Prabhat Khabar Special: अच्छी नींद व स्वस्थ आहार से मस्तिष्क रहेगा सेहतमंद
एक वयस्क मानव मस्तिष्क का वजन लगभग 3 पाउंड (1.4 किलोग्राम) होता है. यह मुख्य रूप से तीन भागों, अग्र मस्तिष्क, मध्य मस्तिष्क और पश्च मस्तिष्क में बंटा होता है. मस्तिष्क के तीनों हिस्सों के काम अलग-अलग होते हैं
विवेकानंद सिंह :
स्वस्थ मस्तिष्क के बिना सेहतमंद होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. किसी भी बात को याद रखने से लेकर शरीर को पूरे दिन संचालित करने का काम मस्तिष्क का ही होता है. एक प्रकार से यह हमारे शरीर का नियंत्रक है. ऐसे में इसमें होने वाली किसी भी समस्या का सीधा असर हमारे शारीरिक सेहत पर होता है. यही वजह है कि हमें मस्तिष्क का खास ख्याल रखने की जरूरत है, लेकिन अधिकांश लोग मस्तिष्क की सेहत पर शरीर के अन्य अंगों की तरह ध्यान नहीं देते हैं. इससे कई न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों का जोखिम बढ़ जाता है, इसलिए जरूरी है कि हम अपने मस्तिष्क के सेहत की अनदेखी न करें.
मस्तिष्क हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण व जटिल अंगों में से एक है. यह अरबों न्यूरॉन्स और सहायक ग्लियल कोशिकाओं से बना होता है. एक जटिल नेटवर्क की तरह ये न्यूरॉन्स हमारे शरीर के सामान्य कामकाज जैसे- स्मृति, भावना, विचार, स्पर्श, दृष्टि, श्वास पैटर्न और मानव शरीर को नियंत्रित करने वाली हर प्रक्रिया का प्रबंधन करने में सहायक होते हैं. आज के समय में यह देखने को मिल रहा है कि लोगों में तनाव, डिप्रेशन, याददाश्त की कमी जैसी समस्याओं के साथ अल्जाइमर, डिमेंशिया, एपिलेप्सी,
ब्रेन स्ट्रोक, पार्किंसंस, माइग्रेन, ब्रेन ट्यूमर, मल्टीपल स्क्लेरोसिस आदि बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इन बीमारियों की वजह से व्यक्ति को विकलांगता का भी शिकार होना पड़ सकता है. खास बात है कि सतर्कता बरत कर इनमें से कई बीमारियों को होने से रोका जा सकता है.
तीन भागों में बंटा होता है मस्तिष्क
एक वयस्क मानव मस्तिष्क का वजन लगभग 3 पाउंड (1.4 किलोग्राम) होता है. यह मुख्य रूप से तीन भागों, अग्र मस्तिष्क, मध्य मस्तिष्क और पश्च मस्तिष्क में बंटा होता है. मस्तिष्क के तीनों हिस्सों के काम अलग-अलग होते हैं. आमतौर पर हमारे शरीर के विभिन्न अंगों का विकास समय के साथ स्वतः होता रहता है, लेकिन यह चीज मस्तिष्क के मामले काफी अलग है. अगर एक व्यक्ति स्कूल, कॉलेज न जाये या किसी तरह का ज्ञान हासिल न करे, तो उसका मस्तिष्क पढ़े-लिखे लोगों के मस्तिष्क के मुकाबले अलग तरह से रिस्पॉन्स करता है.
इसके साथ-साथ भागदौड़ वाली जीवनशैली में हम कुछ ऐसी आदतों को अपनाने लगते हैं, जो हमारे मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव डालती हैं. साथ ही जब हम मस्तिष्क के पोषण और विकास के उपायों पर ध्यान नहीं देते, तो उसका असर मस्तिष्क की सेहत पर पड़ता है.
कम उम्र में भी हो रही हैं समस्याएं
खासकर बढ़ती उम्र में मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. 50 वर्ष की उम्र के बाद अक्सर लोगों को सोचने, समझने और चीजों को याद रखने से जुड़ी समस्याएं होती हैं. खान-पान और खराब जीवनशैली के कारण आजकल कम उम्र के लोगों में भी यह समस्याएं देखने को मिलने लगी हैं. इन न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर में मल्टीपल स्केलेरोसिस, अल्जाइमर रोग, पार्किंसंस रोग, मिर्गी और स्ट्रोक शामिल हैं.
इन समस्याओं के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर सही समय पर इलाज लेने से आप गंभीर परेशानी का शिकार होने से बच सकते हैं. दिमाग से जुड़ी बीमारियों का कोई सटीक उपचार तो नहीं है, लेकिन इन बीमारियों को सही समय पर बचाव और जरूरी इलाज से ठीक या कंट्रोल किया जा सकता है. डिमेंशिया, अल्जाइमर समेत मस्तिष्क से जुड़ी कई ऐसी बीमारियों के लक्षण शुरुआत से ही दिखने लगते हैं.
इन लक्षणों की न करें अनदेखी (बॉक्स)
किसी भी बीमारी या समस्या की शुरुआत में सही कदम उठाने से आप गंभीर रूप से इनका शिकार होने से बच सकते हैं. ऐसे में मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी के शुरुआती लक्षणों पर नजर रखें और यदि निम्न लक्षण लगातार दिखें तो विशेषज्ञ चिकित्सक से जरूर सलाह लें
गिनती करते समय गलतियां करना :
दिमाग सही से काम करने पर आप पैसे गिनते समय बार-बार गलतियां नहीं करते हैं. अगर किसी भी व्यक्ति को लगातार पैसे गिनने में या किसी चीज का हिसाब-किताब करने में परेशानी होती है, तो यह दिमाग से जुड़ी कुछ समस्याओं का संकेत हो सकता है.
चीजों को भूलने की समस्या :
बढ़ती उम्र में चीजों को याद रखना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. अगर कम उम्र में भी चीजों को याद रखने में समस्या हो रही है, तो इसे दिमाग से जुड़ी बीमारी का संकेत माना जाता है.
बातचीत करते समय दिक्कत :
डिमेंशिया जैसी समस्या में मरीज को बातचीत करने में भी दिक्कत होती है. अगर कोई भी व्यक्ति लंबे समय से बातचीत करने में परेशानी का शिकार हो रहा है या सही शब्दों का चुनाव नहीं कर पा रहा है, तो इसे सामान्य नहीं समझना चाहिए.
व्यवहार में अचानक बदलाव :
किसी भी व्यक्ति के व्यवहार में अचानक बदलाव चौंकाने वाला होता है. अगर किसी व्यक्ति के व्यवहार में पहले से उलट बदलाव हो रहे हैं, तो इसे दिमाग से जुड़ी समस्या का संकेत माना जाता है.
सुबह के समय सिरदर्द होना :
ब्रेन ट्यूमर दिमाग की बड़ी बीमारियों में से एक है, जिसकी वजह से दिमाग की नसें दबने लगती हैं और इसका कामकाज कम होने लगता है. इसका सबसे आम लक्षण अक्सर सुबह सिरदर्द होना है.
हाइ बीपी व डायबिटीज होना :
यदि आपको उच्च रक्तचाप व मधुमेह में से कोई समस्या है, तो इसका असर भी मस्तिष्क की सेहत पर पड़ता है. ऐसे में इनको भी नियंत्रण में रखना जरूरी है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.