Health News In Hindi : मसाले (Spices) और जड़ी-बूटियों, जैसे लौंग (Clove), हल्दी (Turmeric), केसर (Saffron), दालचीनी (Cinnamon) आदि केवल हमारे भोजन के रंग और स्वाद के लिए जरूरी नहीं होते. बल्कि, इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी है. खास बात यह है कि ये अन्य पैकेज फूड्स (Packed Food harmful) की तरह जल्दी एक्सपायर नहीं होते. बल्कि, आपके रसोई के शेल्फ में रखे इन मसालों को हर मौसम में इस्तेमाल किया जाता है. आपको बता दें कि सूखी जड़ों, छाल या तने से बने इन मसालों की एक्सपायरी उनके प्रकार, प्रसंस्करण और रखरखाव पर निर्भर करती है. आइये जानते हैं इन मसालों को रखने का सही तरीका और इसकी लाइफ के बारे में…
दरअसल, सूखे गोट्टे मसाले और जड़ी-बूटियां, जैसे- छोटी-बड़ी इलायची, लौंग, हल्दी, दालचीनी, जायफल, जीरा, गोलकी में शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट और एंटी इनफ्लमेटरी गुण पाए जाते हैं. कई साक्ष्य और अध्ययन बताते हैं कि ये मसाले और जड़ी-बूटियों हृदय और श्वसन संबंधी बीमारियों के खतरे को कम करने में लाभदायक है.
यदि आप कुछ जड़ी-बूटियों और मसालों का संग्रह कर रहे हैं, तो आप भी सोच रहे होंगे कि कब इनकी लाइफ समाप्त होगी अर्थात कब वे एक्सपायर होंगे और उन्हें रसोई से हटाना होगा. आपको बता दें कि मसाले पौधे की सूखी जड़ों, छाल या तने से बने होते हैं, जबकि जड़ी बूटी पौधे की सूखी या ताजी पत्तियों को कहा जाता है. सूखे जड़ी बूटियों और मसालों की एक्सपायरी उनके प्रकार, प्रसंस्करण और रखरखाव पर निर्भर करता हैं. उदाहरण के लिए, सूखे मसाले सूखे जड़ी बूटियों की तुलना में लंबे समय तक चलते हैं. इसके पूरे या कम संसाधित मसाले भी लंबे समय तक चलते हैं.
तुलसी
अजवायन की पत्ती
अजवायन के फूल
मेंहदी
तेज पत्ता
डिल- सौंफ के पौधे जैसा एक सुगन्ध युक्त पौधा
अजवायन
धनिया
पुदीना, आदि
अदरक पाउडर
लहसुन पाउडर
दालचीनी पाउडर
मिर्च पाउडर
पिसी हुई हल्दी
सारे मसालों का मिश्रण
पीसी हुई इलायची
ग्राउंड लाल शिमला मिर्च
लाल मिर्च के गुच्छे का पाउडर
पूरे या भूमिगत, मसालों का लाइफ सबसे लंबा होता है. दरअसल, उनकी सतह का कम भाग वायु, प्रकाश और नमी के संपर्क में होता है. इससे उन्हें अपने सुगंधित तेलों और स्वाद यौगिकों को अपने जमीनी समकक्षों से अधिक समय तक बनाए रखने की अनुमति मिलती है.
होल पेपरकॉर्न
धनिया
सरसों के बीज
सौंफ के बीज
काला जीरा
जीरा
पूरे जायफल
लौंग
दालचीनी
पूरे सूखे मिर्च
लेमन ग्रास
लेकिन, मसालों के श्रेणी में ही आने वाला नमक अपवाद है. अंग्रेजी वेबसाइट हेल्थ लाइन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कई सालों तक इसे उपयोग में लाया जा सकता है.
आयुर्वेद की मानें तो सूखे जड़ी बूटियां और मसाले के साइड इफेक्ट नहीं होते, हालांकि, वे खराब जरूर हो सकते हैं. मसाला खराब होने का अर्थ है, उसके स्वाद, स्वास्थ्य गुण और रंग में बदलाव से. कुछ सालों के बाद इनमें से ये गुण जा सकते हैं लेकिन, इसे उस समय भी खाने पर कोई साइड इफेक्ट शरीर में देखने को नहीं मिलेगा.
अपने हाथ की हथेली में थोड़ी मात्रा में मसाले या जड़ी बूटियों को रखकर रगड़ें. अगर उनमें से उसकी खुशबू कम या स्वाद में कमी नजर आ रही है, तो समझ जाएं कि उन्हें बदलने का सही समय आ गया है.
हेल्थ लाइन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक आपके स्टोव या गैस चुल्हे के बगल में कंटेनरों में मसाले ने रखें, ऐसा करने से उनमें मौजूद औषधीय क्षमता, स्वाद और सुगंध जल्दी समाप्त हो जाती है. इसके बजाय आप स्टोव, गैस या ओवन से दूर, किसी दराज या अलमारी में इसे रखें. रिपोर्ट के अनुसार ग्लास या सिरेमिक कंटेनर में इन्हें रखना सबसे अच्छे विकल्प हो सकता है. क्योंकि ये हवा और नमी को बाहर रखने में मददगार है जिससे मसाले सुरक्षित और गुणों से भरपूर रहते हैं. प्लास्टिक के कंटेनर भी विकल्प हो सकते हैं, लेकिन, ग्लास के कंटेन के मुताबिक वे ज्यादा वायुरोधी या एयर टाइट नहीं होते हैं. हालांकि, इसे स्टेनलेस स्टील या टिन के कंटेनर भी रखना सही उपाय है लेकिन, क्योंकि धातु पर गर्मी का प्रभाव आसानी से होता है. इसलिए यह आपके संग्रहित मसाले को खराब कर सकते हैं.
जिस मसाले में तेल की मात्रा पायी जाती है, जैसे- तिल और खसखस को फ्रिज में रखना बेहतर विकल्प हो सकता है. ऐसे उन्हें संग्रहित करने से रूखे होने से बचाया जा सकता है.
Note : उपरोक्त जानकारियां अंग्रेजी वेबसाइट में हेल्थ लाइन में छपी रिपोर्ट के आधार पर है. इसे छोड़ने या अपनाने से पहले इस मामले के जानकार डॉक्टर या डाइटीशियन से जरूर सलाह ले लें.
Posted By : Sumit Kumar Verma
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.