अपने नन्हें-मुन्नों को कोरोना से बचाने के लिए अपनाएं ये तरीके, वायरस के खिलाफ लड़ने में हमेशा बने रहेंगे ‘सुरक्षा कवच’

दुनिया की चिकित्सा व्यवस्था की निगरानी करने और स्वास्थ्य संबंधी सलाह जारी करने वाली संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने नन्हें-मुन्नों को संक्रमण से बचाए रखने के लिए कुछ तरीके जारी किए हैं. डब्ल्यूएचओ का दावा है कि इन तरीकों को अपनाकर छोटे बच्चों के लिए कोरोना संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा कवच बनाया जा सकता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 13, 2021 9:29 AM

Kids Protect From Coronavirus : भारत में कोरोना की दूसरी लहर तबाही मचा रही है और वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं ने अभी से ही सरकार को तीसरी लहर के लिए आगाह कर दिया है. वैज्ञानिक, शोधकर्ता, स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से गठित कोविड टास्क फोर्स के विशेषज्ञ आदि का दावा है कि देश में आने वाली कोरोना की तीसरी लहर बच्चों और किशोर-किशोरियों के लिए खतरनाक होगी. इस स्थिति के मद्देनजर यह बेहद जरूरी हो जाता है कि हम बजुर्गों, वयस्कों और युवा पीढ़ी के साथ ही अपने नन्हें-मुन्नों की सुरक्षा का भी खास ख्याल रखें.

दुनिया की चिकित्सा व्यवस्था की निगरानी करने और स्वास्थ्य संबंधी सलाह जारी करने वाली संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने नन्हें-मुन्नों को संक्रमण से बचाए रखने के लिए कुछ तरीके जारी किए हैं. डब्ल्यूएचओ का दावा है कि इन तरीकों को अपनाकर छोटे बच्चों के लिए कोरोना संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा कवच बनाया जा सकता है. आइए जानते हैं कि किन तरीकों को अपनाकर अपने नन्हें-मुन्नों के लिए हमेशा की खातिर सुरक्षा कवच बनाया जा सकता है…

6 साल से छोटे उम्र के बच्चों को न लगाएं मास्क

विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र संगठन की संस्था यूनिसेफ यानी यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रेंस फंड की ओर से सलाह दी गई है कि इस कोरोना काल में 6 साल से कम उम्र के बच्चों के चेहरे पर मास्क का उपयोग न करें. इन दोनों संस्थाओं का कहना है कि 6 से 11 साल तक की उम्र के बच्चों को मास्क लगाना इस बात पर निर्भर करता है कि वे जिन इलाकों में रहते हैं, वहां पर संक्रमण की स्थिति क्या है? विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने सलाह दी है कि 2 साल से छोटे उम्र के बच्चों को तो मास्क कतई न लगाएं. हां, बच्चों के माता-पिता उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के बारे में बारीकी से बताएं और उनमें बार-बार हाथ धोते रहने की आदत डालें.

बच्चों में इन लक्षणों के देखते ही सतर्क हो जाएं

  • छोटे बच्चे को 1 या 2 दिन से अधिक बुखार रहने पर.

  • अगर बच्चे के शरीर और पैर में लाल चकत्ते हो जाएं.

  • अगर आपको बच्चे के चेहरे का रंग नीला दिखने लगे.

  • बच्चे को उल्टी-दस्त की समस्या हो.

  • अगर बच्चे के हाथ-पैर में सूजन शुरू हो जाए.

  • इन तरीकों को अपनाने से बच्चे रहेंगे तंदुरुस्त

  • फेफड़े मजबूत बनाने के लिए बच्चों को बैलून फुलाने के लिए दें.

  • बच्चों को हमेशा हल्का गुनगुना पानी ही पिलाएं, इससे संक्रमण का खतरा कम होगा.

  • अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है, तो उसे सांस वाली एक्सरसाइज यानी अनुलोम-विलोम कराएं.

  • इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बच्चों को खट्टे फल खिलाएं

  • बैक्टीरियल इंफेक्शन और वायरल इंफेक्शन से बचाने के लिए बच्चों को हल्दी मिलाकर एक गिलास दूध पिलाएं.

  • बच्चों को कोरोना की बीमारी के संबंध में जरूरी सावधानियों के बारे में बताएं, उन्हें संक्रमण का खतरा बताकर डराएं नहीं.

मोबाइल, टीवी और तनाव से बनाए रखें दूरी

आपको इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि तनाव केवल बड़े लोगों में ही नहीं होता है. छोटे बच्चे भी तनाव का शिकार होते हैं. आपको इस बात का हमेशा ख्याल रखना चाहिए कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर तनाव का गंभीर असर पड़ता है. आपको इस बात का हमेशा ख्याल रखना पड़ेगा कि आपके बच्चे मोबाइल, इंटरनेट, यूट्यूब और टेलीविजन पर किसी तरह की सामग्री देख रहे हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि वे भय पैदा करने वाली सामग्रियां देख रहे हैं. बच्चों का ध्यान लगाने के लिए मनोरंजक सामग्री ही देखें. उन्हें मोबाइल और टेलीविजन से यथासंभव दूर रखने का प्रयास करें. उन्हें व्यायाम के बारे में बताएं और सांस नियंत्रण की तकनीक सिखाएं.

नवजात की कैसे करें सुरक्षा

नवजात शिशुओं को ज्यादा लोगों के संपर्क में आने से रोकिए. बच्चे को जितने कम लोग अपने-अपने हाथों में लेंगे, नवजात उतना अधिक सुरक्षित होगा. वहीं, नवजात शिशु की मां बार-बार अपनी हाथों को साबुन से धोती रहें. नवजात शिशु को दूध पिलाते समय भी उनकी मां मास्क पहनकर रहें ताकि उसे दूध पीते समय नवजात को इन्फेक्ट होने से बचाया जा सके. दूध पिलाने वाली महिलाएं अपने स्तन की हमेशा सफाई करती रहें.

हल्का संक्रमण होने पर क्या करें?

लक्षण : अगर किसी बच्चे की गले में खराश है, लेकिन सांस लेने में किसी प्रकार की तकलीफ नहीं और पाचन संबंधी दिक्कत है, तो सावधान हो जाएं.

इलाज : बच्चे को घर में ही आइसोलेट करके उसका उपचार किया जा सकता है. बच्चे को पहले से ही दूसरी गंभीर समस्या होने पर डॉक्टरी से संपर्क जरूर करें.

मध्यम प्रकार के संक्रमण में क्या करें?

लक्षण : हल्के निमोनिया के लक्षण, ऑक्सीजन लेवल 90 फीसदी या इससे नीचे चला जाए तो सतर्क हो जाएं.

उपचार : बच्चे को कोविड अस्पताल में भर्ती कराएं. शरीर में द्रव्य और इलेक्ट्रोलायट की मात्रा संतुलित हो.

गंभीर संक्रमण होने पर क्या करें?

लक्षण : गंभीर निमोनिया, ऑक्सीजन स्तर का 90 फीसदी से नीचे चला जाना, थकावट आना, ज्यादा नींद आना.

उपचार : फेफड़े-गुर्दे में संक्रमण की जांच, सीने का एक्स-रे कराना जरूरी, कोविड अस्पताल में भर्ती कराया जाए, जहां अंग निष्क्रिय होने संबंधी उपचार का प्रबंध हो. इलाज के दौरान डॉक्टर की निगरानी में रेमडिसिविर जैसे स्टेरॉयड का इस्तेमाल.

Also Read: महाराष्ट्र को 20 मई तक कोविशील्ड की 1.5 करोड़ खुराक देगी सीरम इंस्टीट्यूट, तब शुरू होगा 18-44 साल के लोगों का टीकाकरण

Posted by : Vishwat Sen

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

Next Article

Exit mobile version