एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में 80 फीसदी अभिभावकों ने कहा कि प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के पैकेट पर वसा, नमक, चीनी आदि की जानकारी को स्पष्ट और प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए. इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस पॉलिसी एंड पॉलिटिक्स (आइजीपीपी) द्वारा शुक्रवार को जारी नतीजों के मुताबिक, अभिभावक बच्चों में बढ़ते मोटापे और वयस्क होने पर उनमें गैर-संक्रामक रोगों के बढ़ते जोखिम को लेकर चिंतित हैं.
यही कारण है कि 80 फीसदी अभिभावक मानते हैं कि फूड प्रोसेसिंग कंपनियों के लिए यह अनिवार्य होना चाहिए कि वे डिब्बाबंद खाद्य उत्पादों पर चीनी, वसा और नमक के स्तर को आसानी से समझ आने वाले लेबल के माध्यम से प्रमुखता से प्रदर्शित करें. इनमें से लगभग 60 फीसदी माता-पिता ने इस बात पर चिंता जतायी कि बाजार में पैकेज्ड जंक फूड प्रोडक्ट की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जिनकी मार्केटिंग आक्रामक और अनियंत्रित तरीके से हो रही है.
सर्वे के प्रमुख निष्कर्ष
-
लोग वसा, नमक और चीनी के अत्यधिक सेवन के स्वास्थ्य पर होने वाले नुकसान के बारे में हैं जागरूक
-
वे इस बात को समझने लगे हैं कि मधुमेह, हाइ ब्लड प्रेशर को बढ़ाने में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की बड़ी भूमिका
-
देश में बिक रहे ज्यादातर पैकेटबंद खाद्य पदार्थों में मौजूद विभिन्न तत्वों की मात्रा का नहीं होता है उल्लेख
-
यदि कभी किया भी जाता है तो वह इतना अस्पष्ट होता है कि आम उपभोक्ता उसे समझ नहीं पाते हैं
सर्वे में 77 फीसदी अभिभावकों ने माना कि नमक, चीनी और वसा जैसे हानिकारक तत्वों से संबंधित जानकारी प्रदर्शित करना अगर सरकार द्वारा अनिवार्य कर दिया जाये और उन्हें सरल और आसान तरीके से खाद्य उत्पादों पर प्रदर्शित किया जाये, तो लोग स्वस्थ विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित होंगे. सर्वे में शामिल 62% से ज्यादा अभिभावक ज्यादा वसा, नमक और चीनी (एचएफएसएस) वाले डिब्बाबंद खाद्य पदार्यों को हमेशा के लिए छोड़ने के लिए तैयार दिखे.
Posted by: Pritish Sahay
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.