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मानसिक परेशानियों से जूझ रहे लोगों के प्रति सोच बदलने की जरूरत, जानें क्या है The Lancet की रिपोर्ट

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों की सोच पर संस्कृति का भी बड़ा प्रभाव होता है, क्योंकि संस्कृति यह तय करने में भूमिका निभाती है कि किस तरह का व्यवहार सामाजिक रूप से स्वीकार्य माना जाता है.

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे लोगों और उनके परिवारों के प्रति नकारात्मक मानसिकता में बदलाव लाने एवं भेदभाव रोकने के लिए आमूलचूल परिवर्तन करने वाले कदम उठाना आवश्यक है. ‘द लांसेट’ पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है. एंडिंग स्टिग्मा एंड डिस्क्रिमिनेशन इन मेंटल हेल्थ पर लांसेट आयोग की रिपोर्ट में इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं.

दुनियाभर के 50 से अधिक विशेषज्ञों ने मिलकर यह रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट के जरिए आयोग ने नकारात्मक सोच को परिभाषित करने की कोशिश की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनियाभर में मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे लोगों को किस प्रकार की मानसिकता का सामना करना पड़ता है. इसमें इस नकारात्मक सोच से निपटने के लिए व्यापक स्तर के कार्यक्रमों के प्रभाव का आकलन किया गया है.

रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 216 समीक्षा पत्रों का अध्ययन किया गया, जिनमें से अधिकतर पत्रों में लोगों की सोच से जुड़े पहलू पर बात की गई है. इस अध्ययन में यह स्पष्ट निष्कर्ष निकला कि जो लोग मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या से जूझे हैं और जिन लोगों ने इसे नहीं झेला है, उनके बीच प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से सामाजिक संपर्क स्थापित करना सोच को बदलने का सबसे प्रभावशाली तरीका है. नकारात्मक सोच को बदलने में जो अन्य समावेशी नीतियां, कानून और योजनाएं अधिक मददगार हो सकती हैं, उनमें समुदाय आधारित उपाय, जन शिक्षा के कार्यक्रम एवं मीडिया गतिविधियां शामिल हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसिक बीमार से जूझ रहे लोगों और स्वस्थ लोगों को एक साथ लाने के लिए चलाए गए सामाजिक संपर्क कार्यक्रम में औसतन 25 सप्ताह की भागीदारी के बाद मरीजों को साथियों द्वारा परेशान किए जाने के मामलों में कमी आई. रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य से जूझने वाले लोगों को रोजगार, मतदान, संपत्ति के मालिकाना हक, विवाह और तलाक के मामलों में रुकावटों का सामना करना पड़ता है.

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मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों की सोच पर संस्कृति का भी बड़ा प्रभाव होता है, क्योंकि संस्कृति यह तय करने में भूमिका निभाती है कि किस तरह का व्यवहार सामाजिक रूप से स्वीकार्य माना जाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि संस्कृति यह निर्धारित करने में भी अहम भूमिका निभाती है कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां पैदा होने के क्या कारण हैं और उनका उपचार कैसे किया जा सकता है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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