Corona third wave : देश-दुनिया में कोरोना की तीसरी लहर संभावित है. वैज्ञानिक और शोधकर्ता लगातार आगाह कर रहे हैं कि तीसरी लहर में संक्रमण से बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे. हालांकि, इसे लेकर घरेलू स्तर पर केंद्र और राज्य सरकारों ने अभी से ही तैयारियां करनी शुरू कर दी हैं. विशेषज्ञों की राय है कि बच्चों में कोरोना के हल्के लक्षण देखे जाते हैं. बावजूद इसके उन्हें संक्रमण से बचाना जरूरी है. संक्रमण से बच्चों के बचाव के लिए आईसीएमआर की टास्क फोर्स कमेटी नेगवैक के विशेषज्ञ डॉ एनके अरोड़ा से जानते हैं अहम उपाय…
उम्रदराज लोगों की तरह बच्चे भी कोरोना संक्रमण के लिए अधिक संवेदनशील हैं. हाल ही के सीरो सर्वे में यह बात सामने आई है कि दूसरी लहर में 2-5 फीसदी बच्चे कोरोना से प्रभावित हुए हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि 10 साल से कम उम्र के बच्चों में भी इसका लक्षण पाया गया. पहली लहर के आंकड़ों के अनुसार, उस समय 3-4 फीसदी बच्चे संक्रमित हुए. हालांकि, दूसरी लहर में बच्चों के बीच कोरोना का संक्रमण अधिक देखा गया.
बच्चों में संक्रमण के हल्के लक्षण होते हैं या फिर वे एसिम्टोमैटिक होते हैं. अगर किसी परिवार में एक से अधिक सदस्य संक्रमित है, तो बच्चों के पॉजिटिव होने का खतरा अधिक रहा है. संतोषजनक बात यह है कि इस तरह के मामलों में संक्रमित बच्चों की उम्र 10 साल से कम देखी गई है. उनमें कोरोना के बहुत हल्के लक्षण जैसे साधारण जुकाम या डायरिया आदि का लक्षण पाया गया. इसके विपरीत, दिल की बीमारी, मधुमेह, अस्थमा, कैंसर और इम्यून सप्रेसेंट से ग्रस्त बच्चों में संक्रमण की स्थिति गंभीर देखी गई.
हल्के लक्षण वाले बच्चों को बुखार के लिए पैरासिटामोल दी जा सकती है. अगर डायरिया की शिकायत है, तो ओरल डिहाइड्रेशन फूड और पर्याप्त मात्रा में लक्विड दिया जा सकता है. गंभीर तरीके से संक्रमित बच्चों का इलाज बड़ों की तरह ही किया जाता है. सांस लेने में दिक्कत, ज्यादा खांसी, दूध पीने में कष्ट, हाइपेक्सिया, तेज बुखार, त्वचा पर लाल चकत्ते, अधिक देर तक सोना या असामान्य लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए. चौंकाने वाली बात यह है कि बच्चों में लॉन्ग कोविड मामले देखे जाते हैं. संक्रमण से ठीक होने के 3 से 6 महीने बाद डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी नई बीमारी पैदा हो जाती है. ऐसे बच्चों के अभिभावकों को कोरोना से ठीक होने के बावजूद लगातार डॉक्टरों के संपर्क में रहना चाहिए.
ऐसा होना तभी संभव है, जब बच्चे को संक्रमण घर के बार से मिला हो. ऐसी स्थिति में परिवार के सभी सदस्य को कोरोना जांच करानी चाहिए. बच्चे की देखभाल करने वाले को सारे नियमों का पालन करना चाहए. दो मास्क, फेस शील्ड और ग्लब्स आदि का प्रयोग करना चाहिए. बच्चों की देखभाल गाइडलाइन के अनुसार ही की जानी चाहिए. संक्रमित बच्चा और देखभाल करने वाले को परिवार के दूसरे सदस्यों से अलग ही रखना चाहिए.
घर के स्वस्थ सदस्य को बच्चे की देखभाल करनी चाहिए. स्तनपान कराने वाली महिला बच्चे को दूध पिला सकती हैं. यदि घर में नवजात की मां अकेली हैं, तो वह डबल मास्क पहनकर बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं. स्तनपान के बाद अपने हाथ को धोएं और आसपास की जगह को अच्छे से सैनिटाइज करें. मां का दूध नवजात के बढ़ने और विकास के लिए जरूरी है.
घर के बड़े-बुजुर्ग सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार कोरोना नियमों का हमेशा पालन करते रहें. 2 साल से कम उम्र के बच्चों को मास्क न लगाएं. घर के अंदर बच्चों को शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त रखें. 18 साल से अधिक उम्र के सदस्य कोरोना का टीका जरूर लगवाएं. यहां तक कि स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी कोरोना का टीका लगवा सकती हैं. इससे बच्चे और महिला दोनों सुरक्षित हो जाएंगे.
Posted by : Vishwat Sen
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.