस्सैल बन सकता है. दरअसल ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से बचा बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं कर पाता है, ऐसे में जब बाद में आदत बदलने की कोशिश की जाती है तो वह आक्रमक चिड़चिड़ा और डिप्रेशन में चला जाता है.
एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि 10 साल तक के बच्चे अगर 7 घंटे से ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं तो उनके दिमाग पर गहरा असर पड़ता है ज्यादा समय मोबाइल फोन पर चिपके रहने से बच्चों के दिमाग की बाहरी परत पतली पड़ जाती है इसे दिमाग की ग्रोथ पर भी बुरा असर पड़ता है.
बच्चों का स्मार्टफोन की स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना आंखों में सूखे पन का कारण बन सकता है. कम उम्र में ही बच्चों को चश्मा लगने लग जाता है, उनकी आंखों का नंबर बढ़. जाता है इतना नहीं कई बार इस से सिरदर्द जैसी समस्या और माइग्रेन जैसी परेशानी हो सकती है.
अमेरिका के एनजीओ सैपियन लैब्स ने इस स्टडी को 40 से अधिक देशों में किया. नए ग्लोबल स्टडी में 40 से अधिक देशों के 18 से 24 साल की आयु के 27,969 एडल्ट्स का डेटा जुटाया गया. इसमें भारत के लगभग 4,000 युवा शामिल हैं. इसमें पाया गया कि महिलाएं अधिक प्रभावित दिखाई देती हैं. इसमें महिलाएं अधिक प्रभावित दिखीं. ‘एज ऑफ फर्स्ट स्मार्टफोन एंड मेंटल वेलबीइंग आउटकम’ स्टडी के तहत मेंटल हेल्थ कोशेंट (MHQ) के तहत मानसिक क्षमताओं और लक्षणओं का आकलन किया गया. इसके तहत अंकों की तुलना उत्तरदेने के बीच पहले स्मार्टफोन या टैबलेट के स्वामित्व की रिपोर्ट की गई आयु से की गई थी.
सर्वे के रिजल्ट्स में माता-पिता के लिए एक स्पष्ट संदेश है. इसमें जितना हो सके अपने बच्चे को स्मार्टफोन देने में देरी करें. न्यूरोसाइंटिस्ट का कहना है कि बच्चों पर अपने साथियों का दबाव अधिक है. ऐसे में अपने पर बच्चे पर ध्यान दें.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.