मजदूर की बेटी का मुफ्त में हुआ था Cochlear Implant, अब सुनने लगी, जानें पूरी कहानी

Cochlear Implant: श्याम प्रकाश को जब यह पता चला कि उनकी बेटी राधिका (बदला हुआ नाम) न सुन सकती है, न बोल सकती है तब राधिका डेढ़ साल की थी. राधिका को जिले के जिन-जिन डॉक्टरों के पास ले जाया गया वहां उसके इलाज का खर्च छह से सात लाख रुपए बताया गया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 4, 2023 1:48 PM

Cochlear Implant: सही जागरूकता और सरकारी व गैर सरकारी योजनाओं की जानकारी हो तो बड़े से बड़ा इलाज बेहद कम खर्च या कभी-कभी बिल्कुल मुफ्त में हो सकता है. कुछ ऐसा ही हुआ है बेगूसराय के मटिहानी प्रखंड के श्याम प्रकाश (बदला हुआ नाम) के साथ. उनकी बेटी जन्मजात मूकबधिर थी. लेकिन पैसों की तंगी थी. लेकिन उनकी तीन साल की बेटी का मुफ्त में ईएनटी सर्जन डॉ अभिनीत लाल से कोक्लियर इम्लांट किया. अब उनकी बच्ची बोलने पर रिएक्शन देती है. फिलवक्त उसकी यहीं थेरेपी चल रहा है ताकि सुने हुए शब्द को समझ सके.

गरीब बाप को लगा था बहुत बड़ा झटका था  

दरअसल, श्याम प्रकाश को जब यह पता चला कि उनकी बेटी राधिका (बदला हुआ नाम) न सुन सकती है, न बोल सकती है तब राधिका डेढ़ साल की थी. राधिका को जिले के जिन-जिन डॉक्टरों के पास ले जाया गया वहां उसके इलाज का खर्च छह से सात लाख रुपए बताया गया. एक गरीब बाप के लिए यह बहुत बड़ा झटका था.

बच्ची का इलाज शुरू करवाया

वो मुंबई में मजदूरी काम करके अपना घर चलाते हैं. कोरोना काल की मार झेलने के बाद घर चलाना पहले ही मुश्किल हो रहा था. अब बेटी के इलाज के लिए उनके पास बिल्कुल पैसे न थे. ऐसे समय में किसी ने उन्हें पटना जाने के सलाह दी. उन्हें बताया गया कि सरकार और कुछ गैर सरकारी संस्थान ऐसे बच्चों का मुफ्त में इलाज करवा रही है. पटना आने के बाद उन्होंने इसके बारे में और जानकारी जुटाई. जब उन्हें पूरा भरोसा हो गया कि उनकी बेटी का मुफ्त इलाज हो सकता है तब उन्होंने बच्ची का इलाज शुरू करवाया.

इंप्लांट के बाद अब राधिका सुन रही है

पटना में ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. अभिनीत लाल ने उनकी बेटी का इलाज किया. पहले करीब पांच महीने तक उसका स्पीच थेरेपी चला. इसके बाद जनवरी मध्य में उसका कॉक्लियर इम्लांट (जन्मजात मूकबधिर को सुनने में मदद करनेवाली डिवाइस)किया गया. इंप्लांट के बाद अब राधिका सुन रही है. बोलने पर रिएक्शन देती है.

डॉ. अभिनीत के मुताबिक इस बच्ची के इलाज का खर्च एक गैर सरकारी संगठन ‘हंस फाउंडेशन’ उठाया. वैसे, केंद्र सरकार भी ऐसे इलाज के लिए पूरा खर्च देती है. राधिका जब ठीक से सुनने लगेगी तो आगे चलकर बोलना भी शुरू कर देगी.

श्याम प्रकाश के छोटे भाई और बच्ची के चाचा हरेराम (बदला हुआ नाम)कहते हैं कि उनलोगों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि आज के समय में जब छोटा से छोटा इलाज इतना महंगा हो गया है, वैसी स्थिति में इतना बड़ा इलाज बिल्कुल मुफ्त में हो सकता है. मेरी भतीजी को दूसरा जीवन मिला है. वह अब सामान्य जीवन जी सकती है. मेरा पूरा परिवार राहत महसूस कर रहा है. भैया अभी मुंबई में हैं.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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