Coronavirus Impact, Lockdown, Regular Health Check up : कोरोना वायरस (Coronavirus) और लॉकडाउन (Lockdown) के कारण गैर कोविड-19 (Covid19) रोगियों के रेगुलर हेल्थ चेकअप (Regular Health Check up) में भारी गिरावट देखने को मिली. यही नहीं इस दौरान उनके पीड़ा की अनगिनत कहानियां भी सामने आई है. इसे लेकर अब आधिकारिक आंकड़े भी आ गए है. जिसे देखकर आपको पता लग सकता है कि कैसे कोरोना का अन्य मरीजों के हेल्थ सुविधा पर असर देखने को मिला है..
– दरअसल, इस साल पिछले वर्ष की तुलना में पूरी तरह से प्रतिरक्षित बच्चों की संख्या में 15 लाख से अधिक की गिरावट देखी गई है. यह तुलनात्मक आंकड़ा अप्रैल से जून तक का है.
– वहीं चिकित्सालयों में प्रसव की संख्या में लगभग 13 लाख की गिरावट देखी गई है.
– इसके अलावा पंजीकृत टीबी रोगी जो उपचार करवा रहे हैं उनकी संख्या पिछले वर्ष की तुलना में लगभग आधी हो गई.
– आउट पेशेंट के रूप में कैंसर का इलाज चाहने वाले लोग 70 प्रतिशत से घट गए है.
रिपोर्ट की मानें तो शिशु और मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए दशकों से कार्यक्रम चल रहे थे. इसके अलावा टीबी, मलेरिया व अन्य गंभीर रोग जैसे हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर के इलाज के लिए भी कई अभियान सहित अन्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों ने काफी मेहनत की थी. इसमें अभी तक जो भी प्रगति हुई थी उसमें अच्छी खासी गिरावट अप्रैल से जून तक में देखने को मिली है. ऐसे में इससे संबंधित अभियान व कार्यक्रम चलाने वाले संस्थाओं को बड़ा झटका लगा है.
– आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि इसका प्रभाव ज्यादातर शहरी क्षेत्रों में देखने को मिला है, ग्रामीण लोगों में कम प्रभावित हुए हैं,
– जिससे पता चलता है निजी स्वास्थ्य सुविधाओं सार्वजनिक सेवाओं की तुलना में ज्यादा प्रभावित हुई.
– हालांकि, यह आंकड़े स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (HMIS) के हैं. जिसे वर्ष 2008 में लॉन्च किया गया था. जिसका काम है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से हर सरकारी सुविधा की दैनिक रिपार्ट लेना. जबकि, निजी अस्पतालों या सुविधाओं का सटीक डेटा संभवन नहीं है.
आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल अप्रैल-जून में कुल 45 लाख प्रसव देशभर में किए गए थे. जिसमें इस साल 28% की गिरावट आई है. पिछले साल की तुलना में यह इस साल अप्रैल-जून तक में घट कर 32 लाख हो गई. इससे यही पता चलता है कि कितनी महिलाओं को घर पर ही प्रसव करवाने के लिए मजबूर होना पड़ा होगा.
रिपोर्ट के अनुसार आने वाले वर्ष में बड़ी संख्या में अवांछित गर्भधारण संभव है. ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भनिरोधक से संबंधित सेवाओं में भी भारी गिरावट की गयी है. जिसमें प्रसव के बाद नसबंदी, गर्भ निरोधक गोलियों का वितरण और इंट्रा-यूटेराइन उपकरणों (आईयूडीयूडी) के बाद प्रसव आदि भी शामिल हैं.
एलोपैथिक आउट पेशेंट परामर्श लेने वालों की संख्या पिछले साल अप्रैल-जून में 38 करोड़ से अधिक हो गयी थी. जो इस साल घट कर उसी अवधि में 19.5 करोड़ हो गयी है. जबकि, इस वर्ष कोविड के साथ मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों के लिए आने वाले मरीजों की संख्या में भारी इजाफा देखने को मिला है. डॉक्टरों का मानना है कि आने वाले समय में स्थिति और खराब हो जाएगी और मृत्यु दर में वृद्धि देखने को मिलेगी.
यही नहीं पुरुषों और महिलाओं में टाइफाइड, सांस की बीमारियों जैसे अस्थमा और सीओपीडी, टीबी और वेक्टर जनित बीमारियों जैसे मलेरिया और डेंगू के लिए रोगी के प्रवेश को भी रोक दिया गया है. प्रमुख और छोटे ऑपरेशन की संख्या में 60% से अधिक की गिरावट आयी है.
Note : उपरोक्त जानकारियां अंग्रेजी वेबसाइट टीओआई के आधार पर है.
Posted By : Sumit Kumar Verma
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.