आज है राष्ट्रीय पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर दिवस, जानें इस दौरान कैसे रखें अपना ख्याल

National PTSD Awareness Day 2022: वर्ष 2010 में पहली बार 27 जून को पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर अवेयरनेस डे के तौर पर मान्यता दी गई. इस दिवस का उद्देश्य है कि इस मानसिक स्थिति के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरुकता फैलाना.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 27, 2022 7:26 AM

National PTSD Awareness Day 2022: आज यानी 27 जून को राष्ट्रीय PTSD जागरूकता दिवस मनाया जा रहा है. हम आज आपको बताने वाले हैं आखिर पोस्‍ट ट्रॉमेटिक स्‍ट्रेस डिसऑर्डर है क्या और इस दौरान अपने आप का ख्याल कैसे रखना चाहिए

पोस्‍ट ट्रॉमेटिक स्‍ट्रेस डिसऑर्डर (Post Traumatic Stress Disorder)

इस कंडीशन को मेडिकल टर्म में पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) कहा जाता है. इस स्थिति की गंभीरता को समझते हुए वर्ष 2010 में पहली बार 27 जून को पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर अवेयरनेस डे (Post Traumatic Stress Disorder Awareness Day) के तौर पर मान्यता दी गई.

इस दिवस का उद्देश्य है कि इस मानसिक स्थिति के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरुकता फैलाना. साथ ही अगर कोई आपके आसपास ऐसी स्थिति से गुजर रहा है तो उसके प्रति ज्यादा संवेदनशील होना.

हर रोज हमें कई ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है जब हम उदास हो जाते हैं. पर साधारण उदासी को पीटीएसडी समझने की गलती करने से पहले यह जान लेना जरूर है कि यह आखिर है क्या.

पीटीएसडी के संकेत

  • हमेशा एकांत में रहना अथवा सेल्फर आइसोलेशन

  • दूसरों से अलगाव महसूस करना

  • मूडस्विंग

  • बुरे सपने आना

दर्दनाक घटनाओं का फिर से अनुभव करनाआघात-संबंधी संकेतों से बचनाआघात से संबंधित नकारात्मक विचार और भावनाएं आनाआघात संबंधी उत्तेजना महसूस करना

आप पीटीएसडी से कैसे बच सकती हैं

मार्केस कहती हैं, यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण या संकेत से गुजर रहीं हैं तो आपको अपनी मानसिक स्थिति पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. इसके लिए आप निम्न बिंदुओं को फॉलो कर सकती हैं –

स्लीप हाइजीन का ख्या‍ल रखें यानी अपने बेडरूम से वे चीजें बाहर कर दें, जो आपकी नींद में खलल डालती हैं.लोगों से घुलने-मिलने की कोशिश करें. सोशल सपोर्ट आपको तनाव से बाहर आने में मदद कर सकती है.अपने मस्तिष्क को थोड़ा आराम दें. बार-बार अनावश्यक बातें न सोचें.

क्या पीटीएसडी से उबरा जा सकता है?

यदि आप ऐसा सोच रहीं हैं कि यह जीवन भर का रोग है तो मार्केस थोड़ी उम्मीेद बंधाती हैं. वे कहती हैं कि यह किसी भी आम संक्रामक रोग की तरह है. अगर आप इस पर ध्यान नहीं देंगी, उपचार में लापरवाही बरतेंगी तो यह कहीं जाने वाला नहीं है. पर अगर आप उन स्थितियों से बचेंगी जो तनाव को और बढ़ाती हैं तो आप इसकी तीव्रता से बच पाएंगी.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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