Health Tips: तनाव के ताने-बाने से ऐसे मिलेगी राहत, जानें यहां

शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसे कभी तनाव न होता हो. मगर लंबे समय तक जब यही तनाव व्यक्ति को घेरे रहे, तो यह हावी होने लगता है और कई तरह की मानसिक व शारीरिक समस्याओं को जन्म देता है. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि तनाव के जाल को हम समझें और उसे कम करने व उससे उबरने के उपायों पर गौर करें.

By विवेक शुक्ला | April 26, 2023 1:18 PM
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Health Tips: इंटरनेशनल स्ट्रेस मैनेजमेंट एसोसिएशन, अमेरिका के अनुसार किसी वास्तविक या काल्पनिक खतरे की आशंका, किसी कार्य के प्रति अत्यधिक चिंता के मद्देनजर शरीर जो प्रतिक्रिया करता है, उसे तनाव कहते हैं. इस प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप आपका शरीर किसी भी खतरे से लड़ने के लिए स्वयं को तैयार करता है. तनावग्रस्त स्थिति में शरीर में कॉर्टिसोल नामक हॉर्मोन सक्रिय होते हैं, जो आशंकित खतरे से बचाने के लिए आपको तैयार करते हैं. बावजूद इसके, कॉर्टिसोल की सक्रियता से आपका रक्तचाप और रक्त शर्करा बढ़ जाती है.

तनाव के तीन प्रमुख प्रकार

  1. एक्यूट स्ट्रेस : अचानक किसी परिस्थिति के सामने आने पर व्यक्ति एक्यूट स्ट्रेस से गुजरता है और परिस्थिति के सामान्य होने पर ऐसा स्ट्रेस स्वत: खत्म हो जाता है. जैसे किसी सड़क हादसे का शिकार होने से बचना, किसी खाई या गड्ढे में गिरने से बचना आदि स्थितियां.

  2. एपिसोडिक एक्यूट स्ट्रेस : जब एक्यूट स्ट्रेस बार-बार होता है, तब इसे एपिसोडिक एक्यूट स्ट्रेस कहा जाता है. ऐसे व्यक्ति लगातार तनावग्रस्त और चिंताग्रस्त रहते हैं.

  3. क्रॉनिक स्ट्रेस : लंबे अरसे तक जब एक व्यक्ति तनावग्रस्त रहता है, तो इस स्थिति को क्रॉनिक स्ट्रेस कहते हैं. क्रॉनिक स्ट्रेस में डिप्रेशन, एंग्जाइटी, उच्च रक्तचाप, एंजाइना, हाजमा खराब रहना, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होते जाना जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं.

प्राकृतिक माहौल का महत्व

मेडिकल जर्नल द लैसेंट के अनुसार, घास, हरे-भरे पेड़ों, पौधों और बगीचों के बीच टहलना स्ट्रेस या तनाव को कम करने में सहायक है, इसलिए अवसर मिलने पर वाहनों से भरी सड़कों के बजाय हरे-भरे माहौल में भ्रमण करना आपकी सेहत के लिए लाभप्रद है.

तनाव के लक्षणों को कैसे पहचानें

  • शारीरिक लक्षण : धड़कन का बढ़ जाना, पसीना आना, सिरदर्द, कभी-कभी सीने में दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन, चक्कर आना, अनिद्रा या कम नींद आना, स्थिति गंभीर होने पर बेहोशी.

  • भावनात्मक लक्षण : चिड़चिड़ापन, घबराहट होना, छोटी-छोटी बातों पर क्रोध आना, असुरक्षित महसूस करना, काम में ध्यान एकाग्र न कर पाना, थकावट महसूस करना, याददाश्त का कमजोर होते जाना.

  • व्यवहार संबंधी लक्षण : सामाजिक रिश्तों से दूरी बनाना, अकेलापन महसूस करना, नशे की लत, शारीरिक संबंधों की इच्छा का कम होते जाना आदि लक्षणों के महसूस होने पर डॉक्टर से परामर्श लें.

नींद पूरी करना बहुत जरूरी

अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन के अनुसार, स्ट्रेस को दूर करने के लिए 7 से 8 घंटे की नींद लेना अत्यंत लाभप्रद है. अध्ययन में गहरी नींद को तनाव को दूर करने वाला बताया गया है. नींद से आपका मस्तिष्क शांत रहता है और तंत्रिका तंत्र अच्छी तरह कार्य करता है. इसके परिणामस्वरूप तनाव कम होता है.

