Healthy Life: हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर के लिए नमक और चीनी दोनों ही जरूरी हैं. इनमें पाये जाने वाले सोडियम व ग्लूकोज से हमें अपने दैनिक कार्यों को करने की शक्ति मिलती है. नमक के बिना तो हर भोजन अधूरा है, लेकिन शरीर में इनकी कमी हो तो परेशानी और अगर हम इसे ज्यादा लेते रहें, तो और भी बड़ी परेशानी हो सकती है. कई शोधों में यह सामने आ चुका है कि आहार में नमक और चीनी की अधिकता की वजह से लोग जीवनशैली से जुड़े गंभीर रोग, जैसे- डायबिटीज, ब्लड प्रेशर व हृदय रोग आदि के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में जानना जरूरी है कि हम अपने आहार में नमक-चीनी को कैसे कम करें.
मूल रूप से चीनी शरीर के लिए जरूरी है. दरअसल, हमारा शरीर चीनी (ग्लूकोज) पर ही चलता है. हमारी कोशिकाएं रक्त में से ग्लूकोज को सोखती हैं और ऊर्जा के रूप में उसका प्रयोग करती हैं. दिक्कत तब होती है, जब शरीर में शुगर की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो जाती है. आप आहार में अतिरिक्त चीनी की जगह कार्बोहाइड्रट वाले आहार, जैसे- अनाज, ओट्स, फल, सब्जियां आदि खा रहे हैं, तो चीनी की जरूरत स्वत: पूरी हो जायेगी, क्योंकि आपका शरीर कार्बोहाइड्रेट को तोड़कर शुगर में बदल देता है, जिससे शरीर को जरूरी ऊर्जा मिल जाती है.
श्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, एक वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन 5 ग्राम यानी एक चम्मच नमक से ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए. वहीं 2 से 15 वर्ष तक के बच्चों को वयस्कों की तुलना में कम नमक का सेवन करना चाहिए. वहीं, शुगर प्राकृतिक तौर पर सब्जियों, फलों, अनाज और दुग्ध उत्पादों में हमें मिलता है. जब हम इन्हें खाते या पीते हैं, तो यह सीधे तौर पर हमारे शरीर में जाता है. वहीं, जिस चीनी को हम अपनी चाय या पेय पदार्थों, भोजन में मिलाते हैं, वह अतिरिक्त शुगर है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन 6 चम्मच चीनी यानी 25 से 30 ग्राम तक अतिरिक्त चीन का सेवन करना चाहिए, जबकि लोग स्वास्थ्य से ज्यादा स्वाद को महत्व देते हैं. वे प्रतिदिन तय मानक के दोगुने से भी ज्यादा नमक-चीनी अपने आहार में ले रहे हैं. उन्हें नमकीन और मीठी चीजों का स्वाद कुछ ज्यादा ही भाता है, लेकिन ये चीजें स्वास्थ्य के लिए खतरा बढ़ा देती हैं.
नमक का रसायनिक नाम सोडियम क्लोराइड है. इसमें मौजूद सोडियम हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है, लेकिन इसकी जरूरत काफी कम मात्रा में होती है. डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों मुताबिक, एक भारतीय औसतन 11 ग्राम से ज्यादा नमक का इस्तेमाल एक दिन में करता है. यानी जितना नमक जरूरी है, उससे दोगुना. यही कारण है कि भारत में करीब 70 प्रतिशत लोग ब्लड प्रेशर की समस्या से ग्रस्त हैं. इनमें से 40 प्रतिशत लोगों को तो पता ही नहीं है कि उन्हें बीपी है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि सिर्फ ज्यादा नमक खाने से ही हाइ बीपी, हार्ट या किडनी आदि की बीमारी हो जाती है. इसके लिए दूसरे कारक भी जिम्मेदार हो सकते हैं, लेकिन नमक इसका एक बड़ा कारक है. डब्ल्यूएचओ ने लक्ष्य रखा है कि 2025 तक खान-पान में नमक का उपयोग 30 प्रतिशत तक कम किया जाना चाहिए. इससे लोगों की बीपी और हार्ट की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है.
