नये बैक्टीरिया की खोज कर लाडली ने बनायी पहचान

धान की गोरा प्रजाति में दलहन की तरह नाइट्रोजन स्थिरीकरण बैक्टीरिया की खोज से चर्चा में आयीं जैव प्रौद्योगिकी विज्ञानी लाडली रानी का मानना है कि महिला विज्ञानियों को कुदरत की पहेली सुलझाने से पहले सामाजिक जटिलताओं की गांठें भी खोलनी पड़ती हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | February 26, 2023 2:51 PM

धान की गोरा प्रजाति में दलहन की तरह नाइट्रोजन स्थिरीकरण बैक्टीरिया की खोज से चर्चा में आयीं जैव प्रौद्योगिकी विज्ञानी लाडली रानी का मानना है कि महिला विज्ञानियों को कुदरत की पहेली सुलझाने से पहले सामाजिक जटिलताओं की गांठें भी खोलनी पड़ती हैं. लाडली विगत कई वर्षों से सीएसआइआर की शोध परियोजनाओं से जुड़ी हुई हैं.

शादी के बाद मायके और ससुराल का भरपूर समर्थन मिलने के बावजूद वह अपनी शोध परियोजनाओं को समय पर पूरा नहीं कर पायीं. कारण, शादी के कुछ समय बाद संतान की परवरिश की जिम्मेदारियों ने उन्हें इस दिशा में आगे बढ़ने का समय नहीं दिया, लेकिन, ‘जहां चाह, वहां राह.’ करीब 11 वर्षों बाद उन्होंने फिर से अपनी अधूरी शोध परियोजना को पूरा किया.

डॉ लाडली रानी ने वर्ष 2000 में सीएसआइआर की केंद्रीय नमक और समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान, भावनगर से वैज्ञानिक शोधकर्ता के तौर पर जुड़ कर समुद्री शैवाल से भोज्य पदार्थ बनाने और उसकी खेती के प्रभेद विकसित करने की शोध परियोजना में महत्वपूर्ण योगदान दिया. इसके बाद बीएचयू में माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी लैब में दलहन की तरह धान में भी नाइट्रोजन स्थिरीकरण बैक्टीरिया वाली प्रजातियों की खोज परियोजना में शामिल हुईं. वर्तमान में वह रांची विश्वविद्यालय में शिक्षिका के तौर पर पढ़ाते हुए विभिन्न शोध परियोजनाओं में निरंतर अपना योगदान दे रही हैं.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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