National Epilepsy Day 2022: मिर्गी के बारे में कई भ्रांतियां हैं. इन्हीं में से एक यह भी है कि मिर्गी एक लाइलाज बीमारी है. इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने और सही जानकारी देने के लिये प्रतिवर्ष 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है.
अचानक लड़खड़ाना, फड़कना, हाथ पांव में अनियंत्रित झटके का आना, बेहोशी, चक्कर आना, दौरे पड़ना, हाथ पैर में सनसनी जैसे पिन या सुई चुभोई गई हो, हाथ पैर की मांसपेशियों में जकड़न होना.
मिर्गी की बीमारी किसी भी उम्र को प्रभावित कर सकती है. लेकिन अलग-अलग उम्र में इस बीमारी के लक्षण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कुछ आंकड़े प्रदर्शित किए गये हैं. जिनमें दर्शाया गया है कि पूरे विश्व में 50 लाख से अधिक लोग मिर्गी की बीमारी के शिकार हैं. जबकि भारत में करीब 10 लाख लोग मिर्गी रोग के प्रभाव में हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि ज्यादातर लोग लगभग 80 प्रतिशत विकासशील देशों के है.
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मिर्गी रोगियों के लिए कुछ कारण जिम्मेदार माने जाते हैं. जिसके कारण मिर्गी होने की संभावना अधिक होती हैं:
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यदि किसी व्यक्ति के मस्तिष्क में कोई चोट लगी हो तो मिर्गी होने की संभावना होती है.
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किसी महिला के डिलीवरी के समय यदि कोई चोट लग जाती है तो ऐसे में भी मिर्गी आने लगती है.
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यदि किसी व्यक्ति के मस्तिष्क में कोई इंफेक्शन हो गया हो तो भी मिर्गी आने लगती है.
जिन व्यक्तियों को स्ट्रोक एवं ब्रेन ट्यूमर की समस्या होती है उनको भी मिर्गी की शिकायत हो सकती है. -
किसी कारण से व्यक्ति के सिर में चोट या फिर किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो मिर्गी के दौरे पड़ने लगते है.
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कम उम्र में यदि किसी के तेज बुखार या फिर कोई तपेदिक रोग (Tuberculosis) से पीड़ित रहा हो तो भी मिर्गी का शिकार हो सकते है.
मिर्गी के दौरों को नियंत्रित किया जा सकता है. मिर्गी के साथ जी रहे मरीजों में से 70 लोग एंटीसीजर दवाएं लेकर ठीक हो सकते हैं. अगर आप एंटीसीजर दवाएं ले रहे हैं और दो साल से आपको कोई दौरा नहीं आया है तो दवाएं लेना बंद कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको पहले क्लिनिकल, सोशल और पर्सनल फैक्टर्स की जांच करनी चाहिए. मिर्गी के दौरों का एक डॉक्यूमेंटिड इटियोलॉजी और असामान्य इलेक्ट्रोएन्सेफ्लोग्राफी (EEG) पैटर्न मिर्गी के आगामी दौरों के बारे में सबसे सटीक जानकारी दे सकते हैं. कम आय वाले देशों और इलाकों में रहने वाले मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है और इसे ट्रीटमेंट गैप कहते हैं. जिन मरीजों को दवाओं से लाभ नहीं मिलता है, सर्जरी के जरिए उनका इलाज किया जा सकता है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.