Mother’s Day 2020: UNICEF का दावा इस दिसंबर तक पूरी दुनिया में जन्म लेंगे कुल 11.6 करोड़ बच्चे, चीन में 1.35 करोड़ जबकि भारत में 2.1 करोड़ रहेगा आंकड़ा

Mothers Day 2020 UNICEF claims total 11.6 crore children born upto December जिस तरह कोरोना का प्रसार पूरे दुनिया में लगातार होते जा रहा है. उससे यह अंदाजा लगा पाना असंभव है कि इसमें कब और कैसे कमी आयेगी. इधर, कोरोना और लॉकडाउन के बीच यूनीसेफ ने जो घोषणा की वो भी काफी चिंतनीय है.

By SumitKumar Verma | May 9, 2020 3:03 PM

Mothers Day 2020 UNICEF claims total 11.6 crore children born upto December जिस तरह कोरोना का प्रसार पूरे दुनिया में लगातार होते जा रहा है. उससे यह अंदाजा लगा पाना असंभव है कि इसमें कब और कैसे कमी आयेगी. इधर, कोरोना और लॉकडाउन के बीच यूनीसेफ ने जो घोषणा की वो भी काफी चिंतनीय है.

दरअसल, हाल ही में यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रन्स फंड यानी यूनिसेफ ने अनुमान लगाया है कि भारत में दिसंबर तक कुल 2 करोड़ से अधिक बच्चे पैदा हो सकते है. मदर्स डे से पहले लगाया यूनिसेफ का यह अनुमान आखिर क्यों चिंतनीय है, आईये जानते हैं इस रिर्पोट के जरिये..

यूनिसेफ के मुताबिक, 11 मार्च से 16 दिसंबर के बीच दुनियाभर में कुल 11 करोड़ 60 लाख बच्चे पैदा होने का अनुमान है. जिसमें अकेले भारत में ही 2.1 करोड़, जबकि चीन में 1.35 करोड़ बच्चे जन्म लेने का अनुमान है.

आपको बता दें कि 11 मार्च को ही कोरोना वायरस को वैश्विक महामारी घोषित किया गया था और इसी के अनुसार यूनीसेफ ने 40 सप्ताह का आकलन किया है. इस संस्था ने अन्य देशों के भी बारे में बताया है. जिसके मुताबिक, नाइजीरिया में 60.4 लाख, पाकिस्तान में 50 लाख और इंडोनेशिया में 40 लाख बच्चे पैदा होने का अनुमान लगाया गया है. अमेरिका इस मामले में छठे पायदान पर है. यहां इस दौरान 30 लाख से ज्यादा बच्चों के पैदा हो सकते है.

कैसा किया गया यह आकलन

यूनिसेफ ने यह आकलन संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड पॉपुलेशन डिवीजन 2019 की रिपोर्ट पर की है. इस रिर्पोट के मुताबिक एक एक महिला कि गर्भावस्था आमतौर पर 9 महीने तक मानी जाती है. वहीं, कुछ समय से पहले और कुछ एक-दो दिन बाद भी पैदा होते हैं. हालांकि, 40 सप्ताह को ही इस संस्था ने पैमाना बनाया है.

यूनिसेफ का डर

यूनिसेफ की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेनरिटा फोर ने पहले ही अनुमान लगाया था कि नई माताओं और नवजातों के लिए आने वाला समय काफी कठोर साबित होने वाला है. उन्होंने बताया है कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए दुनियाभर में प्रयास किए जा रहे है. लॉकडाउन और कर्फ्यू जैसे हालात होने के कारण दवाओं और मेडिकल उपकरणों या स्वास्थ्यकर्मी की कमी हो सकती है. इसके अलावा जिन महिलाओं को ये सब सुविधाएं मिल भी जाती है तो कोरोना संक्रमण का डर अलग से सताता रहेगा.

विकासशील देशों को सतर्क रहने की जरूरत

उन्होंने विकासशील देशों के बारे में भी बताते हुए कहा था कि यहां नवजात मृत्यु दर ज्यादा है. ऐसे में इन देशों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. उन्होंने एक आंकड़ा भी पेश किया जिसके अनुसार इस महामारी से पहले भी दुनिया में हर वर्ष करीब 28 लाख गर्भवती महिलाओं और नवजातों की मौत होते रही है.

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