हमारे हर दिन के सामान्य भोजन से ही हमें पर्याप्त मात्रा से कुछ ज्यादा नमक मिल जाता है. ऐसे में बाहर की कोई भी चीज जैसे- बिस्किट, ब्रेड, चाइनीज फूड या अन्य जंक फूड, सोया सॉस, रोल, चिप्स, कुरकुरे, साल्टेड पिनट या चना, मिक्सचर आदि खाते हैं, तो जाने-अनजाने हम अतिरिक्त नमक का सेवन कर रहे होते हैं. कई लोग तो कच्चा प्याज, हरी मिर्च आदि के साथ शौक से नमक खाते हैं. लोग सलाद के ऊपर भी काफी मात्रा में नमक डालते हैं. ये अतिरिक्त नमक हमारे लिए नुकसानदायक होती हैं.
ज्यादा नमक लेने से शरीर में सोडियम की मात्रा ज्यादा पहुंचती है. जब सोडियम बढ़ता है, तो शरीर उसको एब्जॉर्ब करने के लिए ज्यादा मात्रा में पानी को रोक लेता है. इससे किडनी और हार्ट को ज्यादा काम करना पड़ता है. इससे खून की नलियों का लचीलापन भी कम होने लगता है, क्योंकि वे ज्यादा दबाव में काम करते हैं. इससे ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है, वहीं ये हड्डियों को भी कमजोर बना देता है. किडनी की क्षमता भी कम होने लगती है.
आहार में नमक को कम करने का मतलब यह कतई नहीं है कि इसे भोजन से हम गायब ही कर दें, लेकिन इसे कम जरूर करना चाहिए. 5 ग्राम यानी एक चम्मच नमक हर दिन के लिए काफी है. हर दिन के सामान्य खाने जैसे- चावल/रोटी, दाल और सब्जी में ऊपर से नमक डाले बिना भी करीब कुछ ग्राम नमक मौजूद होता है. ऐसे में कम-से-कम नमक का प्रयोग करें. उतने नमक से ही शरीर में आयोडीन की जरूरत भी पूरी हो जायेगी. बहुत से लोग यह समझते हैं कि सेंधा नमक खाना सेहत के लिए फायदेमंद है. ऐसे में वे उसे ज्यादा डाल देते हैं. नमक कोई भी हो, ज्यादा खायेंगे तो परेशानी होगी. हां, सेंधा नमक में दूसरे मिनरल्स की मौजूदगी ज्यादा होती है. ऐसे में टेबल सॉल्ट के मुकाबले उसे कई बार बेहतर बेहतर विकल्प माना जाता है.
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अगर किसी की फैमिली में बीपी, किडनी रोग, हृदय रोग आदि की हिस्ट्री रही है, तो उन्हें नमक कम खाना ही चाहिए. खासकर बाहर के पैक्ड फूड, जंक फूड, चीज, अचार आदि से बिल्कुल परहेज करें.
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सर्दी में नमक कम लेना चाहिए, क्योंकि कम तापमान में पसीना भी कम निकलता है.
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कोई भी सामान खरीदने से पहले उसका लेबल जरूर चेक कर लें और जान लें कि उसमें कितनी मात्रा में नमक मौजूद है.
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ज्यादातर फलों, दूध, कुछ सब्जियों, चीज और कुछ अनाजों में नैचुरल शुगर पाया जाता है. वहीं प्रोसेस्ड और प्री पैकेज्ड फूड में भी शुगर की मात्रा होती है.
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आइसक्रीम, कुकीज, कैंडी, सोडा, केचप, यॉगर्ट और ब्रेड में भी शुगर की मात्रा होती है. विशेषज्ञों के मुताबिक, इन चीजों को अगर आप नियमित रूप से खाते हैं, तो इनमें मौजूद एक्स्ट्रा कैलोरी शरीर में चीनी की मात्रा को बढ़ा कर आपको नुकसान पहुंचा सकती है.
