डॉ राजीव वर्मा, डीएचएमएस
ठंड में बुजुर्गों को जिस चीज से सबसे ज्यादा दिक्कत होती है, वह है श्वसन से जुड़े रोग, जैसे- ब्रोंकाइटिस और अस्थमा आदि. होमियोपैथी में लक्षण के आधार पर ट्रीटमेंट कराने से काफी लाभ मिलता है.
सर्दियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. ठंड व आलस्य के कारण लोग फिजिकल एक्टिविटी में भी कम भाग लेते हैं. साथ ही इस मौसम में भोजन भी थोड़ा ज्यादा ही लेते हैं. गर्म पकौड़े, समोसा और अन्य तली-भुनी चीजें इस मौसम में खाने का मजा ही कुछ खास होता है. हालांकि, लो इम्युनिटी और फिजिकल एक्टिविटी की कमी से कई तरह की समस्याएं आपको परेशान कर सकती हैं.
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बुजुर्गों का ठंड के मौसम में खास ख्याल रखने की जरूरत होती है, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता एक युवा की अपेक्षा कम होती है. साथ ही उन्हें कई क्रॉनिक डिजीज का भी सामना करना पड़ता है. ठंड में बुजुर्गों को जिस चीज से सबसे ज्यादा दिक्कत होती है, वो हैं श्वसन से जुड़े रोग जैसे- अस्थमा, ब्रोन्काटिस, सीओपीडी और साइनस आदि. पहले से ही कमजोर फेफड़े वाले या अधिक ध्रूमपान करनेवाले लोगों पर इसका अधिक असर होता है, लेकिन आजकल प्रदूषण का स्तर ऐसा है कि धूम्रपान न करने वाले भी इससे पीड़ित हैं.
इस स्थिति में बार-बार खांसी आना, दम फूलना, सांस लेने में तकलीफ होना, पसीना आना, बेचैनी महसूस होना, सिर भारी लगना जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं. अस्थमा के अटैक से बचने के लिए ध्रूमपान, धुएं और धूल से बचना चाहिए. इसके लिए मरीज इन्हेलर का प्रयोग करते हैं, लेकिन इससे पूर्ण रूप से छुटकारा पाना मुश्किल है. हालांकि, कुछ समय के लिए आराम जरूर मिल जाता है. सांसों से जुड़ी समस्या में सरल व स्वाभाविक रूप से होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति से छुटकारा मिल सकता है.
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होमियोपैथी में रोग के इलाज के बजाय लक्षण का परीक्षण कर दवाई दी जाती है. इसके लिए पहले डॉक्टर से मिलकर सलाह लें और उसी के हिसाब से दवाइयों का सेवन करें, तभी पूरा लाभ मिलेगा. दवाइयों के सेवन के साथ खान-पान और फिजिकल फिटनेस पर भी ध्यान देना जरूरी होगा.
Arsenicum album 200 : यदि रोगी को खांसी मध्य रात्रि के बाद तीव्र रूप धारण कर ले, सांस लेने में तकलीफ हो, दम फूलने लगे, रोगी सो नहीं पाये, उठ कर बैठ जाये, बेचैनी अधिक हो, गला सूखने लगे एवं थोड़ी-थोड़ी देर में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी पीने की इच्छा हो, तो यह दवा चार-चार बूंद सुबह व रात को लेने से लाभ मिलेगा.
Kali arsenicosum 200 : रोगी को सीने में घड़घड़ाहट की आवाज सुनायी दे या महसूस हो, गला बैठ जाये, पीले रंग का खखार निकले, शाम में तकलीफ ज्यादा महसूस हो और खुली हवा में रहना अच्छा लगे, तब यह दवा रोजाना चार-चार बूंद सुबह-शाम लेने से लाभ मिलेगा.
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Senega 200c : रोगी को बहुत ज्यादा खांसने पर हल्का चिपचिपा खखार निकले, जिसकी मात्रा अधिक हो, खखार लगातार निकले, खुली हवा में तकलीफ बढ़ जाये तब यह दवा रोजाना चार-चार बूंद सुबह-दोपहर-शाम को लेने से लाभ मिलेगा.
Blatta orientalis : जब रोगी को सांस लेने में तकलीफ हो, खांसी से आराम न मिले, तब इस दवा की मदर टिचर शक्ति में आठ बूंद, चार-चार घंटे पर आधा कप पानी के साथ लें.
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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.