Men Infertility : बढ़ते वायु प्रदूषण से पुरुषों में बढ़ रहा बांझपन का खतरा

Men Infertility : एक दानिश अध्ययन में या पाया गया कि वायु प्रदूषण के संपर्क में लंबे समय तक रहने से पुरुषों में बांझपन की समस्या बढ़ रही है क्योंकि वायु में सूक्ष्म कण वाले पदार्थ पाए जाते हैं, जो सांस के द्वारा मनुष्य के शरीर में जाकर उसे क्षति पहुंचाते हैं.

By Shreya Ojha | September 6, 2024 1:06 PM

Men Infertility : एक डेनिश अध्ययन में या पाया गया कि वायु प्रदूषण के संपर्क में लंबे समय तक रहने से पुरुषों में बांझपन की समस्या बढ़ रही है क्योंकि वायु में सूक्ष्म कण वाले पदार्थ पाए जाते हैं, जो सांस के द्वारा मनुष्य के शरीर में जाकर उसे क्षति पहुंचाते हैं. इस नई खोज के माध्यम से एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या का पता चला है. एक और स्टडी के अनुसार हर सात में से एक दंपति को बांझपन की समस्या का सामना करना पड़ता है, जो की एक चिंता जनक विषय है.

Men Infertility : वायु प्रदूषण : पुरुषों में बचपन का कारण कैसे?

शोध के अनुसार वायु मैं मौजूद सूक्ष्म कार्ड जो की सांस नली के द्वारा शरीर में अपना रास्ता बनाते हैं यह पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से क्षति पहुंचाते हैं जिससे फर्टिलिटी घटना और बांझपन की संभावना बढ़ जाती है.

इस नए शोध के अनुसार यह विशेष रूप से केवल पुरुषों पर ही अपना असर डालती है जबकि महिलाओं के गर्भधारण की संभावना और फर्टिलिटी पर इसका कुछ खास असर देखने को नहीं मिलता है.

पुरुषों में बांझपन की समस्या पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है लेकिन इस शोध में इस मुद्दे को काफी गंभीर चिंता का विषय बताया गया है.

शोधकर्ताओं के अनुसार अध्ययन में जीवन शैली,कार्यक्षेत्र और अवकाश के दिन और इसके अलावा ऐसे जोड़े जो गर्भधारण करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, इन सभी बातों को हटाकर ही अध्ययन किया गया है.

Men Infertility : बचाव :

इस अध्ययन अध्ययन के द्वारा हमें ज्ञात हुआ है कि वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है और अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह लंबे समय में वैश्विक जन्म दर पर काफी गंभीर प्रभाव डाल सकता है. पुरुषों में बांझपन की की समस्या से बचाव के लिए स्वच्छ हवा और पर्यावरण की आवश्यकता है.

वायु प्रदूषण को काम करने से न केवल प्रजनन स्वास्थ्य बल्कि और भी कई स्वास्थ्य समस्याओं को सुधारा जा सकता है. इस तरह के शोध से हमें इस मुद्दे की संगीनता के बारे में पता चलता है कि पर्यावरण का हमारे स्वास्थ्य पर कितना प्रभाव पड़ता है और यह मानव स्वास्थ्य के लिए किस हद तक जरूरी है.

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