कोविशील्ड की दूसरी खुराक के बीच 45 हफ्तों के अंतराल के बाद भी होता रहेगा कोरोना से बचाव, स्टडी में किया गया दावा

स्टडी के लेखकों ने इस बात का जिक्र किया है कि एस्ट्राजेनेका टीके की पहली और दूसरी खुराक के बीच 45 हफ्तों या 11 महीने का लंबा अंतराल रखे जाने पर दूसरी खुराक के 28 दिन बाद मापे गये एंटीबॉडी स्तर में 18 गुना की वृद्धि दर्ज की गई. यह स्टडी सोमवार को द लांसेट के प्री-प्रिंट सर्वर में पोस्ट किया गया है. स्टडी में 18 से 55 साल की उम्र के वॉलिंटीयर्स को शामिल किया गया. उन्हें एस्ट्राजेनेका की एक खुराक या दो खुराक दी गई थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2021 6:55 PM
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नई दिल्ली : भारत समेत दुनिया भर में कोरोना रोधी टीकों की कमी के बीच एक खबर आई है कि भारत में बनने वाली एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड की दूसरी खुराक 45 हफ्तों के अंतराल पर दी जाती है, तब भी बेहतर इम्युनिटी बनी रहती है और लोगों का कोरोना संक्रमण से बचाव होने लगता है. यह दावा ब्रिटेन में की गई एक स्टडी में किया गया है.

इस स्टडी में यह दावा भी किया जा रहा है कि अगर कोविशील्ड की तीसरी खुराक भी दी जाती है, तो वह एंटीबॉडी और अधिक विकसित कर देगी. स्टडी के अनुसार, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का भारत में कोविशील्ड के नाम से बनाए जाने वाले टीके की एकमात्र खुराक के बाद भी कम से कम एक साल तक एंटीबॉडी स्तर बना रहता है. भारत में इसकी दो खुराक के बीच 12 से 16 हफ्तों का अंतराल रखा गया है.

इस स्टडी के लेखकों ने इस बात का जिक्र किया है कि एस्ट्राजेनेका टीके की पहली और दूसरी खुराक के बीच 45 हफ्तों या 11 महीने का लंबा अंतराल रखे जाने पर दूसरी खुराक के 28 दिन बाद मापे गये एंटीबॉडी स्तर में 18 गुना की वृद्धि दर्ज की गई. यह स्टडी सोमवार को द लांसेट के प्री-प्रिंट सर्वर में पोस्ट किया गया है. स्टडी में 18 से 55 साल की उम्र के वॉलिंटीयर्स को शामिल किया गया. उन्हें एस्ट्राजेनेका की एक खुराक या दो खुराक दी गई थी.

45 हफ्तों में 12 हफ्ते वालों से चार गुना अधिक बढ़ी एंटीबॉडी

ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने यह स्टडी की है. उन्होंने पहली और दूसरी खुराक के बीच लंबे अंतराल और बाद में एक खुराक देने के बाद इम्युनिटी का आकलन किया. स्टडी के अनुसार, पहली और दूसरी खुराक के बीच 45 हफ्तों का अंतराल रखे जाने पर एंटीबॉडी का स्तर 12 हफ्तों के अंतराल पर दी गई खुराक से चार गुना अधिक था. रिसर्चर्स ने कहा कि स्टडी से इस बात का पता चलता है कि दो खुराक के बीच लंबा अंतराल रखने से मजबूत इम्युनिटी विकसित होती है.

10 महीने के अंतराल पर दूसरी डोज के शानदार नतीजे

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के निदेशक एंड्रीयू जे पोलार्ड ने कहा कि टीके की कम आपूर्ति वाले देशों के लिए यह एक आश्वस्त करने वाली खबर होनी चाहिए. पोलार्ड ने एक बयान में कहा कि पहली खुराक के 10 महीने के अंतराल पर दूसरी खुराक दिए जाने पर शानदार नतीजे देखने को मिले.

कोरोना के हर वेरिएंट पर कारगर है बूस्टर डोज

रिसर्चर्स ने इस बात का जिक्र किया है कि कुछ देश भविष्य में तीसरी ‘बूस्टर’ डोज देने पर विचार कर रहे हैं. स्टडी के नतीजों के अनुसार, कोविड-19 के अल्फा, बीटा और डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ तीसरी खुराक का अत्यधिक प्रभावकारी असर देखने को मिला है.

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Posted by : Vishwat Sen

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