अगर आपके भी कंधे में लगातार दर्द रहता है, तो हो सकते हैं इस बीमारी के शिकार; जानें लक्षण
फ्रोजन सोल्ड जिसे हम आम बोलचाल की भाषा में जमे हुए कंधे कहते हैं. अगर किसी को ये समस्या है तो उसे तुरंत ही अपने फिजियोथेरेपिस्ट से मिलने की जरूरत है. पढ़ें क्या-क्या है इसके लक्षण और किस तरह से हम इस समस्या से निजात पा सकते हैं.
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फ्रोजन शोल्डर एक बीमारी है जो कंधे की ऐसी दर्दनाक स्थिति है जब अपने हाथ को हम मूव नहीं कर पाते. कंधे में जकड़न जैसा महसूस होता है. इसे एढ़ेसिव कैप्सूलाइटिस भी कहा जाता है. इसका दर्द कई केसेज में काफी बढ़ जाता है. ये समस्या आमतौर पर पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है.
वक्त के साथ बढ़ सकता है दर्दफ्रोजन शोल्डर कंधे में हल्के दर्द के साथ शुरू होता है और यह धीरे-धीरे बढ़ता जाता है. कभी-कभी स्थिति ऐसी होती है कि आप अपने हाथ को पीछे की ओर मूव तक नहीं कर सकते. जिस शोल्डर में यह समस्या है उस करवट सोने में भी काफी दर्द होता है. ऐसी स्थिति में हमें डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. लक्षण और दर्द के स्टेज पर दवाइयां प्रिसक्राइब की जाती हैं. इसके दर्द में दवाइयां से ज्यादा फिजियोथैरेपी असर करता है. 35 वर्ष से ज्यादा आयु के लोगों में यह बीमारी आमतौर पर उभर सकती है.
कंधे को लंबे समय तक एक ही पोश्चर में रखने से फ्रोजन शोल्डर होने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा सर्जरी अथवा हाथ की हड्डी टूटने की स्थिति में भी फ्रोजन शोल्डर हो सकता है. डायबिटिज के मरीजों में भी फ्रोजन शोल्डर की शिकायत पाई जाती है.
फ्रोजन शोल्डर के तीन स्टेज होते हैंबांह को पीछे ले जाने पर दर्द होता है और इसके मूवमेंट की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है. यह अवस्था दो से चार महीने तक रहती है. इसमें दर्द ज्यादा होता है.
दूसरी अवस्था में कंधे को जरा सा भी हिलाने दिलाने पर दर्द होता है और इसके मूवमेंट की क्षमता काफी कम हो जाती है. इस तरह की स्थिति 2 से 9 माह तक रह सकती है.
पांच-छह माह के बाद फ्रोजन शोल्डर की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होने लगता है और उसके मूवमेंट का एरिया बढ़ने लगता है. धीरे-धीरे यह अपनी सामान्य स्थिति में आ जाता है.
फिजियोथैरेपिस्ट लक्षणों के आधार पर पांच-छह तरह के एक्सरसाइज बताते हैं, जिन्हें नियमित करने पर फ्रोजन शोल्डर में लाभ होता है. फिजियोथैरेपिस्ट द्वारा बताने के बाद इसे घर पर खुद भी कर सकते हैं.
फ्रोजन शोल्डर के लक्षण गंभीर हों या तकलीफ ज्यादा हो तो इसके लिए डॉक्टर कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और जोड़ों में सुन्न करने वाली दवाइयां इंजेक्ट करते हैं. इसके लिए डॉक्टर की सलाह और विशेषज्ञों की देखरेख जरूरी है.
दवाइयों और वर्क आउट से कोई लाभ न हो और फ्रोजन शोल्डर की स्थिति काफी क्रिटिकल हो जाए तो डॉक्टर सर्जरी का सहारा लेते हैं. इसके लिए आर्थोस्कोपिक सर्जरी की जाती है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.