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कोल्ड ड्रिंक की करीब आधे लीटर की एक बोतल में 52 ग्राम तक चीनी होता है. एक स्वस्थ व्यक्ति को एक दिन में जितनी चीनी खानी चाहिए, यह उसका दोगुना है.
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विशेषज्ञों के मुताबिक, अतिरिक्त चीनी आपके आंतों को सबसे ज्यादा इरिटेट करती है. यह पेट के माइक्रोबायोम पर हमला करती है. जब भी हम खाने या पेय पदार्थों के साथ हम एडेड शुगर का सेवन करते हैं, तो इससे इम्युनिटी कमजोर होती है.
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एडेड शुगर इनटेक को पूरी तरह बंद नहीं कर सकते तो इसे कम करें, क्योंकि, पाचन तंत्र पर इसका असर पड़ता है. इससे पाचन बिगड़ता है व पेट में विटामिन, मिनरल्स और अन्य फूड पार्टिकल को तोड़ने में दिक्कत आती है.
चीनी मीठी तो होती है, लेकिन सेहत के लिए इसकी अधिकता जहर से कम नहीं है. सफेद चीनी को रिफाइंड करने के लिए सल्फर डाइ ऑक्साइड, फॉस्फोरिक एसिड, कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड और एक्टिवेटेड कार्बन का उपयोग किया जाता है. रिफाइनिंग के बाद इसमें मौजूद लाभदायक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, केवल सूक्रोज ही बचता है और सूक्रोज की अधिक मात्रा शरीर के लिए घातक होती है. ऐसे में हर मौके पर कुछ मीठा हो जाये बोलने से पहले आपको सचेत हो जाना चाहिए. मीठा भले ही आपको कुछ देर के लिए अच्छा लगता हो, लेकिन आगे चलकर यह आपको कई बीमारियां दे सकता है. साथ ही कम उम्र में आप कई सारी परेशानियों से घिर सकते हैं.
ऐसा हम अपने मन से नहीं कह रहे हैं, बल्कि डब्ल्यूएचओ व अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन जैसे संगठनों के शोध में यह बातें सामने आयी हैं. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, एक स्वस्थ व्यक्ति को एक दिन में 5 से 6 चम्मच चीनी का इस्तेमाल करना चाहिए, यानी कि एक दिन में 25 से 30 ग्राम चीनी ही खानी चाहिए. वहीं अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन का कहना है कि महिलाओं को पुरुषों के अनुपात में कम चीनी खानी चाहिए. अपने देश में प्रति व्यक्ति चीनी की खपत वर्ष 2010 में ही डब्ल्यूएचओ के मानकों को पार कर 55 ग्राम प्रतिदिन तक पहुंच चुकी है.
इंसुलिन प्रतिरोध : जब आप शुगरयुक्त खाना ज्यादा खाते हैं, तो आपके शरीर में इंसुलिन की मात्रा भी बढ़ती है. इंसुलिन वह हॉर्मोन है, जो ब्लड शुगर को ऊर्जा में परिवर्तित में बदलता है. जैसे-जैसे शरीर में चीनी मात्रा बढ़ती है, तो इंसुलिन का स्तर लगातार बढ़ता जाता है. इससे इंसुलिन के प्रति आपका शरीर संवेदनहीन होने लगता है. इसका नतीजा होता है कि खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है. इंसुलिन प्रतिरोध के लक्षणों में थकावट, भूख, हाइ बीपी शामिल हैं. इससे पेट की चर्बी बढ़ने लगती है व मोटापा भी बढ़ता है. यही आगे चलकर डायबिटीज की भी वजह बनती है.
फैटी लिवर की समस्या : जब भी आप जरूरत से ज्यादा चीनी खाते हैं, तो इससे लिवर का काम बढ़ जाता है और उस पर जोर पड़ने लगता है. इससे शरीर में लिपिड अधिक मात्रा में बनने लगता है और फैटी लिवर की समस्या का रिस्क बढ़ता है.
