विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, निपाह एक ज़ूनोटिक वायरस है जो जानवरों से मनुष्यों में फैलता है. हालांकि, यह दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे लोगों के बीच भी फैल सकता है. निपाह वायरस के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह ने पता लगाया था. उसी के बाद इस वायरस का नाम निपाह पड़ा. बताया जाता है, उस समय सुकर पालक किसान को मस्तिष्क ज्वर हुआ था. जिसके के बाद इस वायरस का वाहक सुकर को माना गया. सिंगापुर में भी इसके बारे में 1999 में पता चला था. ये सबसे पहले सुकर, चमगादड़ या अन्य जीवों को प्रभावित करता है. इसके बाद संपर्क में आने वाले मनुष्यों को भी चपेट में ये लेता है. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, वायरस के संक्रमण से हल्की से गंभीर बीमारी हो सकती है. सीडीसी का कहना है कि लक्षण अक्सर सिरदर्द और उनींदापन से शुरू होते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में कोमा में बदल सकते हैं.
क्या है इसके लक्षण
निपाह वायरस के लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के चार से 14 दिनों के भीतर शुरू होते हैं. पहले बुखार या सिरदर्द होना और बाद में खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसी श्वसन समस्याएं विकसित होना आम बात है.
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निपाह वायरस के शुरुआती लक्षणों में ये शामिल हो सकते हैं:
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बुखार
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सिरदर्द
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साँस लेने में कठिनाई
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खांसी और खराब गला
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दस्त
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उल्टी करना
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मांसपेशियों में दर्द और गंभीर कमजोरी
इसके गंभीर लक्षण
निपाह वायरस के गंभीर मामलों में, व्यक्ति को मस्तिष्क संक्रमण (एन्सेफलाइटिस) हो सकता है, जो जीवन के लिए खतरा है. अन्य गंभीर लक्षणों में शामिल हैं:
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भ्रम और भटकाव.
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अस्पष्ट वाणी.
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दौरे
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प्रगाढ़ बेहोशी
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श्वसन संकट
शोधकर्ता पूरी तरह से निश्चित नहीं हैं कि क्यों कुछ लोगों में गंभीर लक्षण होते हैं और अन्य में हल्के लक्षण होते हैं. जबकि, वायरस से पीड़ित कुछ लोगों में कोई लक्षण ही नहीं होते हैं.
कैसे फैलता है निपाह
निपाह वायरस चमगादड़, सुकर या अन्य NiV संक्रमित लोगों से सीधे संपर्क में आने से फैलता है. यह इंफेक्शीन फ्रूट बैट्स या flying foxes के माध्यम से भी प्रसारित होता है जो हेंड्रा और नेपाह वायरस के प्राक्रतिक संग्रह के समुदाय हैं. ये वायरस चमगादड़ के मल-मूत्र, लार में मौजूद होता है. ये वायरस श्वसन बूंदों से फैलता है. इसका मतलब यह है कि जब कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो यह हवा के माध्यम से फैल सकता है. वायरस के लिए मुख्य जोखिम कारक चमगादड़ों, सुकरों और ज्ञात संक्रमण वाले मनुष्यों के साथ संपर्क में आना है, खासकर निपाह वायरस के प्रकोप वाले क्षेत्रों में. आपको बीमार जानवरों से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए. कच्चे खजूर के रस या फल का सेवन भी एक जोखिम कारक है क्योंकि चमगादड़ उन पर पेशाब, मल और अन्य तरल पदार्थ छोड़ सकते हैं. फल चमगादड़ इस वायरस के मेजबान हैं जो प्रकृति में अत्यधिक संक्रामक है. यह वायरस ज्यादातर चमगादड़ और सुकरों से, दूषित भोजन के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. यह सीधे इंसान से इंसान में भी फैल सकता ह. भारत में पहले के प्रकोप में, वायरस चमगादड़ के दूषित मूत्र और लार से फैला था. वायरस का मानव से मानव में संचरण अधिकतर परिवार के सदस्यों और देखभाल करने वालों के बीच होता है.
कोई दवा उपलब्ध नहीं
अभी तक निपाह वायरस के खिलाफ कोई दवा उपलब्ध नहीं है. इससे बचाव के लिए सुरक्षा उपायों का पालन करना चाहिए. “यदि किसी प्रकोप का संदेह है, तो जानवरों के परिसर को तुरंत अलग कर दिया जाना चाहिए. संक्रमित जानवरों को मारना – शवों को दफनाने या जलाने की कड़ी निगरानी के साथ – लोगों में संचरण के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक हो सकता है. जानवरों की आवाजाही को प्रतिबंधित या प्रतिबंधित करना अन्य क्षेत्रों में संक्रमित खेतों से बीमारी के प्रसार को कम किया जा सकता है, यह डब्ल्यूएचओ का सुझाव है.
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कैसे बचें
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अपने हाथ बार-बार धोएं.
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बीमार सुकरों या चमगादड़ों के संपर्क से बचें.
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सुकर फार्मों को साफ और कीटाणुरहित करें. वायरस वाले जानवरों को तुरंत संगरोध में जाना चाहिए.
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उन पेड़ों या झाड़ियों से बचें जहां चमगादड़ आराम करने या सोने के लिए जाने जाते हैं.
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ऐसी चीजें खाने या पीने से बचें जो दूषित हो सकती हैं, जैसे ताड़ का रस या फल. यदि आप ताड़ का रस इकट्ठा करते हैं, तो पहले उसे उबालें.
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सभी फलों को खाने से पहले धोकर छील लें.
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चमगादड़ के काटने वाले किसी भी फल या जमीन को छूए हुए फल को फेंक दें.
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वायरस से पीड़ित व्यक्ति की लार, रक्त या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क से बचें.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.