कटाव, खरोंच और घाव जैसी छोटी चोटें दैनिक जीवन का एक आवश्यक हिस्सा हैं. चाहे आप कितने भी सावधान क्यों न हों, फिर भी आपको कभी-कभी चोट लग ही जाती है. इन छोटी चोटों के लिए कुछ सर्वोत्तम घरेलू उपचार आयुर्वेद द्वारा प्रदान किए जाते हैं. जिनका उपयोग कर हम इन चोटों को ठीक कर सकते हैं. आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है जिसमें प्रकृति के साथ संवाद करके रोगों का उपचार किया जाता है. इस चिकित्सा पद्धति के अनुसार, घावों और कटों का भी प्राकृतिक रूप से उपचार किया जा सकता है. आयुर्वेद में उपयोगी औषधियों, आहार, प्राकृतिक उपाय और प्रतिक्रिया सम्बन्धी सिद्धांतों के आधार पर घावों और कटों के लिए विभिन्न उपचार हैं. इस आर्टिकल में आज हम आपको तेजी से घावों और कटों को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक उपायों के बारे में बतायेंगे.
घाव को ठीक करने के लिये आयुर्वेदिक उपाय
आयुर्वेद का मूल तत्व प्राकृतिक चिकित्सा है, जिसमें प्रकृति और पंचमहाभूतों (आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी) के संतुलन के अनुसार रोग के उपचार किया जाता है. ऐसे में कुछ उपाय है जिनको अपनाकर आप घाव से तुरंत राहत पा सकते हैं.
साफ पानीः घावों और कटों के इलाज में सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है उन्हें साफ पानी से सफ़ाई करना. घाव को गरम पानी और साबुन से धोकर साफ़ करें. इससे संक्रमण का खतरा कम होता है और जख्म जल्दी भरने लगते हैं.
हल्दी (टर्मरिक) का उपयोग: हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो जख्मों के इलाज में मदद करते हैं. घाव पर शुद्धता के साथ हल्दी का पाउडर लगाएं और सूखने के बाद धो लें. हल्दी में मौजूद करक्यूमिन में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं जो सूजन और दर्द से राहत दिलाते हैं. एंटीबायोटिक क्रिया घावों के जीवाणु संक्रमण को रोकती है.
गेंदे के फूल का उपयोगः मामूली घावों को भरने में गेंदे का फूल भी बहुत उपयोगी है. यह जड़ी-बूटी की तर्ज पर काम करता है. इसका उपयोग भी बहुत आसान है. आप गेंदे का कुछ फूल लें और उन्हें तोड़कर रस निकाल लें. घाव पर इस रस को दिन में 2 या 3 बार लगाएं. इससे खून का बहना बंद होगा और सूजन भी नहीं आएगी.
एलोवेराः एलोवेरा के पत्तों के रस को घाव पर लगाने से उनमें जलन और सूजन कम होती है. एलोवेरा के गुणों के कारण यह जख्मों के इलाज में उपयोगी माना जाता है.
घी का उपयोग: घी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो घावों के इलाज में मदद कर सकते हैं. जीरकादी घी एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक उपाय है जिसे घाव पर लगाने से उसकी शुष्कता कम होती है और उसमें आराम मिलता है.
नीम का उपयोग: नीम के पत्ते में भी एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो जख्मों के इलाज में सहायक हो सकते हैं. नीम के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाएं और सूखने के बाद धो लें. इससे आपको आराम मिलेगा.
पुदीने के पत्ते: पुदीने के पत्ते को पीसकर घाव पर लगाने से जख्मों के इलाज में लाभ मिलता है. इससे जख्म में ठंडक मिलती है और सूजन कम होती है.
अयुर्वेदिक औषधियां: आयुर्वेद में रक्तस्थान और रक्तशोधक गुण वाली विभिन्न औषधियां हैं, जो घावों के इलाज में लाभकारी साबित हो सकती हैं. आमतौर पर अर्जुन और शिरीष वृक्ष के छाल के काढ़े का सेवन जख्म जल्दी भरने में मदद कर सकता है.
नारियल के तेल का उपयोगः नारियल का तेल रक्तस्राव को रोकता है, उपचार प्रक्रिया को तेज करता है और घाव को गंदगी और धूल से बचाता है. नारियल के तेल में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं जो घावों को संक्रमण से बचाते हैं.
चिकित्सक की सलाहः अगर घाव बहुत गहरा है या देर से ठीक हो रहा है, तो आपको एक चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। आयुर्वेद में उपयोगी औषधियों के साथ, चिकित्सा के दृष्टिकोण से आपके रोगी के लिए एक व्यक्तिगत चिकित्सा योजना तैयार की जा सकती है।
यदि घाव गहरा है या देर से ठीक हो रहा है, तो आपको चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए. आयुर्वेदिक उपाय सम्पूर्ण रूप से समस्या को हल कर सकते हैं, लेकिन समय लग सकता है और यह व्यक्ति के शरीर की प्रकृति, घाव की गहराई, और संक्रमण के स्तर पर निर्भर करता है.
डिस्क्लेमर : दी गई जानकारी इंटरनेट से ली गई है. किसी भी तरह के उपाय को अपनाने से पहले खुद जांच परख करें व विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें. प्रभात खबर डॉट कॉम दिये गए किसी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.
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