गुरुवार को जारी एक नई डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक प्रवृत्ति के विपरीत, भारत में 2022 में मलेरिया के मामलों और मौतों में गिरावट देखी जा रही है. पिछले साल भारत में लगभग 33 लाख मलेरिया के मामले और 5,000 मौतें हुईं, जो 2021 की तुलना में क्रमशः 30% और 34% की कमी है. वैश्विक स्तर पर, 2022 में 249 मिलियन मामले थे, जो 2021 की तुलना में 5 मिलियन अधिक हैं.
विश्व स्तर पर बढ़े मामले
विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, वैश्विक स्तर पर मलेरिया के मामलों की संख्या पिछले एक दशक में कम हो गई थी- 2000 में 243 मिलियन से घटकर 2019 में 233 मिलियन हो गई और महामारी के दौरान बढ़ गई. 2020 में, महामारी के पहले वर्ष में, 11 मिलियन अधिक मामले थे. आंकड़े 2021 में वही रहे और 2022 में बढ़ गए.
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2019 की तुलना में 2022 में ये रहा आंकड़ा
वैश्विक मलेरिया से होने वाली मौतों की संख्या भी अधिक थी: 2019 में 576,000 की तुलना में 2022 में 608,000 मौतें.
प्रभावी वेक्टर नियंत्रण उपकरणों का नतीजा
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च की पूर्व निदेशक डॉ. नीना वलेचा ने कहा, “यह अच्छी निवारक और केस प्रबंधन रणनीतियों और प्रभावी वेक्टर नियंत्रण उपकरणों के साथ-साथ सामुदायिक स्तर पर देखभाल निदान और त्वरित उपचार की उपलब्धता के कारण है.”
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भारत में मलेरिया के मामले में आई गिरावट
भारतीय गिरावट महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वैश्विक रुझानों के विपरीत है, जिससे पता चलता है कि 2021 में 249 मिलियन मामलों की तुलना में 2022 में लगभग पांच मिलियन अतिरिक्त मामले दर्ज किए गए थे. जबकि पिछले एक दशक में वैश्विक स्तर पर मलेरिया के मामलों की संख्या स्थिर रही थी. इस साल की रिपोर्ट से पता चलता है कि महामारी के दौरान यह बढ़ना शुरू हुआ. 2000 और 2019 के बीच वैश्विक स्तर पर मलेरिया के मामलों की संख्या 243 मिलियन से घटकर 233 मिलियन हो गई थी. हालांकि, महामारी के पहले वर्ष के दौरान 11 मिलियन मामलों की वृद्धि हुई थी. संख्या 2021 में वही रही और 2022 में फिर से बढ़ गई. वैश्विक स्तर पर मलेरिया से होने वाली मौतों की संख्या भी महामारी-पूर्व के स्तर से अधिक रही. 2019 में 576,000 मामलों की तुलना में 2022 में कुल मिलाकर 608,000 मौतें हुईं. हालांकि, वैश्विक मलेरिया के मामलों में भारत का योगदान 1.4 प्रतिशत और मौतों का केवल 0.9 प्रतिशत था.
मलेरिया का बोझ हुआ कम
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया की पूर्व निदेशक डॉ. नीना वलेचा ने कहा, “निवारक और केस प्रबंधन रणनीतियों, प्रभावी वेक्टर नियंत्रण उपकरणों की उपलब्धता के साथ-साथ सामुदायिक स्तर पर देखभाल निदान और त्वरित उपचार के कारण पिछले कुछ वर्षों में मलेरिया का बोझ कम हुआ है.
क्या है मलेरिया बीमारी
मलेरिया दरअसल एक प्रकार के परजीवी प्लाज्मोडियम से फैलने वाला रोग होता है. प्लासमोडियम नामक पैरासाइट आपके ब्लड में पहुंच जाता है और बॉडी की लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है. यह मच्छर ज्यादातर नम और पानी वाली जगहों पर पाया जाता है. इसलिए मच्छर से बचाव के लिए घर के आसपास सफाई और पानी जमा न होने देने की बात कही जाती है.
1. एनॉफ्लिस मादा मच्छर मलेरिया रोग का प्रमुख कारण है. जिसे प्लास्मोडियम भी कहा जाता है, भारत देश में सबसे ज्यादा मलेरिया के संक्रमण प्लास्मोडियम वीवैक्स और प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के कारण होता है.
2. यदि एनॉफ्लिस मच्छर किसी मलेरिया संक्रमित रोगी को काटने के बाद किसी दूसरे व्यक्ति को काटता है तो दूसरे व्यक्ति के शरीर में भी मलेरिया के जीवाणु प्रवेश हो जाते है
3. मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति के रक्त का आदान प्रदान की वजह से भी मलेरिया रोग होता है.
4. यदि यह मलेरिया परजीवी रोगी के लिवर में प्रवेश करता है तो वह कम से कम एक वर्ष या कुछ वर्ष तक रोगी के लिवर में रह सकता है.
मलेरिया से बचने के उपाय
मलेरिया से बचने के लिए कई उपाय है लेकिन मलेरिया को रोकने व बचने के लिए मच्छरों को पनपने ना दे.
1. मलेरिया के मच्छर अधिकतर शाम या रात को काटते है इसलिए इस समय संभव हो तो घर में ही रहे.
2. मलेरिया से बचने के लिए उन कपड़ों का उपयोग करे जो शरीर के अधिकांश हिस्से को ढक सके.
3. घर के आस पास बारिश के पानी या गंदे पानी को जमा ना होने दे. क्यूंकि इसमें मलेरिया के जीवाणु पैदा होने का खतरा रहता है.
4. यदि किसी व्यक्ति के शरीर में बुखार तेजी से बढ़ रहा है तो उसे किसी डॉक्टर की सलाह व जांच करवानी चाहिए.
5. मलेरिया रोग की संभावना को कम करने के लिए एंटिमलेरियल दवा लेनी चाहिए.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.