विज्ञानियों ने प्रायोगिक कंपाउंड आइएक्सए4 से टाइप-2 डायबिटीज के इलाज की नयी संभावना जतायी है. परीक्षण के दौरान पाया गया कि यह कंपाउंड ऐसे स्वभाविक संकेतों के मार्ग को सक्रिय करता है, जो जीवों को हानिकारक और मोटापे के कारण होने वाले मेटाबोलिक बदलाव से सुरक्षा प्रदान करता है. स्क्रिप्स रिसर्च के ल्यूक वाइजमैन ने बताया कि हम इस एक कंपाउंड से लिवर और पैनक्रियाज दोनों के स्वभाविक संकेतों के मार्ग को सक्रिय करने में सफल हुए हैं और उससे मोटापे के शिकार जीवों के मेटाबोलिक स्वास्थ्य में सुधार भी देखा गया है.
यह निष्कर्ष नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है. वाइजमैन लैब पिछले कई वर्षों से आइआरइ-1 तथा एक्सबीपी-1एस नामक दो प्रोटीन की संलिप्तता वाले सांकेतिक मार्ग का अध्ययन कर रही है. इसमें पाया गया है कि एक खास तरीके के ऊतकों पर तनाव के सक्रिय होने पर आइआरइ1- एक्सबीपी1एस को सक्रिय करता है, जिससे मेटाबोलिक होस्ट जीन की गतिविधियों में बदलाव होता है.
आइएक्सए4- एक बार में आइआरइ-1/एक्सबीपी-1 को कुछ घंटे के लिए सक्रिय कर देता है. शोध टीम ने हाई कैलोरी डाइट के कारण मोटापा के शिकार हुए चूहे का इलाज आइएक्सए4 से किया. महज आठ सप्ताह में ही ग्लूकोज के मेटाबोलिज्म और इंसुलिन की सक्रियता में सुधार हुआ. इसके साथ ही वसा का बनना और लिवर में सूजन में भी कमी आयी. पैनक्रियाज में भी इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को कोई नुकसान नहीं हुआ.
कंपाउंड का लिवर व पैनक्रियाज पर सकारात्मक असर
मुख्य कारण
मोटापा, ज्यादा वजन होने से सामान्य ब्लड शुगर रेगुलेशन बिगड़ जाना
हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, किडनी डिजीज, तंत्रिकाओं का नुकसान, रेटिना के क्षरण तथा कई प्रकार के कैंसर का खतरा
दुनिया के डायबिटीज रोगियों में हर छठा व्यक्ति भारत का, इनमें से 90-95% को टाइप-2 डायबिटीज
Posted by: Pritish Sahay
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