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स्पोर्ट्स इंज्यूरी से जुड़े दो गंभीर मामलों का गोविन्द ऑर्थो केयर में हुआ ऑपरेशन, जानें कैसे हुआ इलाज?

खेल में अक्सरहां बच्चे चोटिल हो जाते हैं. खेल में चोटिल होना सामान्य है, मगर चोट गंभीर हो; तो इलाज कठिन हो जाता है. खासकर, तब जब चोट अंदरूनी हो, तो उसका इलाज और भी दुष्कर है. मगर, हमारे बिहार-झारखंड में ऐसे छुपे रुस्तम हैं चिकित्सक हैं, जो कठिन को आसान बनाकर बच्चों चंगा करके मैदान में उतार देते हैं.

पटना : खेल खेलना बहुत आसान है, मगर खेल में घायल खिलाड़ियों का इलाज या ऑपरेशन करना उससे कहीं ज्यादा कठिन. खेल में चाहे फुटबॉल हो या क्रिकेट या फिर खो-खो कबड्डी, हर जगह चोट लगने या टूट-फूट होने का खतरा रहता ही रहता है. वैसे भी, कहावत है कि आदमी हाथी पर सवार रहता है, फिर भी कुत्ता काट लेता है. अर्थात खेल में भी इसी प्रकार की दुर्घटना होने की आशंका भरपूर रहती है. मगर, आपको बता दें कि आर्थिक तौर पर ‘बीमारू’ राज्य की कैटेगरी में शामिल बिहार-झारखंड में एक से बढ़कर एक ऐसे चिकित्सक हैं, जो पलक झपकते दुर्लभ से दुर्लभतम रोगों का निदान ढूंढ़ लेते हैं. कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है, अपने बिहार राज्य की राजधानी पटना के हनुमान नगर स्थित गोविंद ऑर्थो केयर के चिकित्सक डॉ अश्विनी कुमार पंकज ने.

पटना के हनुमान नगर स्थित गोविंद ऑर्थो केयर के डॉ अश्विनी कुमार पंकज ने स्पोर्ट्स इंज्यूरी से जुड़े दो मामलों में सर्जरी से दो मरीजों को सामान्य जीवन जीने का मौका दिया. आपको बताते चलें कि उनके पास पहला मामला बिहार के गया जिला से आया. गया के 16 वर्षीय अंशु कुमार (बदला हुआ नाम) को फुटबॉल खेलने के दौरान घुटने में चोट लग गयी थी. उसका पैर मुड़ गया था. उसे चलने में मुश्किल हो रही थी. दोनों पैरों के बीच संतुलन नहीं बना पा रहा था. वह अपने शरीर का वजन अपने पैरों पर नहीं ले पा रहा था. उसके परिजनों ने कई जगह पर उसका इलाज कराया, मगर पैसा ज्यादा मांगा जा रहा था. आखिर में वे पटना के हनुमान नगर स्थित गोविंद ऑर्थो केयर पहुंचे.

यहां जांच में पता चला कि उसके घुटने का लिगमेंट टूट गया है. इसके बाद डॉ अश्विनी कुमार पंकज की देखरेख में उसका ऑपरेशन किया गया. इस ऑपरेशन के जरिए लिगमेंट का रिकंस्ट्रक्शन किया गया. यह ऑपरेशन करीब एक घंटा चला. ऑपरेशन के तीन दिन के बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया.

डॉ अश्विनी का कहना है कि मरीज अब पूरी तरह ठीक है. पैर का संतुलन ठीक है, पैरों पर वजन भी दे पा रहा है और उसे कोई दर्द भी नहीं है. इस ऑपरेशन में सबसे जरूरी बात यह रही कि उसके लिगमेंट में गलने वाला स्क्रू डाला गया है, जिससे उसे दोबारा ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी.

दूसरे मामले में सीवान के 18 वर्षीय सूरज कुमार को क्रिकेट खेलने के दौरान घुटने में चोट लग गई थी. उसके घुटने का लिगमेंट टूट गया था. साथ ही घुटने की गद्दी भी फट गई थी. गोविंद ऑर्थो केयर में उसके लिगमेंट का रिकंस्ट्रक्शन किया गया. साथ ही गद्दी को भी रिपेयर किया गया.

ऑर्थोपैडिक सर्जन और स्पोर्ट्स इंज्यूरी विशेषज्ञ डॉ अश्विनी पंकज ने इन दोनों सफल ऑपरेशन के बाद कहा कि स्पोर्ट्स इंज्यूरी को लेकर लोगों में बहुत तरह की भ्रांतियां हैं. लोग समझते हैं कि पटना में स्पोर्ट्स इंज्यूरी का सटीक इलाज नहीं हो पाता है. इसके लिए दिल्ली या बड़े शहरों में जाना अनिवार्य है. जबकि, हमने इस भ्रांति को दूर करने का काम किया है. उन्होंने प्रभात खबर से कहा कि हमने यहां कम पैसे में सटीक इलाज से कई मरीजों को ठीक किया है और वे पूरी तरह संतुष्ट और स्वस्थ है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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