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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, हर चार में से एक भारतीय मोटापे से ग्रसित

ग्रामीण पुरुष और महिलाएं अपने शहरी समकक्षों की तुलना में पतले हैं. मोटे लोगों की जनसंख्या का प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों (20 प्रतिशत) की तुलना में शहरी (33 प्रतिशत) क्षेत्रों में अधिक है.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि हर चार में से एक भारतीय मोटापे से ग्रस्त है. रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं में मोटापा 21 प्रतिशत से बढ़कर 24 प्रतिशत और पुरुषों में 19 प्रतिशत से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण पुरुष और महिलाएं अपने शहरी समकक्षों की तुलना में पतले हैं. मोटे लोगों की जनसंख्या का प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों (20 प्रतिशत) की तुलना में शहरी (33 प्रतिशत) क्षेत्रों में अधिक है. साथ ही, अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त पुरुषों और महिलाओं के अनुपात में लगातार वृद्धि हो रही है.

पुडुचेरी (46 फीसदी), चंडीगढ़ (44 फीसदी), दिल्ली, तमिलनाडु और पंजाब (41 फीसदी प्रत्येक) में मोटापे से ग्रस्त महिलाओं का अनुपात सबसे ज्यादा है. इसकी तुलना में, झारखंड और बिहार के बाद गुजरात में दुबली महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक है. दूसरी ओर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अधिक वजन वाले पुरुषों (45 प्रतिशत) का अनुपात सबसे अधिक है. इसके बाद पुडुचेरी (43 प्रतिशत) और लक्षद्वीप (41 प्रतिशत) हैं.

बिहार, मध्य प्रदेश और गुजरात में दुबले-पतले पुरुषों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है. नोएडा फोर्टिस हॉस्पिटल के डॉक्टर वीएस चौहान ने बताया कि भारत में लगभग 25 प्रतिशत पुरुष और महिलाएं अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त हैं, जो चिंताजनक है. मोटापा कई बीमारियों जैसे- उच्च रक्तचाप, मधुमेह और यकृत से संबंधित बीमारियों और स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम का प्रमुख कारण है.

झारखंड,​ बिहार, गुजरात की महिलाएं दुबली-पतली

महिलाओं में पुरुषों की तुलना में मोटापा अधिक

भारत ग्रामीण शहरी

महिलाएं 33.2% 19.7%

पुरुष 29.8% 19.3%

दिल्ली और पंजाब में मोटापे के मामले अधिक

राज्य महिला पुरुष

पश्चिम बंगाल 22.7% 16.2%

बिहार 15.9% 14.7%

झारखंड 11.9% 15.1%

मध्य प्रदेश 16.6% 15.6%

महाराष्ट्र 23.4% 24.7%

राज्य महिला पुरुष

राजस्थान 12.9% 15.0%

उत्तर प्रदेश 21.3% 18.5%

दिल्ली 41.3% 38.0%

पंजाब 40.8% 32.2%

ओड़िशा 23.0% 22.2%

ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों में विकास में कमी के मामले अधिक

एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-21 में शहरी क्षेत्रों के बच्चों (30%) के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों (37%) में विकास में कमी के मामले अधिक हैं. पुडुचेरी (20%) में यह सबसे कम व मेघालय (47%) में सबसे अधिक है. हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, यूपी व सिक्किम (सात-सात अंक), झारखंड, मप्र और मणिपुर (छह-छह अंक) और चंडीगढ़ व बिहार (पांच-पांच अंक) में बच्चों के विकास में कमी मामले में कमी देखी गयी.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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