Corona से ठीक हुए मरीजों में फैल रहा नया संक्रमण, जा सकती है आंखों की रोशनी, जानें बचने के उपाय

Health News: कोरोना के साथ-साथ अब म्यूकर माइकोसिस ने मरीजों की चिंता को और बढ़ा दिया है. यह रोग कोरोना से संक्रमित या इससे ठीक हो चुके मरीजों में फैल रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 13, 2021 9:40 AM

Health News: कोरोना के साथ-साथ अब म्यूकर माइकोसिस ने मरीजों की चिंता को और बढ़ा दिया है. यह रोग कोरोना से संक्रमित या इससे ठीक हो चुके मरीजों में फैल रहा है. कोरोना इस बीमारी का एक प्रमुख रिस्क फैक्टर उभर कर सामने आया है. यह एक फंगल इन्फेक्शन है, जो आमतौर पर नाक और साइनस के जरिये शरीर में प्रवेश करता है.

इससे ज्यादा खतरा मधुमेह या एचआइवी से पीड़ित मरीजों और कीमोथेरेपी पर आश्रित मरीजों में अधिक है. ऐसे में कोविड-19 से रिकवर हुए मरीजों को विशेष एहतियात बरतने की जरूरत है. इस बीमारी के कारण आंखों की रोशनी जा सकती है. यह बीमारी पहले भी थी, लेकिन बहुत कम मामले सामने आते थे. अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में पिछले 20 वर्षों में इसके 20-25 मामले ही आये थे, वहीं पिछले 9 महीनों में 46 मामले आये.

अधिकतर कोविड-19 से ठीक हो चुके उन मरीजों में, जिनकी इम्युनिटी कमजोर हो चुकी थी. दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में औसतन पांच मामले आते थे, वहीं पिछले कुछ समय में म्यूकर माइकोसिस के 26 मामले दर्ज हुए. भारत में पहले कभी ऐसा नहीं देखा गया. विशेषज्ञों के मुताबिक यह गंभीर संक्रमण है, इसलिए सतर्कता जरूरी है. यह संक्रमण नाक और गले से शुरू होता है, लेकिन जल्दी ही आंखों, मस्तिष्क और पूरे शरीर में फैल जाता है. यदि समय रहते उपचार न हो, तो मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर हो सकता है. यह रोग संक्रामक नहीं होता और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे संपर्क से नहीं फैलता.

कोरोना और म्यूकर माइकोसिस : कोरोना मुख्यत: श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है. वहीं, यह बीमारी रक्त नलिकाओं और शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को अत्यधिक प्रभावित करती है. कोरोना और म्यूकर माइकोसिस के बीच कमजोर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया सबसे प्रमुख कड़ी है. कोरोना से ठीक हुए उन मरीजों में इसके मामले ज्यादा आ रहे हैं, जिन्हें पहले से ही डायबिटीज, किडनी से संबंधित बीमारियां, हृदय रोग या कैंसर हैं.

कैसे संक्रमित करता है यह फंगस : यह शरीर में कई माध्यमों से प्रवेश कर सकता है. ये फंगल सांस के माध्यम से अंदर जा सकते हैं. त्वचा कहीं से कटी गयी हो, जली हो या त्वचा पर कोई जख्म हो, तो वहां से भी फंगस प्रवेश कर रक्त नलिकाओं को प्रभावित करता है. इससे ऊतकों का नेक्रोसिस हो जाता है. ऊतकों तक ब्लड सप्लाइ नहीं हो पाती. जब फंगस आंखों तक पहुंच जाता है, तो आंखों की पुतलियों के आस-पास की मांसपेशियों को लकवाग्रस्त कर देता है. इससे दृष्टिहीनता की आशंका रहती है. जब यह मस्तिष्क तक पहुंचता है, तो इसे राइनो ऑर्बिटल सेरेब्रल म्यूकर माइकोसिस (आरसीएम) कहते हैं.

जानिए उपचार : डायग्नोसिस के लिए सीटी स्कैन और एंडोस्कोपी होती है. संक्रमण होने पर एंटी-फंगल इंजेक्शन दिये जाते हैं. अगर प्रभावित भाग में फंगस की छोटी-छोटी गेंदें बन गयी हैं, तो सर्जरी की जाती है. वर्तमान में इसके लिए कोई वैक्सीन नहीं. एंटी-फंगल दवाइयों से उपचार होता है. संक्रमण की स्थिति के आधार पर उपचार के विकल्प चुने जाते हैं. यह ऊतकों को तेजी से क्षतिग्रस्त करता है. समय रहते इलाज करा लिया जाये, तो जटिलताओं से बच सकते हैं. यदि आंख व गाल में सूजन, नाक बंद होना, नाक में काला क्रस्ट जमा होने जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत बायोप्सी करवाएं और एंटी-फंगल थेरेपी शुरू कर दें.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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