National Safe Motherhood Day: गर्भवती की करें खास देखभाल ताकि मां-बच्चा बने खुशहाल
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस (11 अप्रैल) को मनाया जाता है. इस विशेष दिन का महत्व इसलिए है कि गर्भावस्था, प्रसव, प्रसव के बाद और गर्भवती को स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की जानकारी दी जा सके. इस दिन की शुरुआत व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया (White Ribbon Alliance India) ने की थी.
National Safe Motherhood Day 2022: राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस 11 अप्रैल को मनाया जाता है. इस दिन के माध्यम से गर्भावस्था, प्रसव, प्रसव के बाद और गर्भवती को स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की जानकारी दी जाती है. जिससे जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखा जा सके. मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सके.
संयुक्त निदेशक मातृत्व स्वास्थ्य उत्तर प्रदेश व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजरी टंडन का कहना है कि गर्भवती की प्रसव पूर्व मुफ्त जांच के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस के तहत हर माह की 9 तारीख को स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेष आयोजन होता है. इस दिन एमबीबीएस डॉक्टर गर्भवती की पूरी जांच नि:शुल्क करता है. यदि उसे कोई जटिलता नजर आती है तो उन महिलाओं को चिन्हित कर उन पर खास नजर रखी जाती है. जिससे जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखा जा सके.
गर्भवती की तीसरे-चौथे महीने जांच जरूरी
डॉ. मंजरी टंडन ने बताया कि मां-बच्चे को सुरक्षित करने का पहला कदम यही होना चाहिए कि गर्भावस्था के तीसरे-चौथे महीने में प्रशिक्षित चिकित्सक से जांच अवश्य करायी जाए. जिससे किसी भी जटिलता का पता चलते ही उसके समाधान का प्रयास किया जा सके. इसके साथ ही गर्भवती खानपान का खास ख्याल रखें और खाने में हरी साग-सब्जी, फल आदि का ज्यादा इस्तेमाल करें
आयरन और कैल्शियम की गोलियों का सेवन चिकित्सक के बताये अनुसार किया जाये. प्रसव का समय नजदीक आने पर सुरक्षित प्रसव के लिए पहले से ही निकटतम अस्पताल का चयन कर लेना चाहिए. मातृ-शिशु सुरक्षा कार्ड, जरूरी कपड़े और एंबुलेंस का नंबर याद रखना चाहिए. समय का प्रबंधन भी जरूरी है क्योंकि एंबुलेंस को सूचित करने में और अस्पताल पहुंचने में देरी से खतरा बढ़ सकता है
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प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना का फायदा लें
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना ऐसी योजना है, जिसमें गर्भवती को सही पोषण और उचित स्वास्थ्य देखभाल के लिए तीन किश्तों में 5000 रूपये दिए जाते हैं. इसके अलावा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने पर ग्रामीण महिलाओं को 1400 रूपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रूपये दिए जाते हैं. प्रसव के तुरंत बाद बच्चे की उचित देखभाल के लिए जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम है. सुरक्षित प्रसव के लिए समय से घर से अस्पताल पहुंचाने और अस्पताल से घर पहुंचाने के लिए 102 एंबुलेंस सेवा उपलब्ध है ।
हाई रिस्क प्रेगनेंसी (HRP) की पहचान
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दो या उससे अधिक बार बच्चा गिर गया हो या एबार्शन हुआ हो
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बच्चे की पेट में मृत्यु हो गयी हो या पैदा होते ही मृत्यु हो गयी हो
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कोई विकृति वाला बच्चा पैदा हुआ हो
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प्रसव के दौरान या बाद में अत्यधिक रक्तस्राव हुआ हो
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पहला प्रसव बड़े आपरेशन से हुआ हो
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गर्भवती को पहले से कोई बीमारी हो :
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हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) या मधुमेह (डायबीटीज)
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दिल की या गुर्दे की बीमारी, टीबी या मिर्गी की बीमारी
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पीलिया, लिवर की बीमारी या हाईपोथायराइड
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वर्तमान गर्भावस्था में यह दिक्कत तो नहीं :
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गंभीर एनीमिया- सात ग्राम से कम हीमोग्लोबिन
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ब्लड प्रेशर 140/90 से अधिक
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गर्भ में आड़ा/तिरछा या उल्टा बच्चा
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चौथे महीने के बाद खून जाना
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गर्भावस्था में डायबिटीज का पता चलना
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एचआईवी या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित होना
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.