National Doctor’s Day 2020,Happy Doctors Day, Wishes images, quotes, status, messages, sms, photos: एक जुलाई यानी आज डॉक्टर्स डे मनाया जा रहा है, ऐसे में हर कोई स्वास्थ्यकर्मियों को सलाम कर रहा है.यह खास दिन उन तमाम डॉक्टरों को समर्पित है जो जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे इंसानों का न सिर्फ इलाज करते हैं, बल्कि एक नया जीवन भी देते हैं. भारत के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय को सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए भी यह दिवस मनाया जाता है.
एक जुलाई को डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय का जन्मदिन और पुण्यतिथि होती है. उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है. उन्हें उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए बंगाल का आर्किटेक्ट भी कहा जाता है. साल 1961 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था. उन्हीं की याद में तत्कालीन केंद्र सरकार ने साल 1991 में नेशनल डॉक्टर्स डे मनाने का ऐलान किया था. तब से हर साल एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जा रहा है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉक्टरों को सलाम किया और कहा कि भारत हमारे डॉक्टरों को सलाम करता है जो कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे हैं. वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने भी डॉक्टरों को राष्ट्र को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए उनके द्वारा किए जा रहे कर्तव्य को सलाम किया है. गृह मंत्री ने कोरोना महामारी के दौर में डॉक्टरों के प्रयासों और सेवा के लिए उनकी सराहना की है.
India salutes our doctors- exceptional care givers who are at the forefront of a spirited fight against COVID-19. #doctorsday2020 pic.twitter.com/WsWroXjVpO
— Narendra Modi (@narendramodi) July 1, 2020
पीएम मोदी ने एक वीडियो ट्वीट में कहा, मां हमें जन्म देती है तो कई बार डॉक्टर हमें पुनर्जन्म देता है. संकट की इस घड़ी में अस्पतालों में सफेद दिख रहे डॉक्टर-नर्स, ईश्वर का ही रूप हैं. खुद को खतरे में डालकर ये हमें बचा रहे हैं. इनके साथ बुरा बर्ताव होता दिखे तो आप वहां जाकर लोगों को समझाएं. डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ जिंदगी बचाते हैं और हम उनका श्रण कभी नहीं उतार सकते. ये सबका दायित्व है जो देश की सेवा करते हैं, जो देश के लिए खुद को खपाते हैं, उनका सार्वजनिक सम्मान हर पल होते रहना चाहिए.
डॉ बिधानचंद्र रॉय का जन्म 1882 में बिहार की राजधानी पटना में हुआ था. उन्होंने पहले कोलकाता में अपनी मेडिकल पढ़ाई पूरी की. इसके बाद लंदन से एमआरसीपी और एफआरसीएस की उपाधि हासिल की. कहा जाता है कि भारतीय होने की वजह से पहले उन्हें लंदन के सेंट बार्थोलोम्यू अस्पताल में दाखिला नहीं दियाा गया था, करीब डेढ़ महीने तक डीन के पास आवेदन करते रहे, आखिर में डीन ने हार मानकर 30वीं बार में उनका आवेदन स्वीकार कर लिया. रॉय इतने काबिल थे कि सवा दो साल में ही एक साथ फिजिशन और सर्जन की डिग्री हासिल कर ली.
लंदन से पढ़ाई पूरी करने के बाद रॉय भारत आ गए और 1911 में अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत की. इसके बाद वे कोलकाता मेडिकल कॉलेज में व्याख्याता बने,वहां से कैंपबेल मेडिकल स्कूल और फिर कारमेल मेडिकल कॉलेज गये. भारत में चिकित्सा के क्षेत्र में उन्होंने बहुत नाम और सम्मान कमाया. इसके अलावा रॉय राजनीति में भी एक्टिव रहे. कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए. बाद में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का पद भी संभाला. उनकी ख्याति एक शिक्षक एवं चिकित्सक के रूप में कम, स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में शामिल होने के कारण अधिक बढ़ी. 80 साल की उम्र में उनके जन्मदिन वाले दिन 1 जुलाई को उनकी मृत्यु हो गई.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.