Monkeypox scare: मंकीपॉक्स के मामले भारत में तेजी से फैल रहे हैं. मंकीपॉक्स मध्य अफ्रीका के डेमोक्रेटिक रिपब्लिक कांगो से निकली गंभीर बीमारी पूरी दुनिया में कोहराम मचा रही है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल कंसर्न पब्लिक हेल्थ इमरजैंसी घोषित कर दिया है साथ ही एम्स की ओर से भी मंकीपॉक्स के मरीजों को इमरजेंसी में हैंडल करने के लिए एसओपी जारी कर दी गई है. चलिए जानते हैं मंकीपॉक्स क्या होता है? मंकीपॉक्स के लक्षण और बचाव के उपाय क्या है? जानिए एम्स ने मंकीपॉक्स के लिए क्या एडवाइजरी जारी किया है?
मंकीपॉक्स क्या होता है?
भारत के साथ-साथ पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी मंकीपॉक्स के मामले सामने आ रहे हैं. मंकीपॉक्स के शिकार जानवर या व्यक्ति के शरीर से निकले संक्रमित फ्लूइड के संपर्क में आने से यह बीमारी एक दूसरे में फैलता है. सरल शब्दों में कहा जाए तो मंकीपॉक्स छुआछूत की बीमारी है. मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति के आसपास रखी चीजों को छूने या फिर उसके संपर्क में आने से फैलता है. अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार सबसे पहले 1958 में मंकीपॉक्स बीमारी सामने आया था जो बंदरों में पाया गया. इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रख दिया गया. इस बीमारी में बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे. फिलहाल मंकीपॉक्स जैसी गंभीर बीमारी अब इंसानों में तेजी से फैल रहा है
मंकीपॉक्स के लक्षण क्या है?
मंकीपॉक्स के केस भारत के साथ-साथ कई देशों में भी पाया जा रहा है. मंकीपॉक्स होने पर इसके लक्षण 6 से 13 दिन या फिर कई बार 5 से 21 दिन भी देखने को मिल सकता है. आमतौर पर मंकीपॉक्स से संक्रमित होने पर पांच दिन के भीतर बुखार, तेज सिरदर्द और शरीर में सूजन आदि जैसे लक्षण दिखने लगते हैं. इतना ही नहीं मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है. हालांकि बुखार होने के एक या फिर तीन दिन के बाद ही स्किन पर इसका असर दिखता है. पूरे शरीर में दाने निकल जाते हैं. खासतौर पर हाथ-पैर, हथेली, पैर के तलवे और चेहरे पर छोट-छोटे दाने निकल जाते हैं.
मंकीपॉक्स से बचाव क्या है
मंकीपॉक्स से बचना है तो सबसे पहले बंदरों और अन्य जानवरों के संपर्क में आना बंद कर दें. इसके अलावा अपने घर की सफाई करें. अगर आपको अपने आसपास किसी भी व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते हैं तो तुरंत चिकित्सकों की सलाह लें.
एम्स ने मंकीपॉक्स के लिए क्या एडवाइजरी जारी किया है?
ज्ञात हो कि दिल्ली एम्स ने मंकीपॉक्स के मामले को देखते हुए एक एडवाइजरी जारी किया है. जिसमें बताया गया है कि मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए सफदरजंग अस्पताल को रेफरल अस्पताल बनाया गया है. अगर किसी भी पीड़ित व्यक्ति में जांच के दौरान मंकीपॉक्स की पुष्टि होती है तो उसे सफदरजंग अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में स्थानांतरित कर दिया जाएगा. लोकनायक अस्पताल में 20 बेड और जीटीबी, अंबेडकर अस्पताल में 10-10 का आइसोलेशन वार्ड निर्धारित करने का निर्देश दिया गया है.
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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.