कोरोनावायरस की तीसरी लहर से पहले भारत में अब निपाह वायरस ने दस्तक दे दी है. आपको बता दें केरल के कोझीकोड में 5 सितंबर को निपाह में 12 साल के एक लड़के की मौत के बाद, स्थानीय अधिकारियों ने जिले और आसपास के क्षेत्रों में घातक वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कमर कस ली है. पुणे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने निपाह वायरस की उपस्थिति की पुष्टि की है.
1998 में सबसे पहले बताया गया था निपाह वायरस के बारे में
साल 1998 में वैज्ञानिकों ने सबसे पहले निपाह वायरस के बारे में बताया था. साल 2001 से 2008 के बीच पश्चिम बंगाल में इस वायरस का कहर देखने को मिल चुका है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक निपाह वायरस जानवरों (जैसे चमगादड़ या सुअर) या दूषित खाद्य पदार्थों से मनुष्यों में फैल सकता है.
साल 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में इस वायरस के संक्रमण के 66 मामले सामने आए थे जिनमें से 45 मरीजों की मौत हो गई थी. इसके बाद 6 साल बाद एक बार फिर पश्चिम बंगाल के ही नदिया जिले में इस वायरस का संक्रमण फैला और 5 नए लोगों को मरने की जानकारी दी गई.
निपाह वायरस के लक्षण
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कफ के साथ लगातार बुखार आना और सांस लेने में तकलीफ
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सांस की नली में खतरनाक संक्रमण
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बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उलटी, गले में खराश, थकान, नींद की समस्या
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इनसेफ्लाइटिस के लक्षण भी दिख सकते हैं
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खतरनाक केस में मरीज को निमोनिया के लक्षण दिख सकते हैं. ये लक्षण बीमार होने के 24 से 48 घंटे बाद दिख सकते हैं. निपाह वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड 5-14 दिन से लेकर 45 दिन का हो सकता है.
बरतें सावधानी
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चमगादड़ों के संपर्क वाली चीजों को छूने से बचना चाहिए
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फलों- सब्जियों के इस्तेमाल से पहले उन्हें अच्छी तरह से धोकर साफ कर लें
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संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें. हाथों की साफ-सफाई का ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है
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इस वायरस का इलाज फिलहाल नहीं मिल सका है, इसलिए सावधानी ही इसका एकमात्र इलाज है
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फलों को खरीदते और खाते समय पूरी सावधानी बरतें
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चमगादड़ों और सुअरो के संपर्क में आने से बचें
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संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें
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इसके प्रति जितना अधिक हो सके लोगों को जागरुक करें
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मुंह पर मास्क लगाएं और हाथों को कुछ-कुछ समय के बाद साबुन या सेनेटाइजर से साफ करते रहें
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लक्षण दिखाई देने पर मरीज को तुरंत एहतियात के साथ अस्पताल लेकर जाएं या डाक्टर की सलाह लें
डब्ल्यूएचओ के सुझावों के मुताबिक संक्रमण की गंभीर स्थिति जैसे श्वसन और तंत्रिका संबंधी जटिलताओं में रोगी को आईसीयू में भर्ती किया जाना चाहिए.संक्रमण से बचाव के उपायों को प्रयोग में लाकर लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं.
Posted By: Shaurya Punj
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.