कोरोना के बाद अब बढ़ा मंकीपॉक्स का खतरा, जानें बचने के उपाय और इसके लक्षण

मंकीपॉक्स वायरस दुनिया में बढ़ता ही जा रहा है, अभी तक 20 से अधिक देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं. भारत में अब तक इसके मामले तो सामने नहीं आये हैं लेकिन सतर्कता जरूरी है

By Sameer Oraon | June 1, 2022 12:03 PM
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कोरोना महामारी के बीच दुनिया पर मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है. अभी तक 20 से अधिक देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ-साथ अपने देश में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने चेतावनी जारी की है. हालांकि, यहां अभी तक इसका कोई मामला नहीं मिला है, लेकिन इसको लेकर सतर्कता जरूरी है.

मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है. यह बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है, जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है. ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मॉल पॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं. वर्ष 1958 में रिसर्च के लिए तैयार की गयीं बंदरों की बस्तियों में यह वायरस सामने आया था और इससे पॉक्स जैसी बीमारी होना पाया गया था.

कैसे फैलता है यह वायरस

मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है. यह वायरस खरौंच लगे स्किन, सांस और मुंह के जरिये शरीर में प्रवेश करता है. छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से भी इसका प्रसार हो सकता है. इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं. शुरुआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं.

किन देशों में आ चुके हैं मामले

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अब तक अफ्रीका के बाहर 20 देशों में मंकीपॉक्स के लगभग 200 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. इनमें संयुक्त अरब अमीरात (यूएइ), अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, मोरक्को, कनाडा, स्वीडन, इटली, बेल्जियम, फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, पुर्तगाल, इस्राइल, स्लोवेनिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, अर्जेंटीना और स्पेन शामिल हैं. इनमें से ब्रिटेन, पुर्तगाल और स्पेन इसके सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं. स्पेन और बेल्जियम में हुई रेव पार्टियों का इसका जिम्मेदार माना गया है.

दो से चार सप्ताह में खत्म हो जाते हैं लक्षण

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मंकीपॉक्स वायरस स्मॉलपॉक्स और चिकनपॉक्स वायरस की तुलना में कम खतरनाक होता है और इसके ज्यादा गंभीर लक्षण नहीं होते हैं. मंकीपॉक्स में शरीर पर दाने होते हैं और उनमें से तरल पदार्थ निकलता है. हालांकि, इनमें कम दर्द होता है, लेकिन सूजन अधिक रहती है. अधिकतर संक्रमितों में इसके लक्षण दो से चार सप्ताह बाद ठीक हो जाते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, मंकीपॉक्स संक्रमण में मौत की दर तीन से छह प्रतिशत के बीच होती है.

इन बातों का रखें खास ख्याल

किसी भी इंसान में मंकीपॉक्स जैसे कोई भी लक्षण दिखने पर उससे स्किन-टू-स्किन, फेस-टू-फेस और फिजिकल कॉन्टैक्ट बिल्कुल न करें. मरीज के थोड़ा भी करीब आने के स्थिति में आप मास्क पहनें और हाथ धोएं.

मंकीपॉक्स के लक्षणों में पूरे शरीर पर मवाद से भरे दाने, बुखार, सूजे हुए लिंफ नोड्स, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान शामिल हैं.

ब्रिटेन की यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी की गाइडलाइन के मुताबिक, जिनके घर में चूहे और गिलहरी जैसे रोडेंट्स हैं, वे इन जानवरों से डायरेक्ट कॉन्टैक्ट में आने से बचें.

वहीं, जिन मरीजों के घर में कुत्ते और बिल्ली हैं, उन्हें भी जानवरों को आइसोलेशन में रखकर रेगुलर वेट चेकअप कराने होंगे. दरअसल, यह बीमारी जानवरों और इंसानों दोनों में फैल सकती है.

कोविड जैसी महामारी बनने का खतरा नहीं के बराबर

यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड अपर चेसापीक हेल्थ के मुख्य क्वालिटी अधिकारी और उपाध्यक्ष डॉ फहीम यूनुस के अनुसार, मंकीपॉक्स के मामले चिंताजनक हैं, लेकिन इसके कोविड जैसी महामारी बनने का खतरा जीरो प्रतिशत है. इसके कारण गिनाते हुए उन्होंने कहा कि कोविड महामारी का कारण बने सार्स सीओवी-2 वायरस की तरह मंकीपॉक्स वायरस नया नहीं है. उनके अनुसार, यह वायरस लगभग पांच दशक से मौजूद है. इसका मतलब है कि वैज्ञानिकों के पास इसकी अच्छी-खासी जानकारी मौजूद है.

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