Iodine Deficiency, Causes, Symptoms, Disease, Treatment, Salt Benefits & Side Effects : डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, लोगों को रोजाना 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत पड़ती है, जिसे आयोडाइज्ड नमक के सेवन से पूरा किया जा सकता है. शरीर में थायराइड हॉर्मोन के निर्माण के लिए आयोडीन की आवश्यकता पड़ती है. आयोडीन में कमी से थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है, जिससे कई समस्याएं देखने को मिलती हैं. नवरात्र में अगर फलाहार पर है नमक का सेवन नहीं कर रहें तो हो जाएं सावधान. इससे कुछ गंभीर बीमारियों का खतरा भी हो सकता है. ऐसे में आप सेंधा नमक का सेवन करके अपने दैनिक जरूरत की पूर्ति कर सकते हैं. आइये जानते हैं विस्तार से..
इसकी कमी से गर्दन में सूजन, वजन बढ़ना और गर्भावस्था से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं. हमारा शरीर प्राकृतिक रूप से खुद आयोडीन नहीं बना पाता, इसलिए आयोडीन प्राप्त करने का एकमात्र तरीका खाद्य पदार्थ ही है. इसी के मद्देनजर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 21 अक्तूबर को ‘आयोडीन डिफिशियेंसी डे’ मनाया जाता है.
आयोडीन पैच टेस्ट : इसमें त्वचा पर आयोडीन के एक पैच को पेंट कर दिया जाता है. जिन लोगों में आयोडीन की कमी नहीं होती, उनमें 24 घंटे से पहले पैच का रंग हल्का नहीं पड़ता. वहीं, जिनमें इसकी कमी होती है, उनकी त्वचा 24 घंटे के अंदर आयोडीन को अवशोषित कर लेती है.
यूरिन टेस्ट : यह टेस्ट सबसे सरल और कम समय में होता है. इसमें कुछ मिनट में ही परिणाम आ जाते हैं. हालांकि, यह अन्य टेस्ट के मुकाबले सटीक परिणाम नहीं देता. इसके अलावा ब्लड टेस्ट से भी इसकी जांच होती है.
डाइट में आयोडीन युक्त नमक और आयोडीन से भरपूर खाद्य पदार्थ लें. डेयरी प्रोडक्ट, मांस और समुद्री खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करें. जरूरत पड़ने पर डॉक्टर के परामर्श के बाद विटामिन व आयोडीन युक्त सप्लीमेंट लें. गर्भवती या स्तनपान करवाने वाली महिलाएं आयोडीन युक्त मल्टीविटामिन ले सकती हैं. कई मामलों में बड़े आकार का गोइटर विकसित हो जाता है, जो सांस लेने और निगलने में कठिनाई पैदा करने लगता है. ऐसे में थायराइड ग्रंथि को सर्जरी द्वारा निकालना पड़ता है. यदि इसे निकाल दिया जाये, तो थायराइड रिप्लेसमेंट हॉर्मोन की जरूरत पड़ सकती है.
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प्रत्येक व्यक्ति की उम्र, लिंग और परिस्थितियों के अनुसार आयोडीन की खुराक अलग-अलग होती है. नीचे दिये गये टेबल से हम इसे आसानी से समझ सकते हैं.
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जन्म से 6 माह : 110 /110
7 -12 माह : 130/130
1 -3 साल : 90/ 90
4-8 साल : 90/90
9- 13 साल : 120/120
14- 18 साल : 150/150 220 290
19 वर्ष या : 150/150 220 290
उससे ज्यादा (एमसीजी : माइक्रोग्राम)
डॉ रविकांत चतुर्वेदी
(एमडी-न्यूक्लियर मेडिसिन, एम्स) फिजिशियन, रांची
Posted By : Sumit Kumar Verma
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.