बच्चों में इंटरनेट और ऑनलाइन गेमिंग की लत एक मानसिक समस्या! जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट
Online Gaming Addiction: वर्तमान समय में इन्टरनेट की लत एक समस्या बन चुकी है. बच्चों में इसका प्रभाव ऑनलाइन गेमिंग अडिक्शन के रूप में देखा रहा है. स्मार्टफोन में वीडियो गेम्स के सभी फीचर्स होने से बच्चे, युवा 6 से 10 घंटे लगातार स्मार्टफोन पर गेम्स खेल रहे हैं.
Online Gaming Addiction: स्मार्टफोन में वीडियो गेम्स के सभी फीचर्स होने से बच्चों-किशोरों को ऐसी लत लगी है कि वे 6 से 10 घंटे लगातार स्मार्टफोन पर गेम्स खेल रहे हैं. क्या है यह समस्या, इसके लक्षण क्या हैं और सामाधान क्या हो सकते हैं. ऐसे प्रश्न आपके भी मन में उठ रहे हैं तो इसे ऐसे समझें… 13 साल के दीपक (काल्पनिक नाम) के माता-पिता उससे बहुत परेशान थे कारण था उसका ज्यादा समय मोबाइल गेम में लगे रहना. वो उसके व्यवहार में बहुत से परिवर्तन देख रहे थे वो पढाई पर ध्यान नहीं दे पा रहा था. उसके अंदर चिढ़चिड़ापन आ गया था घर से बहार निकलना, माता पिता और दोस्तों को कम समय देना, देर रात तक मोबाइल पे लगे रहना, रोकने या मना करने पे गुस्सा होना. प्रॉब्लम और भी बढ़ने लगी जब उसने स्कूल मिस करना शुरू कर दिया और स्कूल से भी शिकायतें आनी शुरू हो गईं अंत में उसके माता पिता उसका इलाज करने उसको मनोवैज्ञानिक के पास ले के जाते हैं और उसका इलाज शुरू होता है.
क्या है यह समस्या ?
आजकल बच्चों-युवाओं में इन्टरनेट की लत एक समस्या बन चुकी है जिसमें बच्चों में इसका प्रभाव ऑनलाइन गेमिंग अडिक्शन के रूप में पाया जा रहा है. स्मार्टफोन में वीडियो गेम्स के सभी फीचर्स होने से बच्चों-किशोरों को ऐसी लत लगी है कि वे 6 से 10 घंटे लगातार स्मार्टफोन पर गेम्स खेल रहे हैं. इससे पढ़ाई तो प्रभावित होती ही है, साथ में सामाजिक दायरा भी सिकुड़ता जा रहा है.
इस समस्या के मुख्य लक्षण
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ऑनलाइन गेम्स में जयादा से ज्यादा समय बिताना.
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जब गेम नहीं खेल पा रहा है तो एक तरह की बेचैनी दिखाना.
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गेमिंग को इतनी ज्यादा प्राथमिकता देना कि दूसरी सभी एक्टिविटीज और जरूरी कामों को नजरअंदाज करना .
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गेमिंग की वजह से निजी, पारिवारिक, सामाजिक, और शैक्षणिक कामों पर असर पड़ना.
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अपने इंटरनेट गेम उपयोग के बारे में दूसरों से झूठ बोलना.
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इस लत की वजह से नींद, खानपान और शारीरिक गतिविधियां प्रभावित होना.
जानें क्या है समाधान
इस समस्या के कारण बच्चों को अपने निजी और सामाजिक कार्यों को करने में दिक्कत होने लगती है. इसमें इलाज के लिए मुख्य रूप से मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक की मदद लिया जा सकता है. माता पिता को चाइये की वो बच्चो को जयादा से ज्यादा समय दे. किशोरावस्था में आने वाली दिकक्तो के बारे में बच्चे से खुल कर बात करे. बच्चो के इन्टरनेट प्रयोग का एक निश्चित समय निरधारित करे. बच्चो के अंदर उन कार्यों की पहचान कराये, जिनमें उन्हें सुकून और खुशी मिलती हो. अगर कोई शौक है, तो उसे निखारने की कोशिश करें.
Dr. Bhoomika Sachacher
Clinical Psychologist (मनोवैज्ञानिक)
Director, HEAL100-A Complete Psychological Care Centre
Mob No. 07488551634
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.