बैड कोलेस्ट्रॉल का खतरा : अधिक मात्रा में मीठा खाने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है. इसके कारण हाइ बीपी की समस्या होती है, साथ ही ब्लॉकेज, हार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक का रिस्क बढ़ता है.
अर्थराइटिस की समस्या : अगर आपको जोड़ों में दर्द रहता है या अर्थराइटिस की समस्या है, तो आपको चीनी का सेवन सोच-समझ कर करना चाहिए. ज्यादा मीठा खाने से शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाता है, इसकी वजह से जोड़ो में दर्द बढ़ती है.
कैल्शियम सोखती है चीनी : शरीर में शुगर की ज्यादा मात्रा बालों, हड्डियों, खून और दांतों से कैल्शियम सोख लेती है. साथ ही इम्यून सिस्टम को कमजोर बनाती है. ऐसे में अगर आप मीठे के शौकीन हैं, तो अभी से इस आदत पर कंट्रोल कर लें.
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प्यास ज्यादा लगना
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चेहरे, हाथ या पैरों में सूजन
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हाइ बीपी या हार्ट की परेशानी
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किडनी में स्टोन बनना आदि.
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वजन का बढ़ना व नींद की समस्या
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मीठा खाने की लालसा होना
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ऊर्जा के स्तर में कमी महसूस करना
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मुंहासे व त्वचा की समस्याएं आदि.
एक समय था, जब हमारे पूर्वज मीठा खाने के लिए फलों के मौसम का इंतजार करते थे. आज हमारे लिए कदम-कदम पर मीठा खाने का ऑप्शन उपलब्ध है जैसे- चॉकलेट, मिठाई, बिस्किट, केक, कोल्ड ड्रिंक्स, पैकेज्ड जूस आदि. एक रिसर्च के अनुसार, यदि आप हर दिन 150 ग्राम से ज्यादा फ्रक्टोज (चीनी का एक रूप) लेते हैं, तो शरीर में इंसुलिन का असर कम होने लगता है. इससे सेहत पर बुरे असर जैसे- डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है. ऐसे में शरीर में चीनी की कमी भी न हो और अधिकता भी न हो, उसके लिए सीधे चीनी लेने की जगह उसके प्राकृतिक विकल्प तलाशने चाहिए और गुड़, शहद, खजूर, फल, फलों के जूस आदि का सेवन करना चाहिए. उदाहरण के लिए नाश्ते में दूध-कॉर्नफ्लेक्स के साथ चीनी की जगह आप शहद ले सकते हैं. ओट्स में चीनी की जगह फ्रेश फ्रूट्स मिलाकर ले सकते हैं.
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खजूर : खजूर में शुगर की काफी मात्रा होती है. इससे गुड़ भी बनता है. आप चीनी की जगह इसका इस्तेमाल इसे पीसकर कर सकते हैं या फिर इसका सिरप बना कर चाय या कॉफी में भी डाला जा सकता है.
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शहद : एक चम्मच शहद, एक चम्मच चीनी से काफी बेहतर है. शहद न केवल दिल को सेहतमंद बनाता है, बल्कि मोटापा घटाने के लिए भी अच्छा माना जाता है.
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नारियल : सफेद चीनी की जगह पर, घिसा हुआ नारियल भी खाया जा सकता है. हालांकि, आप नारियल को चाय में चीनी की जगह तो नहीं डाल सकते, लेकिन इसे किसी मीठी डिश में मिठास भरने के लिए डाल सकते हैं.
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फल या फल का जूस : जब भी आपका मीठा खाने का मन हो, तो कोशिश करें कि कोई मनपसंद फल खाएं या उस समय किसी फ्रूट का जूस पिया जा सकता है. इसमें काफी पोषण होता है, जो कि सफेद चीनी से कहीं ज्यादा अच्छा होता है.
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गुड़ : आप चाहें तो चीनी की जगह गुड़ डाल कर चाय या कॉफी बना सकते हैं. यह रिफाइंड चीनी के मुकाबले आपकी सेहत के लिए अच्छा होता है.