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कोरोना के इलाज में प्रमुख एंटी-फंगल दवा की कमी ने बढ़ायी चिंता

Anti-fungal medicine, Antifungal injection, Amphotericin : हैदराबाद : एंटी फंगल इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन और अन्य एंटी फंगल दवाओं का उपयोग कफ के उपचार के लिए किया जाता है, ये जीवन रक्षक दवाएं मरीजों के लिए खतरा पैदा कर सकता है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस हमलावर फंगल संक्रमण के लिए उपचार की कमी हो जाती है. इसके इलाज में प्रतिदिन करीब 15 हजार से 20 हजार रुपये प्रतिदिन खर्च करने पड़ते हैं. साथ ही दो से तीन हफ्तों का समय लग जाता है. ऐसे मरीजों के स्वस्थ होने में वित्तीय तंगी से गुजरना पड़ता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 10, 2021 5:04 PM

हैदराबाद : एंटी फंगल इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन और अन्य एंटी फंगल दवाओं का उपयोग कफ के उपचार के लिए किया जाता है, ये जीवन रक्षक दवाएं मरीजों के लिए खतरा पैदा कर सकता है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस हमलावर फंगल संक्रमण के लिए उपचार की कमी हो जाती है. इसके इलाज में प्रतिदिन करीब 15 हजार से 20 हजार रुपये प्रतिदिन खर्च करने पड़ते हैं. साथ ही दो से तीन हफ्तों का समय लग जाता है. ऐसे मरीजों के स्वस्थ होने में वित्तीय तंगी से गुजरना पड़ता है.

चिकित्सकों का कहना है कि कोविड-19 से ठीक हुए मरीजों में म्यूकरमायकोसिस संक्रमण की चपेट में आ गये. हालांकि, प्राथमिक दवा एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन की वर्तमान में उपलब्धता नहीं होना एक बड़ा मुद्दा है. जबकि, कुछ कैप्सूल और अन्य उपचारों का उपयोग प्राथमिक उपचार के बाद भी किया जाता है, उनकी भी आपूर्ति कम होती है. इसका मिलना भी बहुत मुश्किल होता है.

अपोलो हॉस्पिटल के वरिष्ठ सलाहकार और ईएनटी सर्जन डॉ कोका रामबाबू ने कहा कि आपूर्तिकर्ताओं के मुताबिक, उत्पादन करनेवाली कंपनी के पास ऐसे अवयवों की कमी है, जो अमेरिका से आयात किये जाते हैं. उड़ानों पर प्रतिबंध लगने से जल्द ही राहत मिलने की कोई उम्मीद भी नहीं है.

इंजेक्शनों की कमी के कारण कालाबाजारी को बढ़ावा मिला है. इनकी आपूर्ति करनेवाले तीन गुना कीमत वसूल रहे हैं. संक्रमण के उग्र होने पर प्राथमिक उपचार के लिए इंजेक्शन लिपोसमल एम्फोटेरेसिन डी-इंजेक्शन अपनी कीमत के तीन गुना मूल्य पर उपलब्ध हो पा रहा है.

इस इंजेक्शन की कीमत करीब 2500 रुपये प्रति शीशी है. एक मरीज को कम-से-कम 10 शीशियों की जरूरत होती है. अब स्थिति बिगड़ने पर विक्रेता इसे 7500 रुपये में इंजेक्शन बेच कर मरीजों का शोषण कर रहे हैं.

सरकारी ईएनटी अस्पताल, कोटि के चिकित्सा अधिकारी डॉ मनीष गुप्ता ने कहा कि इंजेक्शन के अलावा अन्य जो दवाएं इस्तेमाल की जाती हैं, वे चिह्नित मूल्य पर बेची जा रही हैं. मालूम हो कि यहां पिछले डेढ़ माह में 40 से अधिक मामले सामने आये हैं.

हालांकि, ऐसे संक्रमण के मामलों में 60 फीसदी से अधिक मौतें हो जाती हैं. यहां तक कि उपचार के बाद मरीजों में बहुत से एंटी फंगल उपचारों के दुष्प्रभाव को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. खास कर यह किडनी को प्रभावित करता है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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