Loading election data...

Mental Health: खुशहाल बचपन बिताने वाले बच्चे भी हो सकते है मानसिक रोग का शिकार, जानें नए शोध में क्या हुआ खुलासा

Mental Health Disorders, Symptoms, Happy Childhood, Adulthood, New Study: यह जरूरी नहीं कि एक इंसान हंसता खेलता और शांतिपूर्वक बचपन बीताते रहे के बावजूद उसका मानसिक रोग से ग्रसित न हो. एक शोध के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में 50 फीसदी से भी ऊपर जनसंख्या मानसिक स्वास्थ्य से ग्रसित है. उन्होंने कभी न कभी अपने जीवन में मानसिक रोग का सामना किया है. लगभग 395 हजार बच्चे जिनकी उम्र चार से ग्यारह तक के बीच में है उन्हें मानसिक रोग का सामना करना पड़ रहा है. यह तो हम जानतें ही हैं की एक कठोर, दुःखमय बचपन किसी व्यक्ति की मनोदशा को बुरी तरह ठेस पहुंचा सकता है. किन्तु हाल ही के नए अध्ययन से यह पता चला है कि खुशनुमा बचपन जीने के बावजूद भी कोई इंसान भविष्य में मानसिक रोगी हो सकता है. यह अध्ययन ''करेंट साइकोलॉजी'' नामक जर्नल में प्रकाशित हुई है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 26, 2021 10:35 AM

Mental Health Disorders, Symptoms, Happy Childhood, Adulthood, New Study: यह जरूरी नहीं कि एक इंसान हंसता खेलता और शांतिपूर्वक बचपन बीताते रहे के बावजूद उसका मानसिक रोग से ग्रसित न हो. एक शोध के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में 50 फीसदी से भी ऊपर जनसंख्या मानसिक स्वास्थ्य से ग्रसित है. उन्होंने कभी न कभी अपने जीवन में मानसिक रोग का सामना किया है. लगभग 395 हजार बच्चे जिनकी उम्र चार से ग्यारह तक के बीच में है उन्हें मानसिक रोग का सामना करना पड़ रहा है. यह तो हम जानतें ही हैं की एक कठोर, दुःखमय बचपन किसी व्यक्ति की मनोदशा को बुरी तरह ठेस पहुंचा सकता है. किन्तु हाल ही के नए अध्ययन से यह पता चला है कि खुशनुमा बचपन जीने के बावजूद भी कोई इंसान भविष्य में मानसिक रोगी हो सकता है. यह अध्ययन ”करेंट साइकोलॉजी” नामक जर्नल में प्रकाशित हुई है.

मानसिक रोग होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि जन्म के वक़्त कॉम्प्लीकेशन्स, बचपन में ट्रामा का असर, काम काज का टेंशन इत्यादि.

मानसिक रोग के कुछ प्रकार होते है

डिप्रेशन, हाइपरमेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर, घबराहट, नींद की कमी इत्यादि. दरअसल, मानसिक रोग काफी घातक है. इससे इंसान कई बार मौत के कगार पर भी पहुंच जाता है.

मानसिक रोग के कारण

मानसिक रोग न केवल हमारे हमारे भूतकाल पर आधारित है बल्कि हमारे रहन सहन पर भी निर्भर करता है. हानिकारक खाद्य पदार्थ, उचित मात्रा में व्यायाम न करना व सामाजिक बाधाओं से भी उत्पन्न हो सकती है. हमे इस बात का ध्यान रखना होगा कि हम परिस्थिति से लड़े, न की भाग जाए.

Also Read: Grapes Side Effects: इन मरीजों के लिए अंगूर का सेवन जानलेवा, जानें किन्हें नहीं खाना चाहिए हरे या काले रंग का अंगूर
क्या है शोध में

शोधकर्ता बिआन्का काहल कहती हैं कि यह अध्ययन बच्चों के विभिन्न मानसिक रोग एवं उनसे होने वाले खतरों को प्रकाशित करता है. काहल की मानें तो इसके कई कारण अभी खोजे जाने बाकी है जिससे यह साफ हो जाएगा कि वाकई में बचपन के गहरे प्रभाव का असर व्यस्क में मष्तिष्क को प्रभावित कर सकता हैं.

उनका कहना है की अगर हम बचपन से ही समाज और मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना सीखते रहें तो हमें आगे जाकर दिक्कतें नहीं होंगी. हमें अपने परिस्थितियों से ज़्यादा उनके समाधान पर ज़ोर डालना चाहिए.

Also Read: Ayurvedic Diet Rules: आयुर्वेद से जुड़े इन 9 नियमों का करें पालन, दूर होंगी पाचन संबंधी सभी समस्याएं

Posted By: Sumit Kumar Verma

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

Next Article

Exit mobile version