EXCLUSIVE: कोरोना की 90 दिन के लिए छुट्टी कर देता है झारखंड के डॉ राजेश का NANOVA HYGIENE+, अमेरिकी लैब ने भी माना लोहा

Jharkhand News, Coronavirus in Jharkhand, NANOVA HYGIENE+, Dr Rajesh Kumar, Coronavirus Infection, Nelson Labs USA: जमशेदपुर (संदीप सावर्ण) : कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है. झारखंड में लगातार इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जब तक बाजार में वैक्सीन नहीं आ जाता, तब तक लोगों को स्वच्छता के साथ इस वैश्विक महामारी से जंग की सलाह दी गयी है. हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है. ऐसे वक्त में जमशेदपुर के वैज्ञानिक डॉ राजेश कुमार ने नैनोवा हाइजीन प्लस (NANOVA HYGIENE+) लिक्विड तैयार किया है, जिसे एक बार इस्तेमाल करने के बाद 90 दिन तक कोरोना वायरस आपके घर से दूर रहेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 29, 2020 3:24 PM
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जमशेदपुर (संदीप सावर्ण) : कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है. झारखंड में लगातार इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जब तक बाजार में वैक्सीन नहीं आ जाता, तब तक लोगों को स्वच्छता के साथ इस वैश्विक महामारी से जंग की सलाह दी गयी है.

हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है. ऐसे वक्त में जमशेदपुर के वैज्ञानिक डॉ राजेश कुमार ने नैनोवा हाइजीन प्लस (NANOVA HYGIENE+) लिक्विड तैयार किया है, जिसे एक बार इस्तेमाल करने के बाद 90 दिन तक कोरोना वायरस आपके घर से दूर रहेगा.

जी हां, ऐसे वक्त में जब हर कोई इस अदृश्य दुश्मन के डर से दरवाजे के हैंडल, बिजली के स्विच, लिफ्ट के बटन, सोफा से लेकर फर्श तक को छूने से डर रहा है, जमशेदपुर के बारीडीह इलाका में रहने वाले डॉ राजेश कुमार ने एक ऐसे लिक्विड तैयार किया है, जो किसी भी सतह को वायरस फ्री कर सकता है. एडवांस एंटी माइक्रोबाॅयल नैनो पार्टिकल टेक्नोलॉजी से बने इस लिक्विड सॉल्यूशन को सतह पर एक बार लगा देंगे, तो 90 दिन तक कोरोना से मुक्त रहेंगे.

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डॉ राजेश कुमार ने ‘प्रभात खबर’ को बताया कि उनका यह उत्पाद भारत में मौजूद वायरस टेस्टिंग में सभी पैमाने पर खरा उतर चुका है. साथ ही वायरस को टेस्ट करने वाले अमेरिका स्थित दुनिया के सबसे मशहूर नेल्सन लैब ने भी इसे 99 प्रतिशत वायरस फ्री प्रोडक्ट घोषित किया है. इसके पेटेंट के लिए आवेदन भी कर दिया गया है.

डॉ राजेश ने बताया कि यह पानी की तरह है. इसका इस्तेमाल करना बेहद आसान है. इसे किसी कपड़े या फिर ब्रश के जरिये फर्श, सोफा, बेड, बिजली के उपकरण, लिफ्ट, कार, जमीन की फर्श, दीवार, नल, किचेन समेत कहीं भी एक बार लेप लगा दें. इसके बाद अगले 90 दिन तक ह्यूमन कोरोना वायरस (229 इ) व आरएनए वायरस के बैक्टिरिया या जर्म्स नहीं पनपेंगे.

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डॉ राजेश ने कहा कि अभी आमतौर पर लोग सुरक्षा के उपाय के तौर पर ब्लीचिंग पाउडर, सोडियम हाइपो क्लोराइड या हाइड्रोजन पाराक्साइड का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह तत्काल के लिए होता है. इसे बार-बार इस्तेमाल करना पड़ता है. साथ ही इसके इस्तेमाल के बाद फर्श खराब होने के साथ ही बार-बार इस्तेमाल से यह इंसान के लिए भी काफी खतरनाक होता है.

डॉ राजेश ने बताया कि इस लिक्विड का इस्तेमाल मुंबई के अपोलो सहित अन्य अस्पतालों में हो रहा है. लोग फर्श के साथ अन्य जगहों को भी इससे सैनिटाइज कर रहे हैं. इतना ही नहीं, महाराष्ट्र के कई सरकारी दफ्तरों के अलावा कई अन्य बड़े संस्थानों में भी इसका इस्तेमाल शुरू हो गया है.

किसी चीज को छूने से कोरोना का डर नहीं

अब तक ऐसा देखा गया है कि कोरोना का संक्रमण ट्रैवल हिस्ट्री के अलावा सेकेंडरी ट्रांसमिशन के जरिये भी फैल रहा है. यानी कोरोना पॉजिटिव मरीज ने अगर किसी चीज को छुआ था अौर उसे सामान्य व्यक्ति ने भी छू दिया, तो वायरस का ट्रांसमिशन उसके शरीर में भी हो रहा है. यानी किसी चीज को छूने से वायरस का ट्रांसमिशन हो रहा है, लेकिन इस लिक्विड की कोटिंग के बाद सेकेंडरी ट्रांसमिशन का खतरा नहीं होगा.

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डॉ राजेश के मुताबिक, अगर कोरोना पॉजिटिव मरीज ने किसी भी सतह को छू दिया है और उसके बाद कोई दूसरा स्वस्थ व्यक्ति उसी चीज को छूता है, तो उसे कोरोना नहीं होगा. उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह है कि जैसे ही कोरोना संक्रमित व्यक्ति लिक्विड कोटेड जगह को छूता है, इसके नैनो मॉल्यूकुल एक्टिव हो जाते हैं अौर कोरोना वायरस को डिएक्टिवेट व न्यूट्रलाइज कर देते हैं. इसलिए स्वस्थ व्यक्ति में ह्यूमन कोरोना वायरस (229इ) का खतरा नहीं रह जाता.

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एनआइटी दुर्गापुर में कोरोजन इंजीनियरिंग पर किया रिसर्च

बारीडीह में विजया गार्डेन के पास रहने वाले डॉ राजेश कुमार फिलहाल मुंबई में रहते हैं. उनकी स्कूली शिक्षा जमशेदपुर के आरडी टाटा हाई स्कूल से हुई. वर्ष 1999 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद आइएससी की पढ़ाई करीम सिटी कॉलेज से की. इसके बाद ग्रेजुएशन व पीजी की डिग्री जमशेदपुर को-अॉपरेटिव कॉलेज से ली.

पीजी की पढ़ाई पूरी करने के बाद राजेश एनआइटी दुर्गापुर में कोरोजन इंजीनियरिंग पर रिसर्च करने लगे. यहां रिसर्च पूरा करके लौटे, तो टाटा स्टील में एक साल तक इंटर्नशिप की. इसके बाद आइआइटी बांबे से पीएचडी करने मुंबई चले गये. यहां उनको कोरोजन इंजीनियरिंग में आइआइटी का बेस्ट पीएचडी अवार्ड भी मिला.

इसके बाद जर्मनी गये, वहां भी नैनो टेक्नोलॉजी व मॉलीक्यूल पर रिसर्च किया. पीएचडी करने के बाद उन्होंने अपने दो दोस्तों (डॉ स्वप्न घोष व डॉ फैजल अंसारी) के साथ मिलकर एक कंपनी की स्थापना की. अब तक उन्होंने सात प्रोडक्ट का पेटेंट कराया है.

Posted By : Mithilesh Jha

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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