तनाव की रोकथाम और उसका प्रबंधन

  • योग, प्राणायाम व ध्यान (मेडिटेशन) : महर्षि यूरोपियन रिसर्च यूनिवर्सिटी, नीदरलैंड्स के एक अध्ययन के अनुसार, तनाव को नियंत्रित करने में सांस संबंधी व्यायाम खासकर प्राणायाम और विभिन्न प्रकार के योगासन अत्यंत लाभप्रद हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, तनाव के दौरान सांस की लय, गति असहज हो जाती है. सांस का असहज होना किसी भी प्रकार के तनाव का बुनियादी लक्षण है, इसलिए गहरी सांस लेना, उसे रोकना और फिर धीरे-धीरे उसे छोड़ने की क्रियाएं आपको काफी हद तक तनावमुक्त रखने में मददगार हैं. इसी तरह ध्यान करने से भी स्ट्रेस को दूर करने में मदद मिलती है. ध्यान की अनेक विधियां हैं, जिन्हें योग विशेषज्ञ से सीख सकते हैं.

  • अन्य व्यायाम : योग-प्राणायाम के अतिरिक्त अन्य व्यायाम से भी शरीर को तनावमुक्त रखने में मदद मिलती है, लेकिन व्यायाम को अपनी शारीरिक क्षमता व उम्र के अनुसार करें. इस संदर्भ में फिटनेस एक्सपर्ट से परामर्श लें.

इन बातों पर जरूर दें ध्यान

  • तनाव को नियंत्रित करने के संदर्भ में हमें शारीरिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए. जैसे सही समय पर सोना और उठना, एक निश्चित समय पर भोजन करना, नियमित रूप से व्यायाम करना और संतुलित पौष्टिक आहार ग्रहण करना आदि.

  • याद रखें, तनाव हर व्यक्ति को होता है और जब तक जिंदगी है, तब तक यह सिलसिला चलता है. तनाव कुछ समय के लिए अच्छा होता है, लेकिन अगर यही तनाव अधिक दिनों तक हावी रहे तो यह स्थिति अनियंत्रित हो जाती है. ऐसे में स्ट्रेस की रोकथाम के प्रति हमें स्वयं ही जागरूक होना पड़ेगा.

  • हर व्यक्ति की समस्या और सोच अलग होती है. उम्र व परिस्थितियों के कारण स्ट्रेस मैनेजमेंट की विधियां भी अलग-अलग होती हैं.

  • सकारात्मक हो नजरिया : स्ट्रेस को नियंत्रित करने के लिए यह आवश्यक है कि हमें इसे एक चुनौती के रूप में लेना है, समस्या के रूप में नहीं. अगर ऐसी सोच हम रखेंगे तो निश्चय ही तनाव को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.

  • वर्तमान पर ध्यान : अतीत और भविष्य पर नहीं, बल्कि वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करें. याद रखें, सब चीजों पर हमारा नियंत्रण नहीं होता, लेकिन हमारी अपनी प्रतिक्रिया हमारे हाथ में होती है.

  • कई दिनों से अगर आप तनावग्रस्त हैं, तो मनोरोग विशेषज्ञ से परामर्श लें. अगर पीड़ित ऐसा नहीं करता, तो यह परिजनों की जिम्मेदारी है.

परिजनों और दोस्तों से संवाद

द इंटरनेशनल जर्नल ऑफ स्ट्रेस मैनेजमेंट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, दोस्तों व परिजनों के साथ सार्थक संवाद स्थापित करने से स्ट्रेस में काफी कमी आती है और व्यक्ति अच्छा महसूस करता है. इसके अलावा जीवनसाथी के साथ समय बिताने व मालिश से भी स्ट्रेस में कमी आती है.

मानसिक स्वास्थ्य के लिए नृत्य टॉनिक

अवसर मिलने पर अकेले या ग्रुप में आप अपनी सुविधा और क्षमता के अनुसार एक निश्चित समय तक नृत्य (डांस) कर सकते हैं. डांस मस्तिष्क में सेरोटोनिन रिलीज करता है, जो दिमाग को खुशनुमा बनाने में मददगार है.

स्कूली बच्चों में तनाव

कोविड-19 के दौर के बाद बच्चों की पढ़ाई के तौर-तरीकों में बुनियादी रूप से बदलाव आया है. ऑनलाइन क्लासेज का प्रचलन बढ़ा है. इस संदर्भ में सबसे बड़ी बात यह है कि बच्चों पर अभिभावकों का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दबाव बना रहता है कि वे परीक्षाओं में सर्वोत्तम प्रदर्शन करें. इसके साथ ही सोशल मीडिया का भी बच्चों के दिलो-दिमाग पर प्रभाव पड़ रहा है, जो बच्चों में स्ट्रेस बढ़ा रहा है. ऐसी समस्याओं से बचाव के लिए बच्चों को मनोवैज्ञानिक (साइकोलॉजिस्ट) या मनोरोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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