पलाश का आयुर्वेदिक महत्व होने के साथ ही धार्मिक महत्व भी है. पलाश के फूलों से ब्रह्मा की पूजा की जाती है. इसके तीन पत्ते त्रित्व के प्रतीक माने गए हैं. पलाश के फूल, जड़, तना, बीज और फल का इस्तेमाल कई तरह की बामरियों को दूर करने में किया जाता है. पलाश के पेड़ से गोंद मिलता है जिसे कमरकस कहते हैं. पलाश के आयुर्वेदिक गुणों का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में होता है जानें.
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पलाश के ताजा जड़ों की एक बूंद रस आंखों में डालने से आंख की झांक, रतौंधी, पॅूली मोतियाबिंद, खील जैसी परेशानी ठीक हो जाती है.
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आंख में जल हो रही हो तो पलाश के 2 फूल को पानी में घोट कर पीने से फायदा मिलता है.
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नकसीर की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए पलाश के 5 से 7 फूलों को ठंडे पानी में भिंगो कर रात भर छोड़ दें. सुबह इस पानी को छान कर उसमें थोड़ी मिश्री मिला कर पीने से लाभ मिलता है.
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जोड़ों का दर्द सता रहा हो तो इसके इलाज के लिए पलाश के बीजों को बारीक पीसकर शहद के साथ दर्द वाले स्थान पर लगाने से दर्द गायब हो जाता है.
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पलाश के जड़ों की 4 से 5 बूंद रस नाक में डालने से मिर्गी का दौरा खत्म हो जाता है.
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बवासीर के इलाज में भी पलाश सहायक है. पलाश के पत्तों की सबजी, घी और थोड़ा दही डाल कर खाने से बवासीर ठीक हो जाती है.
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पलाश के गोंद के सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं.
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पलाश और बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी और मिश्री समभाग मिलाकर धूप करने से बुद्धि शुद्ध होती है.
पलाश को अलग-अलग जगहों में परास, ढाक, टेसू, छिडल, किंशुक, क्षार श्रेष्ठ, बस्टर्ड टीक आदि विभिन्न नामों से भी जाता जाता है. पलाश के फूलों की दो तरह की प्रजातियां पाई जाती है जिसमें एक लाल फूलों वाला पलाश होता है और दूसरा सफेल फूलों वाला पलाश.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.