कोलकाता : देश पहले से ही कोरोना वायरस और फंगल इंफेक्शन जैसी बीमारियों से लड़ रहा है. हर दिन इनके काफी केस सामने आ रहे हैं. ये बीमारियां कई लोगों की जान भी ले रही हैं. इन सबके बीच बच्चों को लेकर डॉक्टर्स और आम लोगों की चिंता बढ़ गयी है. इसकी वजह है- मल्टी सिस्टम इंफ्लामेटरी सिंड्रोम (एमआइएस-सी).
हैरानी वाली बात कि यह बीमारी बच्चों को अपना शिकार बनाती है. डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना संक्रमित होने के चार से छह सप्ताह बाद करीब दो फीसदी बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. कोलकाता इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (आइसीएच) में इस बीमारी से ग्रसित रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
बच्चों को लेकर चिंता बढ़ी
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बच्चों को शिकार बनाता है मल्टी सिस्टम इंफ्लामेटरी सिंड्रोम
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लगातार बढ़ रही है एमआइएस-सी से पीड़ित रोगियों की संख्या
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मोटापा के शिकार 16-17 साल के बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा
शहर के फोर्टिस समेत कुछ निजी अस्पतालों में भी एमआइएस-सी से पीड़ित बच्चों का इलाज चल रहा है. इससे राज्य में अब तक दो बच्चों की मौत भी हुई है. इस विषय में फोर्टिस अस्पाताल की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सुमिता साहा ने बताया कि महानगर में गत वर्ष जून में एमआइएस-सी का पहला मामला सामने आया था.
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कोरोना संक्रमित होने के बाद इस बीमारी की चपेट में आने वाले अधिकतर बच्चे 16-17 वर्ष के हैं. इस बीमारी से वे बच्चे ज्यादा ग्रसित हो रहे हैं जो मोटापा के शिकार हैं.
चिकित्सकों के अनुसार, एमआइएस-सी से पीड़ित बच्चों को आमतौर पर तेज बुखार के साथ सांस लेने में दिक्कत होती है. इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ के प्रो डॉ प्रभाष प्रसून गिरि ने बताया कि बच्चों के लिए एमआइएस-सी कोरोना से भी अधिक जानलेवा है. इससे पीड़ित बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है. उन्हें दिल का दौरा भी पड़ सकता है, जिससे जान तक जा सकती है.
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Posted By: Mithilesh Jha
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.