Max-Neuro Endocon 2022: न्यूरोलॉजी के क्षेत्र में डॉक्टरों में जागरूकता फैलाने की हो रही है पहल

Max-Neuro Endocon 2022: मैक्स-न्यूरो एडुकॉन में 250 से अधिक डॉक्टरों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. इसका आयोजन मैक्स हेल्थकेयर द्वारा 19 सितंबर 2022 को नई दिल्ली में किया गया. इस साल का एडुकॉन प्रतिदिन होने वाली रीढ़ की समस्याओं और मस्तिष्क व रीढ़ की सर्जरी को सुरक्षित और सरल बनाने पर केंद्रित था.

By Shaurya Punj | September 19, 2022 5:10 PM

Max-Neuro Endocon 2022: मैक्स-न्यूरो एडुकॉन 2022 का आयोजन मैक्स हेल्थकेयर द्वारा 19 सितंबर 2022 को वैशाली नई दिल्ली में किया गया. मैक्स – न्यूरो एडुकॉन 2022, मस्तिष्क और रीढ़ की समस्याओं के मूल्यांकन और प्रबंधन की आधारभूत जानकारियों के लिए सर्टिफिकेट कोर्स है. वार्षिक एडुकॉन में 250 से अधिक डॉक्टरों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, वैशाली के न्यूरोसर्जरी विभाग के वरिष्ठ निदेशक डॉ मनीष वैश्य ने कहा, “डॉक्टर समुदाय में न्यूरोलॉजी के क्षेत्र में हाल के विकास पर लगातार जागरूकता फैलाने के लिए वार्षिक एडुकॉन हमारी पहल है.

इस साल का एडुकॉन प्रतिदिन होने वाली रीढ़ की समस्याओं और मस्तिष्क व रीढ़ की सर्जरी को सुरक्षित और सरल बनाने पर केंद्रित था. ब्रेन ट्यूमर (घातक और सामान्य) पर अपने संबोधन में डॉ वैश्य ने कहा, “भारत में, प्रति एक लाख पर 8-10 लोग ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित हैं. वर्तमान में हमारे देश में 10 लाख लोग ब्रेन ट्यूमर से ग्रसित हैं, जिनमें से लगभग 50,000 इस साल अपनी जान गंवा देंगे. बच्चों में ब्रेन ट्यूमर विकसित होने की सामान्य उम्र 0-14 वर्ष है और वर्तमान में 0-9 वर्ष के आयु वर्ग में 48,000 ब्रेन ट्यूमर के मरीज हैं. ब्रेन ट्यूमर में रोग का निदान मुश्किल है और हिस्टोपैथोलॉजी रिपोर्ट के बाद ही इस पर चर्चा की जानी चाहिए.

डॉ. गिरीश राजपाल, एसोसिएट डायरेक्टर, न्यूरोसर्जरी और इंचार्ज इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली ने इस्केमिक स्ट्रोक पर अपने संबोधन में कहा, “स्ट्रोक परिवार, समाज और राष्ट्र पर एक बहुत बड़ा बोझ है. मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन जैसे हृदय रोगों की तुलना में स्ट्रोक के बारे में लोगों में जागरूकता काफी कम है, इस तथ्य के बावजूद कि स्ट्रोक की घटना पुरुषों में एमआई के लगभग बराबर और महिलाओं में तो उससे भी अधिक है. स्ट्रोक में, हर मिनट महत्वपूर्ण है और अगर किसी बड़ी धमनी में ब्लॉकेज़ नहीं है तो पहले 4.5 घंटों में जिन मरीजों का डायग्नोसिस हो गया है उनका उपचार केवल इंट्रा वेनस ड्रग्स (अंतःशिरा दवाओं) से किया जा सकता है.

हालांकि, इन दवाओं के साथ 4.5 घंटे के बाद, मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी की आवश्यकता होती है. कार्डियोलॉजी के विपरीत, स्ट्रोक प्रबंधन में स्थायी स्टेंट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है और प्रबंधन में रक्त प्रवाह को बहाल करने के लिए थ्रोम्बस को निकालना सम्मिलित होता है. डॉ. यशपाल सिंह बुंदेला, निदेशक, न्यूरोसर्जरी, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, वैशाली ने कहा, “मस्तिष्क और रीढ़ बहुत ही संवेदनशील अंग हैं, इसलिए इनका उपचार कुशल डॉक्टर ही बेहतर तरीके से कर सकते हैं, लेकिन इस क्षेत्र में बहुत ही कम विशेषज्ञता प्राप्त डॉक्टर हैं. यहां तक कि उन स्थानों पर जहां डॉक्टर मौजूद हैं – समग्र देखभाल प्रदान करने के लिए टीम उपलब्ध नहीं है. ब्रेन एंड स्पाइन पीपीएल, डॉ मनीष वैश्य के नेतृत्व में 28 स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम है, जिसमें न्यूरोलॉजी से संबंधित हर संभव क्षेत्र में कुशल और योग्य चिकित्सक हैं जो रोग संबंधी.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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